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बोले रामगढ़ : पानी की किल्लत से बेटियों को नहीं ब्याहते लोग

रामगढ़ जिले के चितरपुर प्रखंड के पसरा टोला में आदिवासी लोग पानी की भारी कमी से जूझ रहे हैं। महिलाएं 3 किलोमीटर दूर कुएं से पानी लाने पर मजबूर हैं। सरकारी नल की पाइपलाइन घरों तक पहुंची, लेकिन पानी नहीं...

Newswrap हिन्दुस्तान, रामगढ़Sun, 27 April 2025 01:35 AM
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बोले रामगढ़ : पानी की किल्लत से बेटियों को नहीं ब्याहते लोग

रजरप्पा।रामगढ़ जिले के चितरपुर प्रखंड के छोटकीलारी पंचायत का आदिवासी बहुल पसरा टोला में मूलभूत सुविधाओं की बात छोड़ भी दे तो यहां की आबादी को पीने के पानी की बूंद-बूंद के लिए मोहताज होना पड़ता है। यहां पर सौ घरों में आदिवासी लोगों की आबादी है। पानी की किल्लत की वजह से दूसरे जगह के लोग अपनी बेटी को यहां पर ब्याहने से हिचकिचाते हैं। लोगों ने ब्लॉक , डीसी कार्यालय के अलावा जनप्रतिनिधियों का द्वार खटखटाया पर कहीं से इन्हें पीने की पानी के उपाय का ख्याल नहीं किया गया। इसे लेकर हिन्दुस्तान के बोले रामगढ़ टीम से पसरा टोला के लोगों ने पेयजल की समस्या और समाधान पर बात की। रजरप्पा। इस मोहल्ले में बसे लोगों की परेशानी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां की महिलाएं अपने घरों से लगभग तीन किलोमीटर दूर एक कुएं में जाते हैं और जरूरत का पानी लाते हैं। इन्हें पानी के लिए 3 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। पानी लाने के क्रम में मायल व रामगढ़ के बीच का रेलवे पटरी पार कर कुआं पहुंचते हैं और पानी लेकर वापसी में भी ने रेलवे पटरी पार कर वे अपने घर तक आते है।

ग्रामीण बताते हैं कि इस दौरान अगर पटरी पर ट्रेन खड़ी रही तो उन्हें ट्रेन के निकलने के लिए माथे में पानी लेकर घंटो इंतजार करना पड़ता है। कई बार तो लंबे समय तक ट्रेन के गुजरने का इंतजार इन महिलाओं को करना पड़ता है। इस रेलवे रूट में कई फास्ट ट्रेन में गुजरते हैं। इनकी स्पीड काफी तेज होती है। इसके वजह से दुर्घटना की संभावना भी हमेशा बनी रहती है। लारी कला पंचायत का यह पसरा टोला करमाली और मुंडा समाज की है। सभी लोग का जीवन यापन लोहे का सामान बनाकर या मजदूरी कर होता है। सभी आदिवासी परिवार गरीबी रेखा से नीचे गुजर बसर करते हैं।

इनकी इतनी आर्थिक हैसियत नहीं है कि ये बोरिंग करवा ले या फिर कुआं खुदवा ले। लारी में जलमीनार बना तो और गरीब परिवारों की आंखों में चमक आई कि अब उन्हें पाने के लिए दर दर तक नहीं भटकना होगा। सरकार ने पानी की टंकी का पाइपलाइन उनके घरों तक जोड़ भी दिया पर पानी की बूंद उनके घरों तक अभी तक नहीं पहुंच पाई है। इस समस्या को लेकर ब्लॉक स्तर और जिला स्तर के छोटे से बड़े अधिकारियों के पास उन्होंने गुहार लगाई फिर भी किसी ने उनकी समस्या को हल नहीं किया। इनके अनुसार सांसद, विधायक, प्रमुख, मुखिया, सरपंच सभी जनप्रतिनिधियों को पानी की समस्या से अवगत कराना कराया पर वर्तमान में समस्या अभी तक भी जस की तस बनी हुई है। समस्या को लेकर हिन्दुस्तान के प्रतिनिधि ने जब वहां की महिलाओं से बात की तो कई महिलाओं का कहना था कि लड़कों के कई रिश्ते इसलिए टूट जाते हैं कि यहां पानी की किल्लत है। हमारे समाज के दूसरे गांव में रह रहे हैं लोगों के बीच यह बात फैली हुई हुई है की अगर अपनी बेटी का ब्याह रामगढ़ जिले के पसरा टोला में किया गया तो बेटी को पाने के लिए कई किलोमीटर दूर का चक्कर लगाना पड़ेगा। इसलिए लोग अपनी बेटियों को यहां पर ब्याहना नहीं चाहते। इस मोहल्ले के आसपास कई आर्थिक रूप से मजबूत लोग भी रहते हैं। कई ने अपने घरों में बोरिंग कर लिया है। उनके घर से पानी सड़क पर बहता है। लोग बताते हैं कि जितनी अपनी लोग सड़कों पर बहा दे रहे हैं इतने पानी से उनकी प्यास बुझ सकती थी। यहां के कुछ युवकों ने जब समस्या तत्कालीन विधायक सुनीता चौधरी को सुनाया तो उन्होंने मामले के गंभीरता को देखते हुए मोहल्ले में बोरिंग करवा कर चापानल ने लगवा दिया। कुछ दिन चापानला के चलने से यहां पर रहने वाले लोगों को राहत मिली। इसके बाद यह चापानल खराब हो गया। इसकी शिकायत कई बार पेयजल विभाग से किया, फिर भी चापानल की मरम्मत करना किसी ने भी उचित नहीं समझा। वर्तमान में यहां के लोगों ने हालात से समझौता करते हुए इसे नियति मानकर अपना काम कर रहे हैं।

