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बोले रांची : सर! हॉस्टल में जान फूंकिए, दम घुट रहा

रांची के आदिवासी अनुसूचित जाति महिला छात्रावास की स्थिति बेहद खराब है। छात्राओं को पानी, बिजली और सुरक्षा की कमी का सामना करना पड़ रहा है। 350 छात्राओं के लिए केवल 32 कमरे हैं, जिससे भीड़भाड़ हो रही...

Newswrap हिन्दुस्तान, रांचीWed, 19 Feb 2025 11:13 PM
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बोले रांची : सर! हॉस्टल में जान फूंकिए, दम घुट रहा

रांची, संवाददाता। करमटोली रोड स्थित आदिवासी अनुसूचित जाति महिला छात्रावास में राज्यभर की अनुसूचित जाति समुदाय की छात्राएं रहती हैं। वर्तमान में छात्रावास की स्थिति बदहाल हो चुकी है। यहां रहने वाली छात्राओं का कहना है कि रहने के लिए सिर्फ कमरे ही दिए गए हैं। पानी की समस्या का सामना रोजाना करना पड़ता है। छात्रावास के कई कमरे के पंखे चलते तक नहीं हैं। शौचालय की स्थिति तो एकदम बदहाल है। छात्राओं ने कहा कि एक बड़े रूम में जिसमें 55 छात्राओं को रखा गया है, वहां खाना बनाने पर गैस भर जाती है। आदिवासी छात्राओं की सुविधा के लिए राज्य में कई जनजातीय हॉस्टल का निर्माण किया गया है। करमटोली में अनुसूचित जाति की छात्राओं के लिए अलग से हॉस्टल का निर्माण किया गया है। यहां रहने के लिए कॉलेज में दाखिला लेते वक्त ही छात्रावास का भी फॉर्म निकलता है। इस फॉर्म को भरने के बाद सभी छात्राओं को यहां रहने की अुनमति दी जाती है।

छात्रावास का प्रवेश शुल्क चार हजार रुपए है, जो हर बार एडमिशन के लिए देना होता है। इसके बाद किसी भी प्रकार का कोई शुल्क नहीं लगता है। लेकिन, कई बार छात्रावास के पुर्ननिर्माण और मरम्मत के बाद भी यहां की समस्याओं का समाधान आज तक नहीं हो पाया है। छात्राओं ने बताया कि कई बार कई अधिकारी और मंत्री आते हैं और समस्या सुनकर चले जाते हैं। सुविधाएं बहाल करने का आश्वासन तक देते हैं। लेकिन, बाद में कुछ भी नहीं होता है। बजट भी स्वीकृत हुआ। परंतु छात्राओं के लिए पानी, बिजली, रसोई और सुरक्षा सहित कई मौलिक चीजें आज भी पूरी नहीं हुईं। छात्राओं को रहने के लिए जो कमरे दिए गए हैं, उनमें केवल चलने तक की ही जगह है। एक बड़े कमरे में छह बेड लगाकर 12 छात्रों को रखा जाता है। छोटे कमरे में चार बेड पर आठ लोग रहते हैं। एक बड़े से हॉल में 15 बेड पर 55 छात्राओं को एक साथ रखा जाता है। मतलब यह है कि एक छोटे से बेड पर एक साथ दो लोगों को रहना पड़ता है। समान भी वहीं पर रखना पड़ता है।

