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बोले रांची: 20 साल झेला दर्द, अब 8 माह से मानदेय को तरसे

रांची में ब्लॉक रिसोर्स पर्सन (बीआरपी) और क्लस्टर रिसोर्स पर्सन (सीआरपी) 20 साल से अल्प मानदेय पर काम कर रहे हैं। सरकार ने मानदेय वृद्धि की घोषणा की, लेकिन आठ माह बाद भी भुगतान नहीं हुआ है। इन...

Newswrap हिन्दुस्तान, रांचीFri, 21 Feb 2025 12:18 AM
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बोले रांची: 20 साल झेला दर्द, अब 8 माह से मानदेय को तरसे

रांची, वरीय संवाददाता। राज्य में ब्लॉक रिसोर्स पर्सन (बीआरपी) और क्लस्टर रिसोर्स पर्सन (सीआरपी) शिक्षा का स्तर सुधारने और बच्चों को कैसे गुणात्मक शिक्षा मिले, इसके लिए 2005-2006 से सेवा दे रहे हैं। लेकिन, अल्प मानदेय भुगतान होने और सभी तरह की सरकारी सुविधाओं से वंचित होने से इनका उत्साह अब पस्त होने लगा है। 20 साल से अधिक सेवा देने के बाद अब अपने बच्चों का भविष्य भी नहीं संवार पाने का दर्द इनके माथे की शिकन बन रहा है। शिक्षा विकास के लिए योजनाओं के क्रियान्वयन की बड़ी जिम्मेदारी निभानेवाले बीआरपी-सीआरपी खुद का जीवन खराब कर लेने जैसे अनुभव कर रहे हैं। इतने साल बाद भी जब उनका मानदेय बढ़ा तब भी बीते आठ माह से इसके लिए वे तरस रहे हैं।

सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करनेवाले ब्लॉक रिसोर्स पर्सन (बीआरपी) और क्लस्टर रिसोर्स पर्सन (सीआरपी) सरकारी तंत्र की उपेक्षा से हताश-निराश हैं। उनका कहना है कि 20 साल की सेवा के बाद भी उनको उस स्तर का मानदेय नहीं मिला, जो उनके समकक्ष कार्य करनेवाले परियोजना कर्मियों को मिल रहा है। यही नहीं उनका बहुत बड़ा दर्द है कि 20 साल की सेवा के बाद उनकी मांग पर सेवा शर्त नियमावली 2024 में लागू की गई, जिसके तहत मानदेय वृद्धि को स्वीकृति मिली है। यह अप्रैल 2024 से देय है, लेकिन आठ माह बीत जाने के बाद भी उन्हें इसके लाभ से वंचित रखा गया है।

बीआरपी-सीआरपी का कहना है कि सर्टिफिकेट वेरिफिकेशन के नाम पर पिछले आठ माह से हमें हमारा हक नहीं मिल रहा है। राज्य में बोकारो और धनबाद जिले में सर्टिफिकेट वेरिफिकेशन का काम कर बढ़ा हुआ मानदेय बीआरपी-सीआरपी को मिलने लगा है। हालांकि, यहां भी शत प्रतिशत काम नहीं हुआ है, लेकिन राजधानी रांची में ही जब अभी तक कार्य पूरा नहीं हुआ है तो विभाग की मंशा का अंदाजा लगाया जा सकता है। बीआरपी-सीआरपी, एसएस संघ के प्रदेश अध्यक्ष कृष्णा प्रसाद ने कहा कि बीते 20 वर्षों में हमें शिक्षा विभाग ने अपना कर्मी माना ही नहीं। जिस कार्यालय में कार्यरत हैं वहां के प्यून से भी कम मानदेय पर हमसभी काम कर रहे हैं। बीआरसी नाईट गार्ड को 2023 में सभी प्रकार के भत्ता को मिलाकर 25509 रुपए वेतन मिल रहा है, जबकि इतने वर्षों की सेवा के बाद हमारा बढ़ा हुआ मानदेय प्रशिक्षित सीआरपी को 24500 व अप्रशिक्षित को 22600 रुपए होगा।

