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बोले रांची: सेवानिवृत्ति के छह महीने बाद भी नहीं मिल रही पेंशन

रांची में सेवानिवृत्त केंद्रीय कर्मचारियों ने पेंशन भुगतान आदेश (पीपीओ) और चिकित्सा पुनर्भुगतान में देरी की समस्या उठाई है। नियमों के अनुसार, कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के समय पीपीओ मिलना चाहिए,...

Newswrap हिन्दुस्तान, रांचीFri, 14 Feb 2025 06:33 PM
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बोले रांची: सेवानिवृत्ति के छह महीने बाद भी नहीं मिल रही पेंशन

रांची, संवाददाता। सेवानिवृत्त केंद्रीय कर्मचारियों के अनुसार, उनकी सबसे बड़ी समस्या समय पर पेंशन भुगतान का आदेश (पीपीओ) जारी नहीं होना है। नियम के मुताबिक सेवानिवृत्ति के दिन कर्मचारियों को पीपीओ मिल जाना चाहिए। पर, पेंशन भुगतान आदेश मिलने में छह माह से डेढ़ साल तक का समय लग जा रहा है। इसका असर पेंशनर्स के साथ-साथ उनके परिवार के ऊपर वित्तीय बोझ के रूप में पड़ रहा है। इसके साथ ही केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स की एक और समस्या है, जो सबसे बड़ी है। यह समस्या सीजीएचएस के डिस्पेंसरीज में अच्छी कंपनियों की जगह जेनरिक दवाओं की उपलब्धता है। इसके कारण विवशता में उन्हें बाजार से पैसे लगाकर दवाइयां खरीदनी पड़ती हैं। सीजीएचएस की डिस्पेंसरी में जेनरिक दवाओं की भरमार: खरीदारी करनी पड़ रही हैं। इसका असर उनकी जेब पर पड़ रहा है। उनका कहना है कि इन डिस्पेंसरी में बीपी-शुगर तक की दवाइयां भी जेनरिक मिलती हैं। इन्हें खाने से कोई असर नहीं होता। यह सीधे तौर पर कर्मियों और पेंशनर्स की सेहत के साथ खिलवाड़ है। उन्होंने कहा कि कम से कम जरूरी दवाइयां अच्छी कंपनियों की उपलब्ध कराई जानी चाहिए। इससे कर्मियों और पेंशनर्स को होने वाली अनावश्यक परेशानी दूर होगी। उनका यह भी आरोप है कि इन डिस्पेंसरीज में डॉक्टर कभी भी समय पर नहीं पहुंचते हैं। सुबह 7.30 से दोपहर दो बजे तक का समय निर्धारित है। पर, 10 बजे से पहले कभी डॉक्टर नहीं आते हैं। इस कारण भी उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

पेंशनर्स ने कहा कि मेडिकल रिबर्समेंट क्लेम (एमआरसी) का समय पर निपटान नहीं होने से भी उन्हें परेशानी हो रही है। उनके मुताबिक एमआरसी क्लेम नियम के तहत 45 दिनों के भीतर सेटल कर दिए जाने चाहिए। पर, झारखंड सर्किल में बड़ी संख्या में कर्मचारियों के बिल डेढ़-डेढ़ साल से लंबित पड़े हैं। इसके अलावा सेवानिवृत्त केंद्रीय कर्मचारियों में डाक विभाग से रिटायर पोस्टमैन के जनवरी 1996 से बढ़े हुए वेतन पर अब तक पेंशन का पुनर्निर्धारण नहीं हुआ है और न ही उसका एरियर का भुगतान किया गया। इससे राज्य में करीब एक हजार सेवानिवृत्त कर्मचारी (पोस्टमैन/मेल गार्ड) राशि से वंचित हैं। वहीं, उनके मुताबिक तीन से चार दर्जन सेवानिवृत्त कर्मचारियों की बिना लाभ लिए मौत हो गई। कहा कि इस मुद्दे को लेकर पोस्टल पेंशनर्स एसोसिएशन के बैनर तले कई बार राज्यस्तरीय धरना दिया गया। पर, इसके बावजूद प्रशासन की ओर से सकारात्मक कार्रवाई नहीं की गई है। जबकि, इस आदेश का अनुपालन कई राज्यों में हो चुका है। इनमें आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक आदि राज्य हैं। साथ ही पोस्टल के रिटायर कर्मचारियों का यह भी कहना है कि रूल नौ के मामलों का समय पर निपटारा नहीं होने से कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वहीं, अगर इनका समय पर सेटलमेंट हो जाए तो उन्हें काफी राहत मिलती। उन्होंने कहा कि इन मामलों के निपटारा के लिए एक समय-सीमा तय होनी चाहिए। क्योंकि, फिलहाल रूल-नौ के अधिकांश मामले पांच साल से अधिक समय से लंबित हैं। इससे पेंशनर्स की फैमिली को काफी परेशानियों का करना पड़ रहा है। क्योंकि, इसके कारण प्रोविजनल पेंशन तो मिलती है पर ग्रेच्युटी, लीव इन कैशमेंट आदि का भुगतान रोक दिया जाता है। कर्मचारियों ने यह भी कहा कि 1986 से पहले जिन डाक सहायक सेवकों की बहाली हुई थी उनकी तीन माह की इंडक्शन ट्रेनिंग की अवधि को 75 दिन प्रमोशन में जोड़ने की घोषणा की थी। इस संबंध में साल 2016 में डाक निदेशालय की ओर से आदेश भी जारी किया गया था। पर, झारखंड परिमंडल में अब तक इस आदेश का अनुपालन नहीं हुआ है।