सामान रखने की कोई सुविधा नहीं : छात्रावास में सामान रखने के लिए भी किसी प्रकार की कोई सुविधा तक नहीं दी गई है। छात्राओं ने बताया कि एक ही कमरे में रहना और खाना भी बनाना पड़ता है। इस कारण कई बार रूम के अंदर एक साथ अगर 12 गैस जलते हैं, तो कमरे के अंदर गैस भी भर जाता है, जिस कारण गर्मी के दिनों में अकसर आगलगी की घटना घटती है। इस तरह की घटना पर भी काबू पाने के लिए किसी भी प्रकार की कोई सुविधा नहीं है। लेकिन, छात्राएं अपनी सुरक्षा के लिए कंबल अपने पास रखतीं हैं, जिसे इस तरह की घटनाओं पर काबू पाया जाता है। पूरे छात्रावास में कुल 16 शौचालय हैं, जिनमें से छह खराब हंै। इस कारण छात्रों को सुबह के वक्त कॉलेज और स्कूल जाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इन्हें जल्द से जल्द ठीक कराने की जरूरत है, ताकि किसी को भी कोई परेशानी का सामना न करना पड़े। पूरे हॉस्टल के लिए केवल एक ही बोरिंग है, जो सुबह के वक्त दो और शाम में दो घंटे तक के लिए चलाई जाती है। गर्मी के दिनों में पानी का स्तर और नीचे चला जाता है। इस कारण छात्रों को पांच सौ मीटर जाकर बाहर के चापाकल से पानी भरकर लाना पड़ता है। वहीं, छात्रावास के कई कमरे के पंखे भी खराब हो चुके हैं। इस कारण गर्मी के दिनों में यहां रहना काफी मुश्किल भरा रहता है।

छात्रावास में पढ़ने के लिए स्टडी रूम और लाइब्रेरी की सुविधा हो: अनुसूचित जाति बालिका छात्रावास में रहने वाली अधिकतर छात्राओं का कहना है कि एक रूम में चार बेड लगाकर आठ लड़कियों को रखा जाता है। रूम भी काफी छोटा है। अलग से सामान रखने तक की सुविधा नहीं है। सभी चीजों को एक साथ बेड पर ही रखना पड़ता है। इस कारण परीक्षा के समय पढ़ाई करने में काफी दिक्कत होती है। शोर-गुल में पढ़ाई करने में काफी परेशानी होती है। इसके लिए हॉस्टल में अलग से स्टडी रूम की भी सुविधा होनी चाहिए, जहां बैठकर सभी छात्राएं शांति से पढ़ाई-लिखाई कर सकेंगी। सभी छात्रवास में पुस्तकालय की सुविधा होती है।

‘32 कमरे में 350 छात्राएं व्यवस्था नहीं तो कम रखें

आदिवासी छात्रावास में रहने वाली छात्राओं का कहना है कि कमरे कम हैं तो कम छात्राओं को रखना चाहिए। पूरे हॉस्टल में केवल 32 कमरे हैं और उनमें 300 से 350 के लगभग छात्राएं रहती हैं। बड़े कमरे में छह बेड लगे हुए हैं, जिनमें बारह छात्राएं रहतीं हंै।

वहीं, छोटे कमरे में चार बेड लगे हुए हैं, जिनमें आठ छात्रों को रखा गया है। हॉस्टल में एक हॉल में पंद्रह बेड लगे हुए हैं, यहां एक साथ 55 छात्रों को रखा गया है। इसी कमरे में इन्हें रहना और खाना भी बना पड़ता है। छात्रों ने बताया कि गर्मी के दिनों में कई बार गैस भी कम जगह में रखकर खाना बनाने के कारण आगलगी जैसी घटनाएं घट चुकी है। लेकिन, हॉस्टल में आग लगने पर भी किसी तरह की कोई सुविधा नहीं दी गई है। इस कारण सभी छात्राएं अपनी सुरक्षा के लिए कंबल रखी रहतीं हैं। ऐसी घटना घटने पर वो कंबल का उपयोग करतीं हैं। एक साथ सभी लोगों का खाना बनने के कारण पूरे रूम में गैस भर जाता है। इसका गहरा असर हमारे स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। एक साथ रहने से कभी कोई बीमार भी पड़ता है, तो उसका वायरस दूसरों को काफी नुकसान पहुंचाता है। छात्रावास के कई कमरों में पंखे तक नहीं चलते हैं।

वाईफाई और कंप्यूटर की भी है दरकार

अनुसूचित जाति बालिका छात्रावास में रहने वाली अधिकतर छात्राओं की आर्थिक स्थिति खराब है, वे खुद से कंप्यूटर नहीं खरीद सकती हैं। छात्रावास में रहने वाली छात्राओं ने परिसर में कंप्यूटर की सुविधा की मांग की है। साथ ही परिसर में इंटरनेट और वाईफाई की सुविधा भी बहाल करने की मांग की गई।

