बोले रांची : दिव्यांगों का दर्द- महंगाई बढ़ रही पर अभी भी मात्र एक हजार पेंशन
झारखंड में दिव्यांगजनों ने सरकार से उनकी मांगों को अनदेखा करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि चुनावी वादों का पालन नहीं किया जा रहा है और योजनाओं का सही क्रियान्वयन नहीं हो रहा है। दिव्यांग पेंशन...

रांची, हिटी। दिव्यांगजनों को सरकार से शिकायत है कि उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जा रहा है। चुनावी वादे किए गए, लेकिन फिर उसे भुला दिया गया। इतना ही नहीं, जो योजानाएं संचालित हैं, उनका भी ठीक तरीके से क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है। उन्हें बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हो पाती हैं। दव्यिांगजनों का कहना है कि 21 प्रकार के दव्यिांगों की श्रेणी में एक अस्थव्यिंग या गति विषयक दव्यिांगता श्रेणी है। जन्मजात दव्यिांग या पोलियो दव्यिांग को दुर्घटना से दव्यिांग या लकवा से दव्यिांग होनेवालों से पहले प्राथमिकता दी जानी चाहिए। झारखंड दव्यिांगजन आंदोलन संघ के अध्यक्ष ओम प्रकाश चौहान कहते हैं कि जो जन्मजात दव्यिांग हैं, उनकी शक्षिा-दीक्षा सही तरीके से नहीं हो पाती है। तमाम चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन इसी कैटेगरी में दुर्घटना से दव्यिांग या लकवा से दव्यिांग होनेवालों को भी शामिल कर दिया गया है, जिसका लाभ पहले उन्हें मिल जाता है। उनका कहना है कि दव्यिांग पेंशन को अलग कैटेगरी में लाभ देने की व्यवस्था होना चाहिए न कि विधवा पेंशन या वृद्धा पेंशन से जोड़कर। दव्यिांगजनों को राजनीतिक भागीदारी भी मिलनी चाहिए। पंचायत चुनाव, नगर निकाय, विधानसभा और राज्यसभा चुनाव में कम से कम एक प्रतिशत भागीदारी सुनश्चिति हो, ताकि दव्यिांगजन के अधिकारों का हनन न हो।
दव्यिांग प्रमाण पत्र नर्गित करने में परेशानी: ओम प्रकाश का कहना है कि दव्यिांग प्रमाण पत्र नर्गित करने में इस समय काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। विशष्टि दव्यिांगता पहचान पत्र बनवाने की प्रक्रिया में स्वास्थ्य विभाग एवं समाज कल्याण विभाग के बीच समन्वय की कमी दिखती है। प्रक्रिया के जटिल होने के कारण दव्यिांगजन यूडीआई प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं। साथ ही, अधिकांश जिलों में गठित मेडिकल बोर्ड में सभी प्रकार के विशेषज्ञ उपलब्ध नहीं हैं, जिससे सभी श्रेणी की दव्यिांगता का प्रमाण पत्र जारी नहीं हो पाता। उनका कहना है कि डॉक्टरों की व्यवस्था हर जिले में होनी चाहिए। कई दव्यिांगजनों को ऑडियो लॉजस्टिकि और मेंटल डिसऑर्डर की जांच करने के लिए दूसरे जिले में जाना पड़ता है। कहीं-कहीं तो उस विभाग के कोई डॉक्टर भी नहीं हैं। दव्यिांग, जो चल-फिर या देख नहीं सकता, ऐसी कुव्यवस्था से सर्टिफिकेशन कैसे बनवा सकता है।