डिस्पेंसरी में बीपी-शुगर की दवा भी जेनरिक मिलती है

सेंट्रल पेंशनर्स ने सीजीएचएस की डिस्पेंसरी में मिल रही दवाओं पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि यहां बीपी-शुगर तक की दवाइयां भी जेनरिक मिल रही हैं। इसे खाने से कोई असर नहीं होता। उन्होंने कहा कि वैसे तो डिस्पेंसरी में मिलने वाली 80 फीसदी दवाएं जेनरिक ही हैं। पर, बीपी-शुगर जैसी जरूरी दवाएं अच्छी कंपनियों की होनी चाहिए।

समय पर पीओपी जारी नहीं होने से परेशानी

पेंशनर्स ने अपनी समस्याएं बताते हुए कहा कि नियम के तहत सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद कर्मचारियों को पीपीओ मिल जाना चाहिए। लेकिन, छह-छह माह तक पीपीओ जारी नहीं किए जा रहे हैं। इससे पेंशनर्स के साथ-साथ परिवार को भी वित्तीय परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल, किसी भी पेंशनभोगी के लिए पेंशन भुगतान आदेश नंबर बेहद जरूरी है।

बढ़े हुए वेतन पर अब तक नहीं हुआ है पेंशन का पुनर्निर्धारण

सेवानिवृत्त केंद्रीय कर्मचारियों में डाक विभाग से रिटायर कर्मचारियों का कहना कि पोस्टमैन के जनवरी 1996 से बढ़े हुए वेतन पर अब तक पेंशन का पुनर्निर्धारण नहीं हुआ है और न ही उसका एरियर का भुगतान किया गया। राज्य में करीब एक हजार सेवानिवृत्त कर्मचारी (पोस्टमैन/मेल गार्ड) इससे वंचित हैं। वहीं, चार दर्जन रिटायर कर्मचारियों की बिना लाभ लिए मौत हो गई।

मेडिकल क्लेम का समय सेनिपटारा नहीं होने से परेशानी

रांची, संवाददाता। सेवानिवृत्त कर्मचारियों ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय के आदेश के अनुसार, सीजीएचएस के सभी लाभार्थियों के मेडिकल क्लेम का निपटारा 45 दिनों के भीतर हो जाना चाहिए। पर, झारखंड में कई ऐसे मामलों में जिनमें पेंशनर्स के क्लेम साल-साल भर से लंबित हैं। पेंशनर्स के ऊपर वित्तीय भार बढ़ता जा रहा है। इस मुद्दे को लेकर भी पेंशनर्स ने सीजीएचएस कार्यालय के समझ धरना-प्रदर्शन किया। लेकिन, समस्या का अब तक कोई निदान नहीं हुआ।

