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बोले रामगढ़ : जहां पड़े थे प्रभु के चरण, वहां चलने के लिए सड़क ही नहीं

कुजू के चरण पहाड़ीधाम में 500 वर्ष पूर्व श्रीचैतन्य महाप्रभु का आगमन हुआ था। 30 वर्ष पूर्व यहां मंदिर का निर्माण किया गया, लेकिन सुविधाओं की कमी है। कच्ची सड़क, बिजली और पेयजल की व्यवस्था का अभाव है।...

Newswrap हिन्दुस्तान, रामगढ़Mon, 24 Feb 2025 05:13 AM
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बोले रामगढ़ : जहां पड़े थे प्रभु के चरण, वहां चलने के लिए सड़क ही नहीं

कुजू, राकेश पांडेय कुजू के एनएच-33 से दो किलोमीटर दूर पहाड़ों पर स्थित चरण पहाड़ीधाम की अपनी अलग पहचान है। करीब पांच सौ वर्ष पूर्व श्रीचैतन्य महाप्रभु का यहां आगमन हुआ था। इसके बाद यह स्थल का नाम स्थल चरण पहाड़ीधाम पड़ा। करीब 30 वर्ष पहले महंत प्रेमदास ने यहां मंदिर का निर्माण किया था। लेकिन मंदिर में मूलभूत सुविधाओं का अभाव हैं। पहाड़ों पर बसे इस धाम तक पहुंचने के लिए कच्ची सड़क है। इसके अलावा यहां न बिजली है और न ही पेयजल की व्यवस्था। शौचालय नहीं रहने से लोग पहाड़ों के पीछे शौच करने को मजबूर हैं। हिन्दुस्तान ने यहां के लोगों से उनकी समस्याओं को जानने का प्रयास किया।

कोयलांचल कुजू की पावन धरती अपनी पहचान केवल विभिन्न कोलियरियों के फैले जाल और एशिया प्रसिद्ध कोयला मंडी से ही नहीं बल्कि इसकी पहचान में कुजू तीन नंबर का चरण पहाड़ीधाम से भी है। यह धाम क्षेत्र में एक प्रमुख स्थान रखता है। एनएच 33 से महज दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित झाड़ियों, पेड़ों, पहाड़ों व दुर्गम मार्ग के बीच चरण पहाड़ीधाम श्री चैतन्य महाप्रभु के पदचिह्नों की अमिट छाप की वजह से पूजनीय व अभिनंदनीय है। यह स्थल अब तक न तो अध्यात्म और न ही पर्यटन के दृष्टिकोण से विकसित और चर्चित हो पाई है। यही वजह है कि श्रीकृष्ण भक्तों के बीच ही इसकी पहचान और सम्मान का भाव वर्तमान में है।

इसे विकसित कर न सिर्फ आध्यात्मिक बल्कि पर्यटन व पिकनिक के दृष्टिकोण से राज्य व जिले को एक अनूठी संगम स्थली मिल सकता है। वहीं यह राज्य के राजस्व प्राप्ति का भी एक प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित होगा। यहां ब्रजधाम वृंदावन के राधाकुंड श्यामकुंड रघुनाथ दास गोस्वामी गद्दी के गद्दीनशीन पीठाधीश्वर महंत केशव दास महाराज ने श्री चैतन्य महाप्रभु के प्रेम अवतार के बारे में बताया कि 533 वर्ष पूर्व यहां श्रीचैतन्य महाप्रभु के चरण पड़े थे। इसी कारण यह स्थली युगों युगों तक पूजनीय व वंदननीय रहेगी। उन्होंने कहा कि 30 वर्ष पूर्व यहां मंदिर का निर्माण कराया गया था। उन्होंने कहा कि श्रीचैतन्य महाप्रभु इस घनघोर जंगली रास्ते से पुरीधाम से वृंदावन जाने के क्रम में जंगली पशु पक्षियों व सर्प व विभिन्न प्रकार के हिंसक पशुओं को हरिनाम सुनाते हुए नृत्य व भजन किया था। इस दौरान श्रीचैतन्य महाप्रभु के चरण का स्पर्श वहां सो रहे एक शेर से हुआ। इस दौरान वह शेर कृष्ण कृष्ण बोलते हुए नृत्य करने लगा।

