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शहर में पानी नहीं और डैम से बहाया जा रहा

मेदिनीनगर के कचरवा डैम का पानी अनावश्यक रूप से बह रहा है, जिससे क्षेत्र में जल संकट उत्पन्न हो रहा है। पिछले दो वर्षों से स्थानीय निवासियों को पानी की कमी का सामना करना पड़ रहा है। मोहल्ले के लोग डैम...

Newswrap हिन्दुस्तान, पलामूTue, 25 Feb 2025 12:46 AM
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शहर में पानी नहीं और डैम से बहाया जा रहा

मेदिनीनगर के बारालोटा और पोखराहा मोहल्ले के बीच स्थित कचरवा डैम का निर्मल पानी गेट खुला होने के कारण नदी के निचले स्ट्रीम में बहकर बर्बाद हो रहा है। जबकि इसी पानी के लिए कचरवा डैम के चौतरफा बसी करीब 600 से अधिक घरों की आबादी गर्मी के महीने में परेशान हो जाती है। पिछले दो साल इस मोहल्ले के लोगों ने भी पानी का भीषण संकट झेला है। हिन्दुस्तान अखबार के बोले पलामू अभियान में मोहल्ले के निवासियों ने खुलकर अपनी समस्याएं रखीं और समाधान के उपाय बताए। मेदिनीनगर। मेदिनीनगर के पांकी रोड में तेजी से बड़े संस्थानों का परिसर विससित हो रहा है। पूर्व से गणेश लाल अग्रवाल कॉलेज पांकी रोड में बारालोटा मोहल्ले में स्थित है। इसी मोहल्ले में नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय का परिसर भी विकसित हो रहा है। बारालोटा के से सटे पोखराहा में मेदिनी राय मेडिकल कॉलेज अस्पताल, जवाहर नवोदय विद्यालय, केंद्रीय विद्यालय का परिसर विकसित हो रहा है। इन संस्थानों को पेयजल और अन्य कार्यो के लिए बड़ी मात्रा में पानी की आवश्यकता है। इसकी मांग शुरू भी हो चुकी है। वर्तमान में एनपीयू और जीएलए कॉलेज परिसर पेयजल संकट से जूझ रहे हैं जबकि मेडिकल कॉलेज गत वर्ष टैंकर से जलापूर्ति कर कुछ हद तक जलसंकट को नियंत्रित किया गया था। कचरवा डैम में इनटेक वेल बनाकर मेडिकल कॉलेज में जलापूर्ति शुरू कर दी गई है। बावजूद इसके कचरवा डैम का जीर्णोद्धार और उसमें पर्याप्त मात्रा में पानी संग्रह करने के उदासीनता बरती जा रही है।

करीब चार दशक पहले गुरियाही नदी पर लघु सिंचाई विभाग की ओर से बारालोटा और पोखराहा मोहल्ले की सीमा पर बनाया गया कचरवा डैम में अभी भी काफी मात्रा में पानी है। इसमें जल में विचरण करने वाली पक्षियां कलरव करते हुए आम पर्यटन प्रेमियों को काफी आकर्षित करते हैं। 2017 में मेदिनीनगर नगर पर्षद के अपग्रेडेशन के निमित किए गए क्षेत्र विस्तार के क्रम में बारालोटा और पोखराहा मोहल्ले को भी शहरी क्षेत्र में समाहित कर लिया गया है। इससे कचरवा डैम भी अब नगर निगम क्षेत्र में आ गया है। बावजूद इसके कचरवा डैम के मिट्टी का अवैध उत्खनन, जमीन का अतिक्रमण आदि बदस्तूर जारी है। कचरवा डैम के पास बसे मोहल्ले में कमला नगर के महादेव पथ निवासी राजेश कुमार शर्मा ने बताया कि वे 1984 से इस मोहल्ले में रहते आ रहे हैं। उनके घर के कुंए में चार-पांच फीट पर पानी आ गया था परंतु अब बोर में 50 फीट से नीचे पानी है। मोहल्ले की स्थिति यह बन गई है कि किसी-किसी घर में 600 फीट तक बोर कराना पड़ रहा है। मोहल्लावासी बुजुर्ग नंदलाल शर्मा, शैलेश कुमार पांडेय, अरूण कुमार सिंह ने कहा कि मोहल्लेवासी नाली और सफाई की समस्या खुद हल कर लेंगे परंतु प्रशासन हर हाल में डैम का जीर्णोद्धार कराकर जल-संचय सुनिश्चित करे। आने वाले समय में केवल कमला नगर ही नहीं पूरे क्षेत्र में जलसंकट गंभीर रूप ले सकता है। इसके लिए कचरवा डैम को बचाना बेहद आवश्यक है। कचरवा डैम का जीर्णोद्धार और अतिक्रमण मुक्त कराकर इसे पर्यटन की दृष्टि से भी बेहतर डेस्टिनेशन बनाया जा सकता है। आसपास में करीब 25 हजार की आबादी निवास करती है। मेदिनीनगर कोर सिटी से भी कचरवा डैम तक आना-जाना बेहद आसान है। एनएच-39 का फोरलेन मेदिनीनगर बाइपास डैम के पास से होकर गुजर रहा है। इसके कारण इस डैम का महत्व काफी अधिक बढ़ गया है। बड़ा खुला क्षेत्र होने के कारण मोहल्ले का वातावरण अब भी काफी सुंदर है। परंतु उपेक्षा और अतिक्रमण इसे बर्बाद कर सकता है। मोहल्ले के लोगों ने कहा कि सड़क, स्ट्रीट लाइट, नाली निर्माण के प्रति नगर निगम प्रबंधन ने अबतक समुचित ध्यान नहीं दिया है। मोहल्लेवासियों को इसके लिए कोई अफसोस नहीं है परंतु 144 एकड़ में फैले कचरवा डैम को अगर नहीं बचा सके तो आने वाली पीढ़ियों को जवाब देना मुश्किल होगा। कचरवा डैम का जीर्णोद्धार होने से क्षेत्र को जलसंकट से भी काफी हद तक राहत मिल सकेगी।

