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टाटीसिलवे में श्रीमद्भागवत कथा में आखिरी दिन उमड़ी भीड़

टाटीसिलवे में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का समापन हुआ। इंद्रेशजी उपाध्याय ने भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन किया, जिसमें मधुमंगल, केशी वध, कंस उद्धार और सुदामा की मित्रता शामिल थी। कथा के...

Newswrap हिन्दुस्तान, रांचीSat, 22 Feb 2025 08:51 PM
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टाटीसिलवे में श्रीमद्भागवत कथा में आखिरी दिन उमड़ी भीड़

नामकुम, संवाददाता। टाटीसिलवे में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का समापन शनिवार को हो गया। इस दौरान इंद्रेशजी उपाध्याय ने कथा के दौरान मधुमंगल के हास्य प्रसंग, केशी वध, कंस उद्धार, सुदामा की मित्रता, रुक्मिणी विवाह और 16,108 विवाह जैसे महत्वपूर्ण प्रसंगों का वर्णन किया। मधुमंगल और श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं में भक्तों ने हास्य रस का आनंद लिया, जब मधुमंगल ने श्रीकृष्ण से उनके मुकुट और पीतांबर मांगे, ताकि गोपियां उनसे प्रेम करें। वहीं केशी राक्षस के वध की कथा ने भगवान की शक्ति का परिचय कराया। कंस वध के प्रसंग में भगवान के बाल्यकाल की अद्भुत लीलाओं और अत्याचारी कंस के अंत की कथा सुनाई गई। इसके बाद सुदामा और श्रीकृष्ण की मित्रता ने भक्ति और प्रेम का भाव उत्पन्न किया, जब गरीब ब्राह्मण मित्र को श्रीकृष्ण ने अपार वैभव प्रदान किया। इंद्रेश जी महाराज ने रुक्मिणी विवाह और 16,108 विवाह प्रसंग में बताया गया कि भगवान ने रुक्मिणी को हरण कर विवाह किया और बाद में नरकासुर से मुक्त कराई गई 16,108 कन्याओं से विवाह कर उन्हें सम्मान दिया।

फूलों की होली से भक्तों ने लिया वृंदावन का आनंद

कथा के बाद इंद्रेश जी महाराज ने भक्तों के बीच जाकर होली खेली। इस दौरान पूरे पंडाल में फूलों की बौछार होती रही। महाराज जी स्वयं पुष्प टोकरी से फूल उठाकर भक्तों पर फूल बरसाते रहे जिससे माहौल पूरी तरह वृंदावन की होली जैसा हो गया। उन्होंने वृंदावन की होली का जिक्र करते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपने जीवन में प्रेम, आनंद और उत्सव का संदेश दिया। वृंदावन की होली प्रेम और भक्ति का प्रतीक है, जहां राधा कृष्ण संग गोपियां भी आनंदित होती थीं।

रक्तदान शिविर में 162 यूनिट ब्लड संग्रह

श्रीमद्भागवत कथा के दौरान समिति द्वारा रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया था। इसमें कुल 162 यूनिट रक्त संग्रह किया गया। यह रक्तदान शिविर रिम्स ब्लड बैंक और हेल्थ प्वाइंट ब्लड बैंक के सहयोग से लगाया गया था। महाराज जी ने व्यास पीठ से कहा था कि रक्तदान सबसे बड़ा दान है। इससे हम न जाने कितनी जिंदगियों को बचा सकते हैं। यह भी एक सच्ची भक्ति है।

श्रीमद्भागवत कथा से भक्तों को मिली आध्यात्मिक ऊर्जा

श्रीमद्भागवत कथा आयोजन समिति टाटीसिलवे के अध्यक्ष रासेश्वर नाथ मिश्र ने कहा कि इस आठ दिनी कथा महोत्सव में भक्तों ने भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का रसपान किया और उनके जीवन से जुड़े गूढ़ रहस्यों को समझा। टाटीसिलवे में हुए इस पावन आयोजन ने श्रद्धालुओं के हृदय में भक्ति, प्रेम और सेवा का संदेश दिया जो लंबे समय तक उनकी स्मृतियों में अंकित रहेगा।

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