इस दौरान श्रीचैतन्य महाप्रभु शेर, हिरण, सर्प मयुर व अन्य हिसंक पशु पक्षियों को आलिंगन करते हुए प्रेम बरसाया। इस अदभुत दृश्य को देखकर त्रेता युग में श्रीरामचंद्रजी अशुरों का संहार किया। द्वापर में श्रीकृष्णजी असुर दैत्य दानव का संहार कर अपना ब्रज प्रेम मुरली वादन वंशी वादन से प्रेम का विस्तार किया। कलयुग में श्रीचैतन्य महाप्रभु ने अवतार लेकर चरण पहाड़ी के इस स्थल पर प्रेम की धारा न्योछावर किया। इसमें गरीब, कंगाल, दुखी, अधीर बधिर, पेड़ पौधा, अजगर, हाथी के साथ चट्टान के ऊपर एकत्रित होकर जब उनके रूप को देखा व हरिनाम का सुमिरन किया तो चट्टान भी उस प्रेमभाव में पिघल गया। यही चरण की छाप यहां बरकरार है। वास्तव में वे स्वयं जगन्नाथ पुरुषोतम थे। लेकिन ऐसे पावन स्थली को अब तक पहचान न मिल पाना क्षेत्र के विकास के मार्ग को अवरुद्ध कर रखा है। इस स्थली को विकास कर न सिर्फ करोड़ों करोड़ श्रीकृष्ण भक्तों की आस्था का सम्मान किया जा सकता है।बल्कि सनातन धर्म के गहरे पैठ की स्वीकार्यता को भी अंगीकार करते हुए इसे मूर्त रूप दे सकते हैं। मनमोहक प्राकृतिक छटा से आच्छादित यह स्थली वास्तव में झारखंड राज्य के एक अमित धरोहर के रूप में है। इसे राज्य के अध्यात्म व पर्यटन के नक्शे पर लाकर जंगल में छिपी इस आस्था और आकर्षण के केंद्र तक आमजन की पहुंच बनाई जा सकती है।

इस धाम को प्रचलित करने के लिए 30 वर्ष महंत प्रेमदास बाबा के नेतृत्व में मंदिर का निर्माण कराया गया था। लेकिन यहां आज मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है। यहां पहुंचने के लिए पथ नहीं है। पगडंडियों के सहारे मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। वहीं मंदिर में शौचालय नहीं होने से महिलाओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वे जंगल के किनारे शौच को मजबूर हैं। साथ ही यहां न तो पेयजल की व्यवस्था और न ही बिजली की। रात ही मंदिर के आसपास अंधेरा छा जाता है। वहीं मंदिर के विकास होने से यहां श्रद्धालुओं के आने का तांता लगा रहेगा। इससे आसपास के बेरोजगारों को रोजगार भी मिल सकेगा और वे अपना घर-परिवार आसानी से चला सकेंगे।

चरण पहाड़ीधाम में मूलभूत सुविधाओं का है अभाव

कुजू के चरण पहाड़ीधाम के आसपास के इलाके में सरकारी योजना का न पहुंच पाना यहां आने वाले लोगों को कचोटता है। यही वजह है कि जंगली रास्ते, पहाड़ी व टीलेनुमा स्वर्निमित सड़क के रास्ते यहां अपनी आस्था के व्यक्त करने को लोग तो बरबस चले आते हैं। किंतु उन्हें यहां पहुंचने और मूलभूत सुविधाओं के अभाव का भी सामना करना पड़ता है। इससे उनकी आस्था को ठेस पहुंचती है। वहीं राज्य सरकार व जिला प्रशासन समेत स्थानीय सीसीएल प्रबंधन के प्रति भी नफरत का भाव उत्पन्न होता है। वहीं इसका सबसे ज्यादा सामना महिलाओं को करना पड़ता है। इससे उनकी धार्मिक भावना आहत होती है।

पहाड़ी चरणधाम के विकास से स्थानीय को मिलेगा रोजगार

कुजू कोयलांचल के जंगल पहाड़ों के बीच हेसागढ़ा नदी के किनारे अवस्थित बंदराचुआं का इलाका चरण पहाड़ीधाम के रूप में जाना जाता है। यहां की भौगोलिक स्थिति मनमोहक होने के साथ ही लुभावनी भी है। यहां जंगली रास्ते व टीलेनुमा पहाड़ों पर उभरे श्रीचैतन्य महाप्रभु के पदचिह्न शांति के साथ सुकुन प्रदान करती है । इससे धार्मिक आस्था को बल मिलता है। इसका क्षेत्र के विकास में अहम योगदान होता है। इस स्थली की मिश्रित छटा आमजन को तो लुभाती ही है, विकसित कर इसे राज्य के चुनिंदा पर्यटनस्थल में भी सुमार किया जा सकता है। यहां व्यवसाय व रोजी रोजगार के भी असीम संभावनाएं हैं। वसुधैव कुटुंबकम की अवधारणा के साथ बस इसे तरीके से विकसित करने और सुव्यवस्थित करने को लेकर गंभीरता पूर्वक सोचना होगा। तभी पर्यटकों को लुभाती यह स्थली की अहमियत जग जाहिर हो सकेगा।

