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राज्य के अब तक 27 फीसदी वकीलों का ही हुआ है सत्यापन

बार कौंसिल को प्रमाणपत्र और नियमित प्रैक्टिस का करना है सत्यापन, सत्यापन का काम पूरा नहीं होने पर सुप्रीम कोर्ट ने जतायी नाराजगी

Newswrap हिन्दुस्तान, रांचीMon, 27 Jan 2025 07:28 PM
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राज्य के अब तक 27 फीसदी वकीलों का ही हुआ है सत्यापन

रांची। विशेष संवाददाता झारखंड के वकीलों का सत्यापन का काम जल्द पूरा करने का निर्देश बार कौंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने दिया है। सत्यापन का काम पूरा नहीं होने पर सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में नाराजगी जतायी है और कहा है कि सत्यापन की प्रक्रिया अनंत काल के लिए नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने बार कौंसिल ऑफ इंडिया को जल्द सत्यापन पूरा कर रिपोर्ट पेश करने को कहा है। इसके बाद बार कौंसिल ऑफ इंडिया ने झारखंड समेत सभी राज्यों के बार कौंसिल को पत्र लिखा है।

झारखंड में आठ साल में मात्र 27 फीसदी वकीलों का ही सत्यापन हुआ है। राज्य में करीब 40 हजार वकील हैं। इनमें 16,500 ने सत्यापन का फॉर्म लिया था। इनमें 11009 हजार का सत्यापन हुआ है। 6500 ने फॉर्म लेने के बाद जमा नहीं किया है। आवेदन करनेवाले शेष अधिवक्ताओं का मामला देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में लंबित है। प्रमाण पत्र सत्यापित होकर नहीं पहुंचा है, जबकि 200 वकीलों ने अपना लाइसेंस निलंबित कराया है। बड़ी संख्या में वकीलों ने सत्यापन का फॉर्म ही नहीं लिया है।

सुप्रीम कोर्ट को एक मामले की सुनवाई के दौरान यह पता चला था कि प्रैक्टिस करने वाले कई वकीलों के पास विधि की डिग्री वैध नहीं है। फर्जी डिग्री के आधार पर वकील प्रैक्टिस कर रहे हैं। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने बार कौंसिल ऑफ इंडिया को प्रमाणपत्रों का सत्यापन कराने को कहा था। वर्ष 2010 या उसके बाद के अधिवक्ताओं को सत्यापन कराना अनिवार्य नहीं है। सत्यापन वैसे अधिवक्ताओं को कराना है, जिन्हें 1976 या उसके बाद लाइसेंस मिला है।

बार कौंसिल ने चुनाव की तैयारी शुरू की

झारखंड बार कौंसिल ने राज्य में चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर दी है। 10 दिनों में चुनाव की तिथि की घोषणा कर दी जाएगी। चुनाव के लिए मतदाता सूची तैयार करने के लिए कमेटी बना दी गयी है। झारखंड बार कौंसिल की कार्यकारिणी की बैठक में वोटर लिस्ट तैयार करने का निर्णय लिया गया और 15 दिनों के अंदर अध्यक्ष को मतदान की तिथि की घोषणा करने के लिए अधिकृत किया गया है। झारखंड बार कौंसिल का कार्यकाल 28 जुलाई 2023 को समाप्त हो गया था। इसके बाद बार कौंसिल ऑफ इंडिया ने पहले छह माह और बाद में एक साल का अंतिम अवधि विस्तार दिया। बार कौंसिल ऑफ इंडिया ने स्पष्ट किया था कि इस अवधि में वकीलों का सत्यापन का काम पूरा कर लिया जाए। इसके बाद अवधि विस्तार नहीं दिया जाएगा। जिन वकीलों का सत्यापन पूरा हो जाएगा, वही मतदान करने के हकदार होंगे।

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