नियुक्ति में आरक्षण नीति का पालन नहीं होता: झारखंड विकलांग मंच के अध्यक्ष अरुण कुमार सिंह और नरेंद्र कुमार का कहना है कि झारखंड में सभी विभागों में नियुक्ति में 4 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान दव्यिांगजन के लिए है, लेकिन इसका लाभ कभी नहीं मिला। उनके अधिकारों का हनन किया जा रहा है। कहा कि देश में समावेशी लोकतंत्र की दिशा में दव्यिांगजनों को प्रतिनिधत्वि देने की नई लहर शुरू हो गई है। तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ और राजस्थान जैसे राज्यों ने स्थानीय स्वशासी संस्थाओं में दव्यिांगजनों को प्रतिनिधत्वि देकर नई मिसाल पेश की है। ऐसे ही झारखंड में भी पहल करने की जरूरत है। दव्यिांगजनों का कहना है कि दव्यिांग बच्चों की शक्षिा के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में दव्यिांग आवसीय वद्यिालय का भी नर्मिाण किया जाना चाहिए। साथ ही सभी प्रखंड में थेरेपी सेंटर और स्कूल खोले जाएं। अभी कई प्रखंडों में सेंटर नहीं हैं। इस प्रकार के केंद्र में दव्यिांगों को शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से सभी का इलाज किया जाता है। शुरुआत में किसी भी प्रकार की दव्यिांगता को थेरेपी द्वारा भी ठीक किया जा सकता है। इन केंद्रों में सभी प्रकार के दव्यिांग का इलाज कई प्रकार के थेरेपी के द्वारा किया जाता है। इस प्रकार के केंद्र में दव्यिांगों को स्पीच थेरेपी, पुनर्वास सेवा, काउंसिलंग और मनोवैज्ञानिकथेरेपी दी जाती है। साथ ही दव्यिांग बच्चों के लिए आवासीय स्कूल सभी प्रखंड में बनाए जाएं।
नि:शुल्क वाहन सेवा उपलब्ध कराई जाए
दव्यिांगों को अन्य राज्य की तरह झारखंड में भी परिवहन सेवा नि:शुल्क मिले। किसी भी प्रकार का रोजगार नहीं मिलने के कारण जीवनयापन करने में थोड़ी परेशानी होती है। कहीं पर भी आने-जाने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इसके लिए राज्य सरकार अन्य राज्यों की ही तरह झारखंड में भी नि:शुल्क परिवहन सेवा उपलब्ध कराए, ताकि दव्यिांग भी आसानी से इधर-उधर आ जा सके।
दव्यिांगों को रोजगार सुनश्चिति करे सरकार
दव्यिांग होने के कारण कहीं पर भी रोजगार के अवसर आसानी से नहीं मिल पाते हैं, जिस कारण जीवनयापन करने में बड़ी समस्या होती है। सरकार के द्वारा दव्यिांगों को भी नौकरी में प्राथमिकता व आरक्षण की सुविधा मिले। दव्यिांगों की आरक्षण श्रेणी में भी बदलाव किए जाएं। अस्थव्यिंग व गति विषयक दव्यिांगता में सबसे पहले जन्मजात व पोलियो दव्यिांग से ग्रस्ति दव्यिांगों को रोजगार में प्राथमिकता मिले।
सरकार से आग्रह- पेंशन की राशि में वृद्धि हो
सरकार की ओर से शुरू से ही दव्यिांगों को पेंशन के रूप में मात्र एक हजार रुपए ही दिए जाते हैं। लगातार महंगाई बढ़ने के बावजूद भी सरकार के द्वारा राशि में किसी भी प्रकार की कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। इस राशि की बढ़ोतरी के लिए दव्यिांग समाज ने कई बार सरकार के समक्ष आदांलोन व प्रदर्शन कर अपनी लड़ाई भी लड़ी है। आजतक राशि में किसी भी प्रकार का कोई बदलाव नहीं किया गया है। दव्यिांग समाज अब सीधे पेंशन राशि पांच हजार रुपए करने की मांग कर रहे हैं। इसे राशि से उनकी आर्थिक स्थिति में भी बदलाव होगा। सभी पेंशन योजना से अलग दव्यिांग पेंशन योजना व राशि की मांग कर रहे हैं।
आरक्षण का नहीं मिलता लाभ
हम दव्यिांगों को इतनी महंगाई में भी मात्र एक हजार पेंशन राशि मिलती है। सरकार के द्वारा किसी भी प्रकार की कोई सहायता या प्रोत्साहन राशि भी समय-समय पर नहीं दी जाती है। एक हजार रुपए में घर चलाना भी काफी मुश्किल हो जाता है। कहीं पर भी कोई रोजगार तक देने के लिए तैयार नहीं होते हैं। दव्यिांगत आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाता है। -ओम प्रकाश चौहान
