बसंतोत्सव में शास्त्रीय गायन हुआ सुरबद्ध तो झूम उठे दर्शक
रांची में प्राचीन कला केंद्र द्वारा आयोजित बसंतोत्सव के दूसरे दिन शास्त्रीय गायन और वादन की प्रस्तुतियां हुईं। रथिन मुखर्जी ने राग जोग से कार्यक्रम की शुरुआत की। सुब्रत डे ने सितार वादन किया, और...
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रांची, वरीय संवाददाता। प्राचीन कला केंद्र की ओर से जेवीएम श्यामली स्कूल के सभागार में आयोजित बसंतोत्सव में दूसरे दिन रविवार को भी कई प्रस्तुतियां हुईं। दूसरा दिन शास्त्रीय गायन और वादन के नाम रहा। शास्त्रीय गायक रथिन मुखर्जी ने राग जोग के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की। उनके साथ तबले पर संजीव पाठक और हारमोनियम पर सुजन चटर्जी ने बेहतरीन संगत दी। सितार वादन में सुब्रत डे द्वारा राग चारुकेसी वादन किया गया, जो तीन ताल विलम्बित और मध्य लय में नव ताल व द्रुत लय तीन ताल के साथ समाप्त हुआ। समापन बेला में निबेदिता ने रागेश्री विलंबित (रूपक) और द्रुत (तीन ताल) राग को सुरबद्ध किया। इसके बाद उन्होंने राग सिंध-भैरवी में एक ठुमरी (नैना मोरे तरस रहे) और राग तिलक-कामोद में एक होरी (रंग डारुंगी मैं नंद के लालन पर) के स्वर लहरों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। इनके साथ हारमोनियम पर सुजन चटर्जी और तबले पर श्रीजीत चटर्जी ने संगत दी।
समापन समारोह में जेवीएम श्यामली के प्राचार्य समरजीत जाना ने कहा कि संगीत आत्मा की भाषा है। जवाहर लाल नेहरू केंद्र की प्राचार्या लिली मुखर्जी ने कहा कि शास्त्रीय संगीत के बिना संगीत की शुद्धता अधूरी है। मौके पर मेकॉन के प्रोजेक्ट निदेशक पीके दीक्षीत, निक्की राज, नेहरू कला केंद्र के सचिव अर्णव बोस मौजूद थे।
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