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वित्तरहित संस्थानों को 75 फीसदी अनुदान वृद्धि का रास्ता साफ

स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग ने वित्त विभाग को भेजा प्रस्ताव, वित्त विभाग ने पूर्व में राशि की कमी बताकर लौटायी थी फाइल, वर्तमान में 90 करोड़ रुपये

Newswrap हिन्दुस्तान, रांचीSat, 26 April 2025 06:55 PM
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वित्तरहित संस्थानों को 75 फीसदी अनुदान वृद्धि का रास्ता साफ

रांची, हिन्दुस्तान ब्यूरो। झारखंड के वित्तरहित संस्थानों को 75 फीसदी अनुदान वृद्धि का रास्ता साफ होता नजर आ रहा है। स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग ने इसका प्रस्ताव वित्त विभाग को भेज दिया है। वित्त विभाग की सहमति मिलने के लिए बाद इसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा और उसे वर्तमान वित्तीय वर्ष 2025-26 से लागू किया जा सकेगा। इससे राज्य के 569 वित्तरहित संस्थानों के 8000 शिक्षक-कर्मचारियों को अनुदान बढ़ोतरी का लाभ मिल सकेगा।

शिक्षा विभाग ने इंटरमीडिएट कॉलेज, उच्च विद्यालयों, संस्कृत विद्यालयों और मदरसा के अनुदान की राशि महंगाई को देखते हुए 75 प्रतिशत वृद्धि के प्रस्ताव और संलेख वित्त विभाग की आपत्ति का निराकरण कर भेज दिया है। प्रस्ताव को शिक्षा मंत्री का अनुमोदन लेकर वित्त विभाग को सहमति के लिए भेज दिया गया। वित्त विभाग ने जो भी आपत्ति कर फाइल लौटायी थी, उसका बिंदुवार निराकरण कर भेजा गया है। वित्त विभाग ने अक्तूबर 2024 को यह कहते हुए प्रस्ताव लौटाया था कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में इन संस्थानों के लिए 100 करोड़ राशि निर्धारित है, अनुदान बढ़ोतरी होने से हर वर्ष 56 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार होगा, जो अनुपूरक बजट द्वारा संभव नहीं दिख रहा है। साथ ही, राज्य सरकार द्वारा कई नए कल्याणकारी योजनाओं के लागू होने के कारण राजकोष पर अतिरिक्त वित्तीय भार पड़ेगा।

2015 से अनुदान में नहीं हुई बढ़ोतरी

राज्य के इन वित्तरहित स्कूल व इंटर कॉलेजों के अनुदान में 2015 के बाद कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है, जबकि संबद्ध डिग्री महाविद्यालयों के अनुदान में 2015 की नियमावली से बढ़ोतरी हुई और वित्तीय वर्ष 2023-24 से भुगतान भी हो रहा है। राज्य सरकार की ओर से इंटर कॉलेज, उच्च विद्यालयों, संस्कृत विद्यालयों व मदरसा के 75 प्रतिशत अनुदान वृद्धि के प्रस्ताव को वित्तीय कमी बताकर नहीं दिया जा रहा है।

अगर फिर मामला लटका तो हाईकोर्ट जाएंगे संस्थान

वित्तरहित शिक्षा संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने स्पष्ट किया है कि अगर इस बार वित्त विभाग की ओर से मामला लटकाया गया तो मोर्चा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएगा। मोर्चा ने सरकार से मांग की है कि अनुदान बढ़ोतरी के शिक्षा विभाग के प्रस्ताव को वित्त विभाग सहमति देते हुए अविलंब मंत्रिपरिषद् से स्वीकृति प्रदान कराकर बढ़ोतरी के लिए राशि का भुगतान करे। कैबिनेट की सहमति मिलने के बाद राज्य के 189 इंटर कॉलेज, 300 प्रस्वीकृति प्राप्त और राज्य सरकार से स्थापना अनुमति प्राप्त उच्च विद्यालय, 40 संस्कृत विद्यालय और 46 मदरसा में कार्यरत 8000 शिक्षक-कर्मचारियों को इस महंगाई से राहत मिल सकेगी।

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