वेतन वृद्धि रोकने के दुमका डीडीसी का आदेश हाईकोर्ट ने रद्द किया
स्कूल के हेडमास्टर को बिना शो कॉज के दो वेतन वृद्धि रोक दी गयी, औचक निरीक्षण के दौरान हेडमास्टर पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया गया

रांची। विशेष संवाददाता झारखंड हाईकोर्ट ने एक फैसला सुनाते हुए दुमका के उप विकास आयुक्त (डीडीसी) के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें प्रार्थी हरिहर प्रसाद मंडल की संचयात्मक प्रभाव से दो वार्षिक वेतन वृद्धि रोकने का आदेश दिया था। जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने डीडीसी का आदेश रद्द कर सरकार को प्रार्थी का सभी बकाया लाभ जल्द भुगतान करने का निर्देश दिया है। इस आदेश के खिलाफ प्रार्थी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
याचिका में कहा गया है कि 26 फरवरी 2004 को प्राथमिक विद्यालय कुसडीहा दुमका के स्कूल का प्रखंड विकास पदाधिकारी ने औचक निरीक्षण किया था। आरोप है कि प्रार्थी जो स्कूल के प्रधानाध्यापक थे, स्कूल रजिस्टर एवं स्कूल के दस्तावेज को अपने घर में रखते थे। वह कभी-कभी ही क्लास लिया करते थे। क्लास नहीं लेने के संदर्भ में उनका ग्रामीणों से विवाद भी होता था। इसके अलावा वे उपस्थिति रजिस्टर को नियमित नहीं रखते थे और शिक्षण कार्य में रुचि नहीं दिखाते थे। बाद में उन पर विभागीय कार्रवाई चली थी और 15 अप्रैल 2004 को उन पर आरोप गठित किया गया था। इसके बाद 6 अक्तूबर 2005 को सजा के तौर पर उनकी दो वार्षिक वेतन वृद्धि संचयात्मक प्रभाव से रोक दी गई थी। प्रार्थी ने याचिका दाखिल कर कहा था कि उन्हें वृहद सजा दी गई है, परंतु जांच प्रतिवेदन उन्हें नहीं सौंपी गया। द्वितीय कारण पृच्छा भी उनसे नहीं की गयी। यह नैसर्गिक न्याय के विरुद्ध है। ऐसे में उनके दो वेतन वृद्धि के आदेश को रद्द किया जाए।
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