उन्होंने कहा कि सीजीएचएस में अच्छी कंपनियों की दवा नहीं होने से कर्मचारियों के साथ-साथ पेंशनर्स को भी पेंशन की राशि से बाजार जाकर दवा खरीदनी पड़ रही है। इससे सबसे अधिक पेंशनर्स पर भार पड़ रहा है। दूसरी तरफ, मेडिकल क्लेम का समय पर निपटारा भी नहीं हो रहा है।

रूल-नौ के मामलों का सेटलमेंट समय पर हो

पोस्टल के रिटायर कर्मचारियों की यह भी मांग है कि रूल-नौ के मामलों का समय पर सेटलमेंट किया जाए। उनके मुताबिक अभी रूल-नौ के अधिकांश मामले पांच साल से अधिक समय से लंबित हैं। उनका कहना है कि इसके कारण पेंशनर्स की फैमिली को काफी परेशानियों का करना पड़ रहा है।

रेल यात्रा की सुविधा दोबारा बहाल हो

पेंशनर्स ने कहा कि कोरोना काल से पहले रेल यात्रा में वरिष्ठ नागरिकों को जो यात्रा सुविधा मिल रही थी, उसे दोबारा लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय रेल से यात्रा करने वाले वरिष्ठ नागरिकों और महिलाओं को लंबे समय से किराए पर छूट का लाभ मिल रहा था। लेकिन, यह छूट मार्च 2020 से बंद हो गई है। उससे पहले तक महिला सीनियर सिटीजन को किराए पर 50 फीसदी, जबकि पुरुष और ट्रांसजेंडर सीनियर सिटीजंस को 40 फीसदी की छूट मिलती थी। लेकिन, लॉकडाउन के बाद जब धीरे-धीरे ट्रेनों का परिचालन तो शुरू हुआ, पर वरिष्ठ नागरिकों व महिलाओं को मिलने वाली छूट बहाल नहीं की गई। उन्होंने कहा कि केंद्रीय पेंशनर्स एसोसिएशन की ओर से लंबे समय से इस व्यवस्था को दोबारा बहाल करने की मांग की जा रही है।

पर अब तक इस दिशा में कोई पहल नहीं की गई है।

रिवाइज वेतन की फाइल प्रबंधन के पास दबी है, जल्द निपटारा हो

सेवानिवृत्त कर्मचारियों ने कहा कि पोस्टमैन को जनवरी 1996 से बढ़ा हुआ वेतन का भुगतान अभी तक नहीं किया गया है। रिवाइज वेतन की फाइल प्रबंधन के बीच दबी हुई है। बढ़े हुए वेतन पर पेंशन का पुनर्निर्धारण होना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्ष 2023 में 30 जून या 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को एक जुलाई या एक जनवरी को काल्पनिक वेतन वृद्धि का लाभ पेंशन गणना के लिए लागू किया गया। इसे 2017 से लागू किया जाए। कोविड के दौरान तीन बार (18 महीनों) का डीए का भुगतान नहीं किया गया है। सभी कर्मचारी को एरियर के रूप में इसका भुगतान जल्द करना चाहिए।

समस्याएं

1. पोस्टमैन के जनवरी 1996 से बढ़े हुए वेतन पर अब तक पेंशन का पुनर्निर्धारण नहीं हुआ है।

2. सीजीएचएस की डिस्पेंसरी में बीपी-शुगर की दवाइयां भी जेनरिक मिल रहीं हैं, जिन्हें खाने से कोई असर नहीं होता।

3. रूल-नौ के मामलों का समय पर सेटलमेंट किया जाए।

4. सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद कर्मचारियों को पीपीओ मिल जाना चाहिए।

5. मेडिकल क्लेम का निपटारा 45 दिनों में हो जाना चाहिए, पर यहां साल भर से मामले लंबित हैं।

सुझाव

1. पोस्टमैन के जनवरी 1996 से बढ़े हुए वेतन पर पेंशन का पुनर्निर्धारण किया जाए।

2. सीजीएचएस की डिस्पेंसरी में जरूरी दवाइयां अच्छी कंपनियों की उपलब्ध कराई जाएं।

3. रूल-नौ के मामलों का समय पर सेटलमेंट हो। इन मामलों के सेटलमेंट के लिए एक अवधि निर्धारित होनी चाहिए।

4. सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद कर्मचारियों को पीपीओ जारी हो।

