एचईसी की जमीन और भवनों को लीज पर देने का केंद्र को भेजा जाएगा प्रस्ताव
रांची में एचईसी को अपने संसाधनों से चलाने के लिए एक बार फिर प्रयास शुरू हो गए हैं। यूनियनों ने प्रबंधन पर जमीन, भवन और क्वार्टर को लीज पर देने या बेचने का प्रस्ताव तैयार करने का दबाव बनाया है। भारी...
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रांची, विशेष संवाददाता। एचईसी को अपने संसाधनों से चलाने के लिए एक बार फिर कवायद हो रही है। एचईसी की यूनियनों ने जमीन, भवन और क्वार्टर को लीज या बिक्री कर मिलने वाली राशि से एचईसी को चलाने का प्रस्ताव तैयार करने के लिए प्रबंधन पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। भारी उद्योग मंत्री के इस बयान के बाद की सभी तरह के बकाया का भुगतान एचईसी को अपने संसाधन से करना होगा, के बाद यूनियनों ने प्रबंधन पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। एचईसी के श्रमिक नेताओं का कहना है कि जमीन, भवन और क्वार्टर एचईसी के संसाधन हैं। खाली जमीन लीज पर देने या बेचने का अधिकार प्रबंधन को है। केंद्र सरकार ने सदन में कहा है कि एचईसी अपने संसाधन का इस्तेमाल कर सकता है, ऐसे में अब भवन और जमीन लीज पर देने का रास्ता साफ हो गया है। इसलिए, एचईसी प्रबंधन को अब प्रस्ताव भेजना होगा और अपने संसाधन का इस्तेमाल कर सभी देनदारियां का निपटारा करना होगा।
पहले केंद्र ने नहीं दी थी इजाजत
प्रबंधन ने अपने संसाधनों का इस्तेमाल करने के पूर्व में केंद्र सरकार से भी इजाजत मांगी है, लेकिन प्रबंधन का प्रस्ताव को केंद्र सरकार ने खारिज कर दिया। एनटीपीसी ने एचएमटीपी के भवन और खाली जमीन लीज पर मांगा था। इसके अलावा कई बैंक, तेल कंपनियों ने भी जमीन लीज पर मांगी थी, लेकिन केंद्र सरकार ने इस पर कोई निर्णय नहीं लिया।
एचईसी की जमीन को नीति आयोग ने संसाधन माना था
एचईसी के आधुनिकीकरण के लिए तत्कालीन नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके सारस्वत की अध्यक्षता में एक कमेटी बनी थी। कमेटी ने 1100 करोड़ की लागत से प्लांटों के आधुनिकीरण करने की रिपोर्ट दी थी। इसमें तीन चरण में आधुनिकीकरण की सिफारिश की गयी थी। प्रथम फेज में 500, दूसरे और तीसरे चरण में 300 -300 करोड़ खर्च करने की बात कही गयी थी। राज्य सरकार को स्मार्ट सिटी से मिलने वाले 742 करोड़ का इस्तेमाल भी आधुनिकीकरण में करने को कहा गया था। लेकिन इस रिपोर्ट पर केंद्र सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया है।
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