वहीं, प्रशिक्षित बीआरपी को 26000 और अप्रशिक्षित को 24500 रुपए मिलेगा। हमारे लिए आर्हता पोस्ट ग्रेजुएट है, जबकि कई पदों पर मैट्रिक स्तर के कर्मियों को हमसे अधिक मानदेय/वेतन मिल रहा है। ऐसे में अपने अंदर की कुंठा को कैसे दबाया जा सकता है। बीआरपी-सीआरपी ने एक स्वर में कहा कि बीते 20 सालों में काम का बोझ बढ़ाने में विभाग ने कोई कमी नहीं की।

संघ के महासचिव नितिन कुमार ने कहा कि विभाग ने 2010 में बीआरपी-सीआरपी में प्रशिक्षित, अप्रशिक्षित ग्रेड बांटकर भी मानदेय का अंतर कर दिया, जिससे उन्हें नुकसान हो रहा है। जबकि, न विभाग ने कभी प्रशिक्षण कराया और न कभी बीआरपी-सीआरपी के खुद के प्रशिक्षण ले लेने की मांग को माना। उनका कहना है कि सरकार ने जो नियमावली लागू की है, उसमें सहायक अध्यापक (पारा शिक्षक) से कम मानदेय नहीं होने की बात है, लेकिन इसे लागू नहीं किया जा रहा है। उनकी मांग है कि जिस प्रकार सहायक अध्यापक (पारा शिक्षक) को प्रशिक्षण कराते हुए सहायक शिक्षक नियुक्ति में 50 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया गया है, उसी तरह बीआरपी-सीआरपी के 20 वर्षों के कार्यानुभव को देखते हुए अवर शिक्षा सेवा नियुक्ति में निर्धारित आयु सीमा में छूट देते हुए 50 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया जाए। इसके अलावा अन्य प्रकार का भत्ता और सामाजिक सुरक्षा दिए जाने की मांग बीआर-सीआरपी ने की है।

दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से प्रशिक्षण की अनुमति मिले

ब्लॉक रिसोर्स पर्सन (बीआरपी) और क्लस्टर रिसोर्स पर्सन (सीआरपी) का कहना है कि हमसभी को दुरस्थ शिक्षा के माध्यम से प्रशिक्षण प्राप्त करने की अनुमति प्रदान की जाए। जिस प्रकार पारा शिक्षकों को पढ़ाई के साथ प्रशिक्षण दिया गया, वैसी ही व्यवस्था बीआरपी-सीआरपी के लिए हो। उनका कहना है कि कोविड संक्रमण काल से अबतक मृत एवं सेवानिवृत्त बीआरपी-सीआरपी को कल्याण कोष की राशि से लाभांवित किया जाए। उनकी मांग है कि चूंकि बीआरपी-सीआरपी का कार्य क्षेत्र भ्रमण कर विद्यालय अनुश्रवण करना है। अत: दुर्घटना बीमा एवं अन्य जीवन बीमा का लाभ प्रदान किया जाए। कहा, हमसभी अत्यंत अल्प मानदेय भोगी कर्मी हैं, इसलिए सरकार के विभिन्न लाभकारी योजना से आच्छादित किया जाए। बीआरपी-सीआरपी ने कहा कि 2005 से अत्यंत अल्प मानदेय एवं बिना भविष्य निधि कटौती तथा समाजिक सुरक्षा के कार्यरत बीआरपी-सीआरपी के लिए सरकार ने प्रखंड साधन सेवी एवं संकुल साधन सेवी संविदा नियम-2024 को स्वीकृति प्रदान की है, जिसे तत्काल प्रभाव से लागू किया जाना चाहिए।

नियमावली में संशोधन की है सख्त जरूरत

अभी पारा शिक्षकों का न्यूनतम मानदेय 24400 रुपए मासिक है। उनका कहना है कि सेवा संविदा नियमावली-2024 में पारा शिक्षकों से अधिक मानदेय भुगतान की बात कही गई है, लेकिन वृद्धि के बाद भी यह पारा शिक्षकों से कम है। इसमें संशोधन की जरूरत है। कहा, उन्हें परियोजना भत्ता, चिकित्सा भत्ता का भी लाभ मिले।