प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी वाले का कब्जा

जूनियर छात्रों की शिकायत है कि जिनकी पढ़ाई-लिखाई खत्म हो चुकी है, वैसी छात्राएं भी इस छात्रावास में रहकर प्रतियोगिता परीक्षा की भी तैयारी करतीं हैं। इस कारण आने वाली नई जरूरतमंद छात्राओं को कमरा नहीं मिल पाता है। कई सीनियर छात्राएं भी कमरे में अपना कब्जा की हुईं हैं। इससे नई छात्राओं को दिक्कत होती है।

बिजली की व्यवस्था भी नहीं है दुरुस्त

छात्रावास में रहने वाली छात्राओं का कहना है कि अक्सर पढ़ाई के वक्त बिजली कट जाती है। वहीं, कमरे में लगे अधिकांश बिजली के बोर्ड भी पूरी तरह से खराब हो चुके हैं। आए दिन बिजली का लोड बढ़ने से फ्यूज के साथ कई बोर्ड भी उड़ जाते हैं। इस तरह की कई तकनीकी समस्याएं होती रहती हैं।

छात्रावास में सुरक्षा की कमी

अनुसूचित जाति बालिका छात्रावास में रहने वाली छात्राओं की सुरक्षा की कोई व्यवस्था ही नहीं है। हॉस्टल में न तो देखभाल करने के लिए कोई गार्ड है और न ही छात्रों को गाइड करने के लिए कोई हॉस्टल वॉर्डन। मेन गेट भी हमेशा खुला हुआ रहता है। छात्रावास में कहीं पर भी कोई सीसीटीवी कैमरा तक नहीं लगा हुआ है। छात्राओं को अपनी सुरक्षा भी स्वयं करनी पड़ती है। छात्राओं को गाइड करने की जिम्मेदारी यहां के सीनियर छात्रों को दी गई है। सुरक्षा की किसी भी प्रकार की कोई व्यवस्था छात्राओं के लिए छात्रावास में है ही नहीं। यहां रहने वाली सभी छात्राएं अपने आपको काफी असुरक्षित महसूस करतीं हैं।

समस्याएं और सुझाव

1. यहां पर मेस की सुविधा नहीं है। इस कारण छात्राओं को खुद से खाना बनाना पड़ता है।

2. छात्रावास में पानी की किल्लत है, गर्मी में छह सौ मीटर दूर से पानी लाना पड़ता है।

3. मासिक धर्म के समय पर पैड डिस्पोजल की समस्या काफी अधिक होती है।

4. हॉस्टल की स्थिति जर्जर है, कहीं-कहीं पर छज्जे टूट कर अचानक गिर जाते हंै।

5. छात्रावास में पढ़ने के लिए स्टडी रूम की व्यवस्था और पुस्तकालय की सुविधा है।

1. हॉस्टल में मेस शुरू करने की जरूरत है, ताकि छात्राएं सिर्फ पढ़ाई कर सकें।

2. पानी की समस्या से निजात देने के लिए सरकारी बोरिंग और जलमीनार बनाई जाए।

3. पैड डिस्पोजल की मशीन होनी चाहिए। जिससे प्रकृती को कोई नुकसान न पहुंचे।

4. छात्रावास की समुचित मरम्मत की आवश्यता है, जिससे दुर्घटना से बचा जा सके।

5. छात्रावास में पढ़ने के लिए स्टडी रूम और पुस्तकालाय की सुविधा हो।

स्टडी रूम की व्यवस्था नहीं

छात्रावास में कई बार मरम्मत के काम हुए हैं, लेकिन अब भी स्थिति दयनीय है। आधुनिक सुविधा तक नहीं है। बाथरूम एक बड़ी समस्या है। साफ-सफाई तक की कोई सुविधा नहीं है। यहां रहने वाली छात्राएं खुद से पहल कर कुछ अच्छा करने की कोशिश करती रहती हैं। इस पर कल्याण विभाग को भी ध्यान देने की जरूरत है। -अंकिता उरांव

