एबीआरएसएम ने अग्रिम वेतन वृद्धि बंद करने संबंधी यूजीसी पत्र को वापस लेने की मांग की
रांची में एबीआरएसएम ने यूजीसी से वेतन वृद्धि को रोकने वाले पत्र को वापस लेने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह आदेश प्राकृतिक न्याय के खिलाफ है और शिक्षकों को वित्तीय संकट में डाल सकता है। एबीआरएसएम...
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रांची, विशेष संवाददाता। अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ (एबीआरएसएम) ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से हाल ही में जारी उस पत्र को वापस लेने की मांग की है, जिसमें शैक्षणिक कर्मचारियों के एंट्री लेवल पर अग्रिम वेतन वृद्धि को बंद करने का उल्लेख किया गया है। एबीआरएसएम ने कहा है कि यह आदेश प्राकृतिक न्याय के खिलाफ है और देशभर के शिक्षकों व शैक्षणिक कर्मचारियों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करेगा। एबीआरएसएम के अध्यक्ष प्रो नारायणलाल गुप्ता ने कहा कि यूजीसी का यह पत्र यूजीसी विनियम- 2018 के खंड 19.1 के बिल्कुल विपरीत है, जिसे 18 जुलाई 2018 को भारत के राजपत्र में अधिसूचित किया गया था। इस विनियम के अनुसार, पीएचडी डिग्री धारकों को पांच अग्रिम वेतन वृद्धि, एमफिल धारकों को दो और एलएलएम, एमटेक, एमआर्क, एमडी जैसी व्यावसायिक डिग्री रखनेवालों को भी दो अग्रिम वेतन वृद्धि सहायक प्राध्यापक के प्रवेश स्तर पर दी जानी चाहिए। यूजीसी से उद्धृत शिक्षा मंत्रालय का 2.11.2017 का पत्र इन वेतन वृद्धियों को अस्वीकार करता है, लेकिन यह कानूनी रूप से बाध्यकारी यूजीसी 2018 विनियम से पहले जारी हुआ था, इसलिए इसे नीति परिवर्तन का वैध आधार नहीं माना जा सकता।
एबीआरएसएम की महामंत्री प्रो गीता भट्ट ने कहा कि यूजीसी 1998, 2010 और 2018 विनियमों में अग्रिम वेतन वृद्धि का प्रावधान पहले से ही मौजूद रहा है, जिससे यह हालिया स्पष्टीकरण अनावश्यक हो जाता है। उन्होंने कहा कि राजपत्र अधिसूचनाएं भारत सरकार के आधिकारिक और कानूनी रूप से बाध्यकारी दस्तावेज हैं और यूजीसी को एक वैधानिक निकाय होने के नाते इनका पालन करना चाहिए। इस नए आदेश को लागू करने से देशभर के शिक्षकों पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा, जिससे उन्हें आर्थिक संकट और मानसिक तनाव का सामना करना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार के कई कार्यालय ज्ञापनों और उच्च न्यायालयों एवं सर्वोच्च न्यायालय के विभिन्न फैसलों में नियोक्ताओं की ओर से लंबे समय बाद वेतन वसूली की चिंता जताई गई है। अगर यूजीसी का यह आदेश लागू किया जाता है, तो कई प्रभावित शिक्षक कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए मजबूर होंगे, जिससे न्यायिक प्रणाली पर अतिरिक्त भार पड़ेगा। इन कानूनी, वित्तीय और नैतिक चिंताओं को ध्यान में रखते हुए, एबीआरएसएम ने यूजीसी से इस पत्र को तुरंत वापस लेने की मांग की है, ताकि देशभर के शिक्षकों की वित्तीय स्थिरता और अधिकारों की रक्षा हो सके।
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