सामूहिक दुष्कर्म के सजायाफ्ता ने किशोर का लाभ लेने को हाईकोर्ट में याचिका दायर की
रांची में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी की छात्रा के साथ गैंगरेप के मामले में सजायाफ्ता राजन उरांव ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें उसने खुद को नाबालिग बताया है। सरकार ने इसका विरोध किया है, क्योंकि...

रांची, विशेष संवाददाता। नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (एनएलयू) कांके की छात्रा के साथ गैंगरेप मामले के सजायाफ्ता राजन उरांव की याचिका पर सुनवाई पूरी करने के बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया। प्रार्थी ने खुद को नाबालिग बताते हुए हाईकोर्ट से जुबेनाइल जस्टिस एक्ट का लाभ देने का आग्रह किया है। सुनवाई के दौरान राजन उरांव की ओर से कहा गया कि घटना के समय उसकी उम्र 18 वर्ष से कम थी, इसलिए जुवेनाइल जस्टिस प्रोटेक्शन एक्ट के तहत उसे लाभ देना चाहिए। सरकार की ओर से इसका विरोध करते हुए कहा गया कि जुबेनाइल के संबंध में छह साल बाद क्रिमिनल अपील में अपीलकर्ता ने मामला उठाया है। अनुसंधानकर्ता को उसने पूर्व में इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दी थी। घटना के छह वर्ष बीत जाने के बाद इस स्टेज में पार्थी के मेंटल स्टेटस का आकलन करना संभव नहीं है। इसलिए, प्रार्थी को किसी प्रकार की राहत नहीं दी जानी चाहिए।
12 लोगों ने किया था गैंगरेप
बता दें कि रांची की एक फास्ट ट्रैक अदालत ने एनएलयू की छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म के मामले में 11 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। कानून की छात्रा के साथ 26 नवंबर 2019 को एक किशोर सहित 12 लोगों ने गैंगरेप किया था, जब वह कॉलेज परिसर से लगभग 2.5 किमी दूर कांके के संग्रामपुर इलाके में एक शेड के नीचे एक दोस्त से कॉलेज से लौटने के दौरान बात कर रही थी। इसी दौरान बाइक और कार में सवार नौ युवकों ने छात्रा को जबरन कार में बैठाने की कोशिश की। बीच-बचाव करने आए छात्रा के दोस्त से मारपीट भी की। सभी ने छात्रा के साथ गैंगरेप किया।
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