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::: संशोधित ::: झारखंड पंचायती राज अधिनियम की धाराओं में हो संशोधन : गेलाडसन

झारखंड विधानसभा के बजट सत्र में झारखंड पंचायत राज अधिनियम 2001 में संशोधन की मांग की गई है। आदिवासी क्षेत्र सुरक्षा परिषद ने पेसा कानून 1996 को लागू करने और बाहरी ताकतों के धार्मिक उन्माद फैलाने के...

Newswrap हिन्दुस्तान, रांचीSun, 23 Feb 2025 10:13 PM
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::: संशोधित ::: झारखंड पंचायती राज अधिनियम की धाराओं में हो संशोधन : गेलाडसन

रांची, वरीय संवाददाता। झारखंड विधानसभा के आगामी बजट सत्र में झारखंड पंचायत राज अधिनियम 2001 की धारा 1 का संशोधन करते हुए इस अनुसूचित क्षेत्रों से हटाएं। जिसे राज्य के अनुसूचित क्षेत्र में असंवैधानिक तरीके से विगत 24 वर्षो से लागू कर रखा गया है। यह बातें आदिवासी क्षेत्र सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष ग्लैडसन डुंगडुंग ने कही। वे रविवार को एसडीसी सभागार में हुई बैठक में बोल रहे थे। उन्होंने मांग की, कि 29 जुलाई 2024 को झारखंड उच्च न्यायालय के द्वारा झारखंड सरकार को दिए गए आदेश के आलोक में पेसा कानून 1996 के सभी 23 प्रावधानों को पेसा नियमावली के द्वारा राज्य के अनुसूचित क्षेत्रों में अविलंब लागू किए जाएं। साथ ही पेसा कानून 1996 को पेसा नियमावली के द्वारा राज्य के अनुसूचित क्षेत्रों में लागू किया जाए। साथ ही उक्त क्षेत्र में बालू घाटों की नीलामी, खनिज लीज का आवंटन, भूमि अधिग्रहण कंपनियों के साथ एमओयू, आदिवासी जमीन की खरीद-बिक्री, देशी-विदेशी शराब की बिक्री व परती जमीन का सर्वे पर रोक लगायी जाए।

परिषद की महासचिव सुषमा बिरुली ने कहा कि इंडिया गठबंधन के प्रमुख चुनावी वादों को पूरा कराने के लिए आदिवासी क्षेत्र सुरक्षा परिषद अन्य आदिवासी संगठनों के साथ संयुक्त रूप से झारखंड में राज्यव्यापी अभियान चला रहा है। पेसा कानून को लागू करना इंडिया गठबंधन का एक प्रमुख चुनावी वादा है, जिस पर विगत दो महीने से घमासान चल रहा है। उन्होंने कहा कि अपने निजी राजनीतिक और आर्थिक हितों को साधने के लिए बाहरी ताकतें राज्य में धार्मिक उन्माद फैलाने की निरंतर कोशिश कर रही हैं। पेसा कानून के बहाने सरना-ईसाई का विवाद भी पैदा किया जा रहा है। झारखंड ग्राम सुरक्षा मंच के संयोजक राधाकृष्ण सिंह मुंडा ने कहा कि झारखंड सरकार के पंचायती राज विभाग के द्वारा प्रस्तावित पेसा नियमावली 2024 पेसा कानून 1996 के 23 प्रावधानों के अनुरूप नहीं हैं, बल्कि उक्त नियमावली के द्वारा जेपीआरए 2001 को ही जारी रखने का प्रयास प्रतीत होता है। यही वजह है कि राज्यभर के आदिवासियों के अंदर राज्य सरकार के प्रति अविश्वास का माहौल दिखाई पड़ रहा है। इसके बावजूद इस मसले पर झारखंड सरकार की ओर से कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है। मौके पर मेरी क्लोडिया सोरेंग, मुंडा आदिवासी समाज महासभा खूंटी के बिनसाय मुंडा, समीर तिर्की, अजय सहित अन्य मौजूद थे।

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