बजट के समय स्वीकृत था पद, बाद में इनकार

कहा, जब राज्य सरकार केंद्र से बजट लेती है, तब बीआरपी-सीआरपी की नियुक्ति के आधार पर बजट का प्रावधान होता है। इस पद के अनुरूप कार्यरत की संख्या दिखाई जाती है, लेकिन वर्तमान में जब भी हमलोग अपनी मांग को लेकर विभाग जाते हैं तो कहा जाता है कि आपका पद सृजित नहीं होने के कारण सभी सुविधाएं लागू नहीं की जा सकती हैं।

20 साल की सेवा के बाद भी हम कर्मी नहीं

उनका दर्द है कि 20 साल की सेवा के बाद भी उन्हें कर्मी नहीं माना जाता है। कहा, सर्व शिक्षा अभियान के तहत हमें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में सहयोगी की भूमिका दी गई थी, लेकिन धीरे-धीरे काम का दायरा बढ़ता गया। सर्वे, यू-डायस प्लस, एमडीएम, एफएलएन और सीएमसी प्रबंधन को प्रशिक्षण देने की जिम्मेदारी भी सौंपी गई।

फैसला लेकर पलटा विभाग

बीआरपी-सीआरपी का कहना है कि बीआरपी सीआरपी से संबंधित कई महत्वपूर्ण निर्णय विभाग ने लिए, लेकिन फिर बाद में उसे वापस ले लिया गया। बीआरपी सीआरपी को सीआरसीसी (क्लस्टर रिसोर्स सेंटर को-ऑर्डिनेटर) बनाने का निर्णय लिया गया था, जिसके तहत उनके लिए वेतनभोगी कर्मी बनाया जाना था। इसके अलावा अप्रशिक्षित बीआरपी सीआरपी को प्रशिक्षण कराना था, जो नहीं कराया गया। शिक्षक नियुक्ति में बीआरपी सीआरपी के लिए पांच प्रतिशत सीट आरक्षित करने का निर्णय लिया गया था, जो फिर लागू नहीं किया गया।

समस्याएं

1. संविदा नियम-2024 के अनुसार वर्धित मानदेय लागू नहीं। सर्टिफिकेट वेरिफिकेशन कार्य के कारण फंसा मामला।

2. अप्रशिक्षित को प्रशिक्षण देने की व्यवस्था नहीं होने से मानदेय में नुकसान सहना पड़ रहा है।

3. एक सम्मानजनक मानदेय और परियोजना कर्मी के समतुल्य कोई सुविधा नहीं मिल रही है।

4. ईपीएफ कटौती नियुक्ति वर्ष से नहीं, भविष्य की सता रही चिंता।

5. न सरकारी लाभकारी योजना न ही दुर्घटना बीमा व सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने की व्यवस्था।

सुझाव

1. सर्टिफिकेट वेरिफिकेशन कार्य के लिए समय तय हो, बढ़े मानदेय का लाभ तत्काल एरियर सहित मिले।

2. अप्रशिक्षिक को प्रशिक्षित करने के लिए विभाग योजना बनाए या खुद के पैसे से प्रशिक्षण की अनुमति दे।

3. नियुक्ति वर्ष से ईपीएफ में कटौती को सरकार माने और बीआरपी-सीआरपी के भविष्य को सुरक्षित करे।

4. राज्य के अन्य कर्मियों की तरह यात्रा चिकित्सा व अन्य भत्ता बीआरपी सीआरपी के लिए भी लागू हो।

5. जो भी फैसले विभाग ने लेकर वापस किए, उसे जल्द से जल्द लागू कराने का काम सरकार करे।

बोले बीआरपी-सीआरपी

वर्ष 2024 के अप्रैल में हमारा मानदेय बढ़ाया गया लेकिन, इतने महीने बीत जाने के बाद भी अभी तक बढ़ें हुए मानदेय का भुगतान शुरू नहीं किया गया है। इसे लागू करने के लिए भी लंबी प्रक्रिया चली थी। हमें जो अनुश्रवन भत्ता मिलता है, वह भी काफी कम है। जिस तरह की हमारी योग्यता है, उस हिसाब से मानदेय नहीं मिल पाता है। हमारे मानदेय में बढ़ोतरी करने की जरूरत है।