गरीबों का आशियाना बना है पसरा टोला

छतरपुर प्रखंड के लारी का किला पंचायत स्थित पसरा टोला की सभी आबादी गरीबी रेखा से नीचे गुजर पसार करने वालों की है। इनका मुख्य पैसा लोगों को लोहे का समान बनाकर देना होता है। आर्थिक रूप से कमजोर होने की वजह से यहां की शिक्षा व्यवस्था भी काफी कमजोर है। यहां के बच्चे या तो सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं या पढ़ते ही नहीं है और थोड़े से बड़े होने पर काम पर लग जाते हैं। लोहे के समान बनाने का अलावा युवक बाहर मजदूर का भी काम करते हैं। औरतें चूल्हा चौकी करती है। इस काम के लिए सबसे जरूरी चीज पानी के लिए भटकना पड़ता है।

साफ सफाई का घोर अभाव है मोहल्ले में

पसारा टोला में साफ सफाई का घोर अभाव है। मोहल्ले के आसपास गंदगी फैला रहता है। पंचायत स्तर पर साफ सफाई की व्यवस्था सरकार के निर्देश के बावजूद यहां के लोग गंदगी में ही रहने को मजबूर है।मोहल्ले में कई जगहों पर नाली का निर्माण बहुत जरूरी है। नाली नहीं रहने से घर से निकला पानी जहां तक फैल कर मोहल्ले को और गंदा करती है। पानी की किल्लत की वजह भी साफ-सफाई कर असर डालती है। लोहे के समान बनाने वाले कारीगर गंदगी के बीच में ही अपना काम करते हैं। स्थानीय लोगों ने कई जगहों को चिन्हित कर सरकार से नाली निर्माण की मांग की है।

स्वास्थ्य सुविधा का है घोर अभाव

मोहल्ले के रहने वाले लोगों के लिए स्वास्थ्य सुविधा एक बड़ी समस्या हमेशा से बनी है। आस-पास कोई स्वास्थ्य केंद्र नहीं रहने की वजह से यहां के ग्रामीण सदर अस्पताल रामगढ़ पर निर्भर रहते हैं। छोटी मोटी बीमारी होने से क्षेत्र के झोला छाप डॉक्टर से सहायता लेते है।बड़ी शारीरिक समस्या होने पर सदर अस्पताल की शरण लेनी पड़ती है। आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण ग्रामीण निजी अस्पतालों में नहीं जा सकते है। कई बार इलाज के अभाव में ग्रामीण दम तोड़ देते हैं। स्थानीय लोगों की मांग है कि यहां रहने वाले गरीब लोगों को सरकारी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराया जाए।

रोजगार के अभाव में होता है पलायन

यहां की अधिकतर आबादी शिक्षा से दूर है। रोजगार नहीं मिलने की वजह से यहां के युवकों को पलायन करना पड़ता है। मोहल्ले के कई युवक है जो रोजगार की तलाश में दिल्ली, मुंबई, कर्नाटक, बेंगलुरु आदि जगहों में काम कर रहे है। कुछ युवक अरब देशों में मजदूरों के लिए गए हैं। अपने गांव से पलायन कर यहां के युवक बाहर कमाते हैं और अपने घरों में पैसा भेजते हैं ताकि उनके बच्चों का जीवन यापन अच्छे से हो सके। अधेड़ वृद्ध हो चुके लोग लोहे के सामान बनाकर अपना जीवन यापन करते हैं। मोहल्ले के वृद्ध महिलाओं और पुरुष का कहना है कि अगर सरकार यहीं पर रोजगार उपलब्ध करा दें तो बाहर जाने की क्या जरूरत है।