प्यास बुझती नहीं और पंखे चलते नहीं

छात्रावास की मरम्मत की सख्त जरूरत है। बारिश के दिनों में यहां पर रहना काफी मुश्किल हो जाता है। कई सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए घोषणाएं की गईं हैं, लेकिन उसे घरातल पर नहीं उतारा गया। हॉस्टल में पढ़ने के लिए न तो स्टडी रूम और न ही लाइब्रेरी की सुविधा है। इस कारण परीक्षा के समय पढ़ाई करने में दिक्कत होती है। -लक्ष्मी कुमारी

छात्रावास में लगातार मरम्मत का काम होता है। इससेे बचने के लिए एक बार में अच्छी गुणवत्ता के साथ मरम्मत का काम किया जाना चाहिए, जिससे यहां रहने वाली छात्राओं को परेशानी ना हो।-पार्वती कुमारी

छात्रावास की नालियों की भी नियमित साफ-सफाई होनी चाहिए, ताकि गंदगी नहीं फैले। बरसात के दिनों में पूरे हॉस्टल में मच्छर का प्रकोप बढ़ जाता है, जिससे बीमार होने का खतरा रहता है। -नीलम कुमारी

छात्रवास में बने बाथरूम की स्थिति बेहद जर्जर हो चुकी है। कई नल भी नहीं चलते हैं। बाथरूम से पानी निकलने तक की सुविधा नहीं है। कई बार छात्राएं इसमें गिर भी चुकी हैं। -प्रियंका कुमारी

छात्रवास में कहीं पर भी सुरक्षा की कोई व्यवस्था तक नहीं है। न तो कोई गार्ड है और न ही सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। बाहर का जगह भी पूरी तरह से खुला हुआ है। इस कारण डर-का माहौल रहता है।-सुमन कुमारी

छात्रावास में 350 छात्रों के लिए कुल 16 बाथरूम है। इनमें से छह बाथरूम पूरी तरह से खराब है। इस कारण सभी छात्रों को सुबह कॉलेज जाने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। -गायत्री कुमारी

छात्रावास के कई कमरों के पंखे तक नहीं चलते हैं। गर्मी के दिनों में सभी छात्रों को काफी मुश्किलों को सामना करना पड़ता हैं। इसके लिए सरकार को जल्द पहल करनी चाहिए। -मनिता बाखला

हॉस्टल में लगभग 350 छात्राएं रहतीं हैं। इनके लिए पानी तक की सुविधा नहीं है। पूरे हॉस्टल में मात्रा एक मोटर लगा हुआ है। जिसे सुबह और शाम में दो घंटों के लिए चलाया जाता है। -साक्षी कुमारी

छात्रावास में कहीं पर भी डायनिंग हॉल तक की सुविधा नहीं है, जहां पर सभी छात्राएं एक साथ बैठकर खाना भी खा सके। ना ही कहीं पर खाना बनाने तक की सुविधा है। -मीना कुजूर

छात्रावास में मेस की काफी जरूरत है, इसे जल्द चालू करना चाहिए। मेस नहीं होने से छात्राएं अपने रूम में ही खाना बनाती हैं। इस कारण रूम के अंदर कई बार आगजनी की घटनाएं हो चुकी हैं। -मोनिका कुमारी

साफ-सफाई की भी किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। इस कारण सभी छात्राएं खुद से पैसे इकट्ठा कर पूरे छात्रावास की सफाई करतीं हैं। मार्बल और टाईल्स भी काफी गंदे हो चुके हैं। -सुनिता उरांव

हॉस्टल में बिजली की बड़ी समस्या होती है। इसके लिए राज्य सरकार को छात्रवास में सौर ऊर्जा की सुविधा देनी चाहिए, ताकि विद्यार्थियों को पढ़ाई करने में कोई परेशानी या समस्या न हो।-नीरा तिर्की

छात्रावास की मरम्मत पर ध्यान देने की काफी जरूरत है। बारिश के दिनों में सभी जगहों से पानी टपकना शुरू हो जाता है। इस कारण बरसात के दिनों में हॉस्टल में रहने में मुश्किल होती है। -सुमित्रा कुजूर

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