-रवींद्र ठाकुर

राज्य में बीआरपी और सीआरपी के कर्मियों को जल्द प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। हमारे लिए विभाग और सरकार ने जो वादे किए है, वह पूरे होने चाहिए। ई-विद्यावाहिनी पोर्टल ठीक से काम नहीं करता है, इससे कर्मियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सरकारी कर्मियों को मिलने वाली सभी सुविधाएं भी हमें मिलनी चाहिए।

-कृष्ण प्रसाद

राज्य सरकार बीआरपी सीआरपी के लिए ट्रेनिंग की व्यवस्था कराए। अन्य शिक्षक-कर्मियों को जो लाभ मिल रहा है वह हमें भी मिले, यह सुनिश्चित हो।

-अरविंद कुमार

जिस प्रकार राज्य में सरकारी कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जाता है, उसी प्रकार हमारे लिए भी व्यवस्था लागू हो। दुर्घटना एवं अन्य जीवन बीमा का लाभ मिले।

-प्रसिद्ध नारायण

बीईईओ की बहाली में हमें 50 प्रतिशत तक का आरक्षण दिया जाए। उम्र सीमा में भी आरक्षण का लाभ मिले। सभी सुविधाएं व लाभ मिले, जिससे एकरूपता दिखे।

-सुबोध प्रसाद

उच्च शिक्षा और योग्यता के आधार पर हमारा चयन होता है। लेकिन, मानदेय सबसे कम मिलता है। इस महंगाई में घर चलाना मुश्किल है। सरकार हमारी ओर ध्यान दे।

-राजेंद्र रजक

राज्य में बीआरपी और सीआरपी सरकारी लाभ से वंचित हैं। राज्य में हमें भी अन्य सरकारी कर्मियों की तरह सुविधाएं मिले। सरकार सभी को समान नजर से देखे।

-कमलाकांत मेहता

बीआरपी और सीआरपी को सम्मानजनक मानदेय और वेतनमान दिया जाए। जो मानदेय निर्धारित है उसका भी समय पर भुगतान नहीं किया जाता।

-नितिन कुमार

विज्ञापन से नियुक्त होने के बावजूद उच्च योग्यता धारी बीआरपी को परियोजना कर्मियों से आधे से भी कम वेतन का भुगतान सरकार करती है। यह त्रुटि दूर करने की जरूरत है।

-पवन कुमार तिवारी

सरकार की सूचनाओं की जानकारी देने के लिए ई-विद्यावाहिनी पोर्टल है। लेकिन, हम जिन स्कूलों में निरीक्षण को जाते है वहां की पूरी जानकारी पोर्टल पर नहीं मिलती।

-के फिरदौस

कर्मियों के लिए पहले बैठक होती थी, लेकिन यह लंबे समय से बंद है। इसके लिए जगह की भी जरूरत है। हमारी मांगों पर विभाग गंभीरता से विचार करे।

-इम्तिजा अंसारी

ंमहंगाई लगातार बढ़ रही है, लेकिन हमारा मानदेय नहीं बढ़ रहा। जो बढ़ा है उसका भी लाभ नहीं मिल रहा है। हमारी परेशानी को सुनने वाला भी कोई नहीं है।

-ललित तिर्की

जिस प्रकार परियोजना कर्मियों को सुविधा और लाभ मिलता है, उसी प्रकार की सुविधाएं और लाभ हमें भी मिलनी चाहिए। हम काफी कम मानदेय पर हैं।

-कुमार रोहित

20 वर्ष से काम कर रहे कर्मियों को जो सुविधा और मानदेय मिलना चाहिए, नहीं मिल रहा है। सरकारी कर्मियों की तरह बीमा, पेंशन आदि की मांग हम सभी कर रहे हैं।

-अब्दुल नासिर

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