शौचालय नहीं होने से होती है परेशानी

कुजू के चरण पहाड़ीधाम के आसपास शौचालय की व्यवस्था नहीं होने से श्रद्धालु, साधु संतों के साथ-साथ आमजन को परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसका सीधा असर यहां पहुंचने वाले भक्तों की आस्था पर पड़ती है। यहां आने भक्तों को अपने स्तर से प्रशाधन की जरूरत पड़ने पर व्यवस्था बहाल करनी पड़ती है। इसके लिए आसपास के झाड़ीनुमा स्थल के साथ ही टीले व पहाड़ी स्थल ही एकमात्र सहारा बनता है। इससे आसपास के इलाके में गंदगी फैलकर स्वच्छता अभियान व खुले में शौच से मुक्त इलाका होने के दावे को झूठा साबित होता है। ऐसे में महिलाओं को जरूरत पड़ने पर काफी परेशानी उठानी पड़ती है। दुर्गंध के कारण कई श्रद्धालु यहां से जितनी जल्दी हो वापस जाने का प्रयास कर रहे हैं। इसके लिए सभ्य समाज के लोगों के साथ समाजसेवियों को भी आगे आने की जरूरत है।

इनकी भी सुनिए

अवतारी पुरुष श्रीचैतन्य महाप्रभु के चरण स्थली की ओर सरकारी सरकार ने कभी ध्यान नहीं दिया है। इसीका नतीजा है कि इस पवित्र स्थल को आजतक विकास करने की ओर ध्यान ही नहीं दिया गया। जबकि इस स्थल का राज्य के तत्कालीन पर्यटन सचिव रहे अरुण कुमार सिंह, रामगढ़ की डीसी राजेश्वरी बी और वर्तमान डीसी चंदन कुमार ने देखने के बाद इसके विकास को लेकर योजना बनाने का आश्वासन दिया था। लेकिन इस ओर कोई पहल नहीं की जा रही है।

-केशव दास महाराज, गद्दीनशीन पीठाधीश्वर महंत

चरण पहाड़ीधाम तक जाने वाले रास्ते को बनाने को लेकर काफी प्रयास किया गया है।पूर्व के मुखिया अशोक कुमार के कार्यों को आगे बढ़ाते हुए कुजू पूर्वी पंचायत की वर्तमान मुखिया ललिता कुमारी ने अपने स्तर से क्षेत्र के कसेराधौड़ा से तीन नंबर कॉलोनी तक 98 लाख 55 हजार रुपए की लागत से पीसीसी सड़क बनाने का काम शुरू कराया है।किंतु दुर्भाग्य की बात है कि ठेकेदार बीच में काम बंद कर चलता बना है।उन्होंने इस पवित्र स्थली के विकास के लिए हर संभव कार्य करने का भरोसा दिलाया है।

-ललिता कुमारी, मुखिया, कुजू पूर्वी पंचायत

चरण पहाड़ीधाम का हो समुचित विकास

धार्मिक और पर्यटन के साथ ही मनमोहक छटा की धनी कुजू चरण पहाड़ीधाम के विकास के मामले में शून्य से शुरू करते हुए शिखर तक पहुंचाना होगा। तभी ऐतिहासिक धरोहर संजोए पहचान से वंचित यह स्थली देश और राज्य ही नहीं बल्कि विश्व पटल पर सामने आएगी।-कृष्णा दुबे, वृंदावन

प्रभु के पदचिह्नों का दीदार करने से जहां आत्मा को सुकून का अनुभव होता है। किंतु यहां आने के लिए सड़क का न होना शर्मिदगी का भाव उत्पन्न करता है। इसके लिए राज्य सरकार को विशेष रुचि लेते हुए विकसित करने के संबंध में सेाचना चाहिए।