5. सीजीएचएस के लाभार्थियों के मेडिकल क्लेम का निपटारा निर्धारित 45 दिनों के भीतर हो।

:: बोले पेंशनर्स ::

जनवरी 1996 से बढ़े हुए वेतन पर अब तक पुनर्निधारण नहीं किया गया है। सीजीएसएम की डस्पिेंसरी में अच्छी कंपनी की दावा दी जानी चाहिए, जिससे स्वास्थ पर बुरा असर ना हो।

-राम बालिक पंडित

पोस्ट ऑफिस में जारी किया जाने वाला एटीएम कार्ड दोबारा नहीं मिल रहा है। सितंबर 2024 में ही एटीएम एक्सपायर हो चुका है। नया पासबुक आने में भी 4-5 दिनों का समय लग रहा है।

-नवल किशोर पांडे

मेडिकल का रीइंबर्समेंट का दो-तीन साल से पास होने में दक्कित हो रहा है। सीजीएसएम की डस्पिेंसरी में पहले की भांति अच्छी गुणवत्ता वाली दावा नहीं दी जाती है।

-रंगनाथ पांडे

कोविड के दौरान तीन बार (18 महीनों) का डीए का भुगतान नहीं किया गया है। सभी कर्मचारी को एरियर के रूप में इसका भुगतान जल्द करना चाहिए, जिससे आर्थिक मदद मिले।

-अनिल गुप्ता

पोस्टमैन को जनवरी 1996 से बढ़ा हुआ वेतन का भुगतान अभी तक नहीं किया गया है। रिवाइज वेतन का फाइल प्रबंधन के बीच दबा हुआ है। बड़े हुए वेतन पर पेंशन का पुनर्नर्धिारण हो।

-रमेश दुबे

पेंशनर्स के इलाज और दवा की अच्छी सुविधा होनी चाहिए। जेनरिक दावा सही से काम नहीं करता है। पूर्व में रेलवे में बुजुर्गों को मिलने वाली रिबेट को दोबारा शुरू करना चाहिए।

-त्रिवेणी ठाकुर

रूल नौ के मामलों का समय पर सेटलमेंट किया जाए। वर्तमान में रूल नौ के अधिकतर मामले पांच साल से अधिक समय से लंबित हैं। सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद पीपीओ मिल जाना चाहिए।

-एमजेड खान

एडिशनल इंक्रीमेंट की मांग थी, जो अब तक लंबित है। सीजीएसएम के लाभार्थियों के मेडक्लिेम का निबटारा 45 दिनों के भीतर होना चाहिए। वर्तमान में सालों से मामले लंबित हैं।

-जय नारायण प्रसाद

हमलोगों को फैमिली पेंशन नहीं मिल रहा है। पीपीओ नंबर खो गया है। पिछले दो साल से कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन एप्लीकेशन पर कार्रवाई नहीं हुई।

-एमए अख्तर हुसैन

सीजीएसएम की डस्पिेंसरी में जेनरिक दवा मिल रही है, जिससे केंद्रीय पेंशनर्स को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हैं। यहां डॉक्टर भी समय पर नहीं आते हैं।

-जय राम प्रसाद

सेवानिवृत्ति के समय मिलने वाला रिटायरमेंट सर्टिफिकेट नहीं मिला है। 2020 में रिटायर हुए हैं। इस कारण मेडिकल कार्ड भी नहीं बन रहा है। कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं।

-अमिता तर्किी

2009 में मुझे डिसमिस कर दिया गया था। इसे लेकर हाइकोर्ट में केस किए। मार्च 2023 में फैसला मेरे पक्ष में आया। पोटोफिस से वेतन और पेंशन की मांग कर रहे हैं, जो अब तक लंबित है।

-इशाक मिंज

वर्ष 2023 में 30 जून या 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त हुए कर्मियों को 1 जुलाई या एक जनवरी को काल्पनिक वेतन वृद्धि का लाभ पेंशन गणना के लिए लागू किया गया, जिसे 2017 से लागू किया जाए।

-देव चरण साहू

बढ़ा हुआ डीए और 18 महीनों का बकाया डीए का भुगतान नहीं किया गया है। साथ ही एरियर भी बकाया है। इन राशियों का भुगतान किया जाना चाहिए।

-मनरखन महतो

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