सिर्फ गर्मी ही नहीं सालों भर पानी की समस्या रहती है। गर्मी में एक एक बाल्टी पानी काफी कीमती हो जाता है। सारा दिन पानी की व्यस्था में इधर उधर भटकते है। -रामलोचन करमाली

सिर्फ पानी ही नहीं शिक्षा स्वास्थ्य जैसी समस्या से हैं भी हम जूझ रहे हैं हम कोई देखने वाला नहीं है। जनप्रतिनिधि भी हमारी समस्या का सामाधान नहीं कर रहे। -बबलू करमाली

हम करमाली समाज लोहे का औजार बनाते हैं। हमें प्रशिक्षण मिले तो हम अपनी आर्थिक स्थिति बेहतर कर सकते हैं। इसके अभाव में यहां के युवा पलायन करने को मजबूर हैं। -रंजीत करमाली

हमारे मोहल्ले की समस्या इतनी गहरी है कि बाहर वाले लोग हमारे यहां बेटी देना भी पसंद नहीं करते। कुआरे लड़कों की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है। जिनकी शादी भी नहीं हो रही। -फुलिया देवी

मोहल्ले में साफ सफाई का घोर अभाव है। बरसात के दिनों में यह मोहल्ला नरक बन जाता है। यहां से गुजरने पर सड़ांध की बदबू आति है। नाक पर कपड़ा रखने से भी काम नहीं चलता। -दुलारो देवी

सामाधान के लिए जिला, ब्लॉक सभी जगह दौड़ दौड़ कर थक गए हैं हमारे समस्याओं का समाधान नहीं होता। जनप्रतिनिधि भी हमारी समस्या पर ध्यान नहीं देते हैं। -जुगनू करमाली

टोले के घरों में पाइपलाइन पहुंचा है पर आज तक हमें पाइप से पानी नहीं मिल पाया है। इसपर पूछने पर भी कोई सही जवाब भी नहीं देता। हम कहां जाएं। -कैलाश करमाली

हम महिलाएं तीन किलोमीटर दूर जाकर पानी लाते हैं। आप अनुमान लगा सकते हैं कि हम किस कष्ट से गुजर रहे हैं। यह पीड़ा कोई नहीं समझ सकता। -रामो देवी

पानी लाने तीन किलोमीटर दूर जाते हैं। इसके लिए रेलवे की पटरी पार करनी होती है। कई बार दुर्घटनाओं से बचें, क्योंकि रेलवे ट्रैक पर फास्ट रेलगाड़ी भी चलती है। -सुभासो देवी

पानी लाने के दौरान अगर रेलगाड़ी खड़ी हो तो हमें इसके लिए घंटो तक इंतजार करना पड़ता है। रेलगाड़ी के गुजरने जाने के बाद हम पानी लेकर वापस आते हैं। -कुंती देवी

आसपास रोजगार नहीं मिलने के कारण मोहल्ले के युवा बाहर कमाने चले जाते हैं। इससे हमें कई परेशानी का सामना करना पड़ता है। हमारी कोई नहीं सुनता। -उगनी देवी

मोहल्ले में कई समस्या हैं लेकिन पानी की समस्या सबसे बड़ी है। इस समस्या को दूर करनेवाले का हम हमेशा कर्जदार रहेंगे। कई बार कहा पर किसी ने नहीं सुना। -रुपेश कुमार

इतनी बड़ी आबादी को अपनी शिक्षा स्वास्थ्य जैसी सुविधाएं नहीं मिल रही है। यह चिंता का विषय है। सांसद मनीष जायसवाल से मिलकर इन समस्याओं को और हाल में दूर करेंगे। मामले में जिले के वरीय अधिकारियों से भी बात करके ग्रामीणों को लाभ दिलाने का प्रयास किया जाएगा ताकि जल्द से जल्द यहां के लोगों को इसका फायदा मिल सके।

- राजीव जायसवाल, सासद प्रतिनिधि

हमारा मोहल्ला आदिम युग में जी रहा है। सालों भर पानी कितनी बड़ी समस्या देश के किसी हिस्से में नहीं होगी। समस्याओं को देखते हुए कोई हमारे यहां बेटी भी ब्याहने के लिए तैयार नहीं है। पूरे मुहल्ले में पाइप लाइन बिछा हुआ है उसके बाद भी कही भी पानी नहीं मिलता है। विभागीय अधिकारियों से जब इस संबंध में बात की जाती है तो कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिलता।

- गौतम करमाली, समाजसेवी

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