-वृंदावन दास, बृजधाम

श्रीचैतन्य महाप्रभु के लीला स्थली चरण पहाड़ीधाम के महात्मय से अब भी पूरा क्षेत्र अनभिज्ञ है। इस परम पवित्र स्थल के बारे जब स्थानीय लोग ही नहीं जानते हैं तो दूसरे राज्यों व देशों में बसे करोड़ों करोड़ सनातनियों के लिए भी यह स्थल एक अनबुझी पहेली है।—धरणीधर बाबा, वृंदावन

झारखंड की सरकार को इस ऐतिहासिक धरोहर को संजोने और विकसित करने के प्रति रुचि लेनी चाहिए। इसका फायदा केवल श्रीचैतन्य महाप्रभु के भक्तों व श्रीकृष्ण प्रेमियों को ही मिलेगा। सरकार के आय बढ़ाने में यह धार्मिक स्थल काफी लाभकारी सिद्ध होगा। -अनिल भल्ला, नवी मुंबई बेलापुर

स्थानीय निवासी सह पंचायत के पुर्व मुखिया ने यहां विकास कार्यों को तत्काल पूरे गति के साथ उतारने की बात कही। कहा कि यह स्थल वर्तमान में कम्प्यूटर व इंटरनेट युग के दौर में भी अब तक विकास से कोसों दूर है। ऐतिहासिक धरोहर में से एक है।

-श्याम कुमार सिंह, कुजू कोलियरी

इस ऐतिहासिक धर्मस्थली के साथ - साथ पिकनिक स्थली के विकास के लिए पूर्व मुखिया ने अपने स्तर से प्रयास किया। किंतु रामगढ़ के तत्कालीन डीसी राजेश्वरी बी ने इसमें रूचि दिखाई।बाद में यहां के विकास के लेकर बनाई गई योजना आज भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।-अशोक कुमार, मुरपा कुजू

चरण पहाड़ीधाम के निकट रहना सौभाग्य की बात है। किंतु हैरानी तब होती है जब धार्मिक लिहाज से विकसित नहीं किया जा सका है। पवित्र स्थली जिले के साथ ही राज्य के नक्शे में आ गई है। इसका समुचित विकास कर मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराई जाए।

-हेमंत कुमार सिंह, कुजू कोलियरी

कुजू कोयलांचल का सौभाग्य है कि ऐसे ऐतिहासिक धरोहर हमारे आसपास है। इसका पूरी तरह विकास कर झारखंड समेत दूसरे राज्यों से आने वाले प्रभु श्रीकृष्ण के भक्तों को इस पवित्र स्थली के दर्शन पूजन करने में सहयोग प्रदान करें।

-शंभुलाल ठाकुर, मुरपा कुजू

आस्था और आकर्षण के समागम स्थल चरण पहाड़ीधाम के विकास के लिए राज्य सरकार जरूरी पहल करे और धार्मिक स्थल के रूप में विकसित करें। इसके विकास से क्षेत्र में धर्म के प्रति लोगों की आस्था जगेगी और लोगों को रोजगार का साधन भी उपलब्ध हो जाएगा। -गोपाल ठाकुर, कुजू डटमामोड़

क्षेत्र के लोगों के लिए यह चरण पहाड़ी धाम आस्था के साथ ऐतिहासिक धरोहर के रूप में कायम है। इस स्थल को विकसित कर कोयलांचल की कालिमा के बीच आस्था के रूप में छिपे हीरे को सार्वजनिक करने व पर्यटन को बढ़ावा देकर रोजी रोजगार के वै्ल्पिपक अवसर प्रदान करने की जरूरत है। -राजेश रौशन, कुजू

चरण पहाड़ी को विकसित करने से क्षेत्र को एक नई पहचान मिलेगी। कोयलांचल कुजू की अब तक की पहचान कोयला मंडी, ट्रांसपोर्ट कंपनियों की जाल व रोड सेल के लिए चर्चित रही है। वहीं चरण पहाड़ी क्षेत्र में धर्म ध्वजा का वाहक बनकर उभरेगा।

-सुधान सिंह, डटमामोड़ कुजू

चरण पहाड़ी धाम की पवित्रता और भक्तों की आस्था का सम्मान के लिए इस स्थल को विकसित करने की जरूरत है। यह स्थल वास्तव में सुकून और शांति प्रदान करने वाला है। राज्य की सरकार को राजस्व प्राप्ति का एक नया अवसर यहां से मिल सकेगा।

-रूबी पाठक, अंबिकापुर

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