दव्यिांग अधिकार अधिनियम के आधार पर सभी विभागों और योजनाओं में दव्यिांग को 4% तक का आरक्षण भी दिया जाए। जहां पर भी निजी कंपनियों के द्वारा नियुक्ति होती है, उन सभी निजी कंपनियों के द्वारा आउटसोर्सिंग में नियुक्ति, मॉल, पंचायत-चुनाव और सरकारी दुकानों में भी हमारी भागीदारी सुनश्चिति की जाए। समय-समय पर कार्यशाला का भी आयोजन हो। -अजीत सिंह
राज्य नि:शक्तता आयोग में आयुक्त पद भरा जाए
सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा के राज्य नि:शक्तता आयोग को मजबूत करें। आयुक्त पद भी जल्द भरा जाए। -संजय कुमार
सभी जगह दव्यिांगों से जुड़े कार्यालय ग्राउंड फ्लोर हों। सुगमता के लिए रैंप व व्हीलचेयर की भी व्यवस्था की जाए
-महताब अंसारी
दव्यिांग निधि के साथ योजनाओं की आवंटन प्रक्रिया को भी सरल किया जाए, ताकि आसानी से सभी सरकारी लाभ मिले
-विकास कुमार
सभी जिलों में एक या दो दव्यिांगजन आवासीय वद्यिालय बने। इससे दव्यिांगों को भी शक्षिा के समान अवसर मिलेंगे।
-शिव शंकर सिंह
जिस प्रकार सरकार विधवा पुनर्विवाह के लिए प्रोत्साहन राशि दे रही है। उसी प्रकार शादी के बाद दव्यिांगों को भी मिले।
-कुमारी जन्हिा महतो
मेडल व पुरस्कार लाने वाले दव्यिांग खिलाड़ियों को रोजगार में प्राथमिकता मिले। इससे सम्मान बढ़ेगा और अन्य भी प्रेरित होंगे।
-जुना देवी
दव्यिांगों को पीला राशन कार्ड मिले, ताकि वे अच्छे से जीवन चला सकें। महंगाई बढ़ने से काफी परेशानी हो रही है।
-लालो देवी
दूसरे राज्यों की तरह यहां भी सरकार दव्यिांगों को रोजगार के लिए बैटरी गाड़ी दी। इससे दव्यिांग आगे बढ़ेंगे।
-भावा लिंडा
राजनीति में भी दव्यिांगों की प्राथमिकता मिले। इससे उनका मनोबल बढ़ेगा। उनके अधिकारों की रक्षा भी हो सकेगी।
-भगन ठाकुर
झारखंड में बने दव्यिांग प्रमाण पत्र की जांच हो। दव्यिांगों के प्रमाण पत्र जारी कराने की व्यवस्था को आसान करें।
-धारी कुमारी
दूसरे राज्यों की तरह यहां भी दव्यिांगों के आने-जाने की व्यवस्था फ्री हो। इससे उन्हें काफी राहत मिलेगी।
-जितनी
दव्यिांगों के लिए थेरेपी केंद्र बने। आवासीय स्कूल भी शुरू किया जाए, ताकि दव्बिांग यच्चों को अच्छी शक्षिा मिले।
-रमा उरांव
समस्याएं
1. विशष्टि दव्यिांगता पहचान पत्र व यूडीआईडी बनवाने में स्वास्थ्य एवं समाज कल्याण विभाग के बीच समन्वय की कमी
2. जिलों में दव्यिांग बच्चों की शक्षिा सामान्य स्कूलों में नहीं हो पा रही। आवासीय वद्यिालय भी नहीं
3. दव्यिांगजनों के लिए रोजगार से जोड़ने का प्रावधान,पर किसी विभाग में लागू नहीं किया जाता
4. कार्यालयों, स्कूल, रेलवे स्टेशन आदि स्थानों पर सामान्य व्यवस्था का अभाव
5. महंगाई दर के आधार पर दव्यिांग पेंशन की राशि नहीं बढ़ाई गई
सुझाव
1. शिविर आयोजित कर दव्यिांगता प्रमाण पत्र एवं यूडीआईडी कार्ड नर्गित किए जाएं
2. हर जिले में एक दव्यिांगजन आवासीय वद्यिालय की स्थापना हो एवं किताबों की व्यवस्था की जाए
3. सरकारी नियोजन, स्थानीय नियुक्तियों में 4% भागीदारी तय हो, निगरानी कमेटी का गठन हो
4. सार्वजनिक जगहों पर दव्यिांगों के सुगमता के लिए सुविधाएं बढ़ाई जाएं
5. महंगाई दर के हिसाब से दव्यिांग पेंशन की राशि बढ़ाई जाए। 2500 रुपए मासिक का वादा था
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