लगातार गिरता जा रहा है क्षेत्र का भूगर्भ जलस्तर

कचरवा डैम की उपेक्षा का परिणाम यह रहा कि इससे क्षेत्र का भू-गर्भ जल स्तर लगातार खिसकता चला गया। यहां के बासिंदों ने बताया कि जब डैम लबालब भरा रहता था तो 1984 में महज 14 फीट नीचे ही पानी का भरपूर स्रोत मिल जाया करता था। कुछ वर्ष पूर्व तक भी 50 फीट तक बोरिंग कराये जाने पर उपयोग के लिए पर्याप्त पानी निकल जाता था। किंतु अब स्थिति यह है कि 600 फीट तक बोरिंग कराने के बाद भी पानी नहीं निकल रहा है। डैम के संरक्षण की दिशा में किसी भी स्तर पर पहल नहीं किये जाने से पूरा क्षेत्र ही ड्राई जोन में तब्दील होता जा रहा है।

व्यवसायिक उपयोग से लोगों को मिलती मदद

आसपास के लोगों ने बताया कि गर्मी के मौसम में डैम के ईद-गिर्द पेयजल के लिए हाहाकार मच जाया करता है। इसके बाद भी डैम का पानी अनावश्यक रूप से बहाया जाना पूरी तरह से अव्यवहारिक कदम है। यदि पानी का संचय कर डैम में मत्स्य पालन आदि व्यवसायिक प्रयोग को बढ़ावा दिया जाए तो इससे समीपवर्ती रहने वाले नागरिकों को काफी राहत मिलेगी। बढ़ती बेरोजगारी के दौर में विशेषकर युवाओं को इससे काफी मदद मिलेगा। साथ ही यह राजस्व प्राप्ति का भी स्थाई स्रोत बन सकता है। इससे क्षेत्र के सभी लोगों को काफी सहूलियत होगी।

भू-माफियाओं की नजर

डैम के बड़े हिस्से पर अतिक्रमण कर लिया गया है। लोगों का कहना है कि यदि डैम पानी से भरा रहेगा तो इस पर अतिक्रमण संभव नहीं होगा। ऐसी स्थिति में डैम के पानी का अनावश्यक रूप से बहाये जाने से इस पर भू-माफियाओं की गिद्ध दृष्टि पड़ने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। क्योंकि सिंचाई विभाग के पास वैसे ही मैन पावर की कमी है। ऐसे में अतिक्रमणकारियों से डैम की भूमि की सुरक्षा करना काफी मुश्किल भरा हो जाएगा।

आधे शहर में हो सकती है जलापूर्ति

नागरिकों का कहना है कि गर्मी में जल संकट मेदिनीनगर की पहचान बनती जा रही है। ऐसे में कचरवा डैम का गहरीकरण कराकर इसका समुचित संरक्षण किया जाए तथा इसमें समुचित जल भंडारण की व्यवस्था करा दिया जाए तो कम से कम आधे शहर को जल संकट से बचाया जा सकता है। संबंधित विभागों के सकारात्मक पहल की जगह डैम के पानी का अनावश्यक रूप से बहाया जाना निश्चित ही शहर के लिए आत्मघाती कदम कहा जा सकता है। इसपर कायदे से ध्यान देने की जरूरत है।

शिकायतें

1. डैम की भूमि पर से डैम का आकार लगातार सिकुड़ रहा है जिससे इसके जल संग्रह क्षमता में कमी आती जा रही है।

2. डैम के पानी का अनावश्यक रूप से बहाया जाना। जिसके कारण क्षेत्र का भू-गर्भ जल स्तर और नीचे जा रहा है।

3. डैम में जल भंडारण के संबंध में कोई प्रबंध नहीं किया जाना। मानसून में बारिश नहीं होने से डैम पूरी तरह से सूख जाता है।

4. डैम के पानी का अनावश्यक रूप से निर्माण कार्यों में प्रयोग किया जाना ।

सुझाव

1. डैम की भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराकर इसके संरक्षण का समुचित प्रबंध किया जाए। जिससे डैम बरकरार रह सके।

2. डैम के पानी को किसी भी स्थिति में अनावश्यक रूप से न बहाया जाए। जिससे भू-गर्भ जल स्तर को बरकरार रहे।

3. डैम में जल भंडारण का समुचित प्रबंध किया जाए। ताकि बरसात न होने की स्थिति में डैम के जल स्तर पर प्रभाव न पड़े।

4. डैम के पानी का अनावश्यक रूप से निर्माण कार्यों में प्रयोग न किया जाए।

कचरवा डैम निश्चित रूप से शहर के लिए बड़ा एसेट्स है। इसके जीर्णोद्धार व गहरीकरण के लिए पहल शुरू कर दी गई है। काम को शुरू कराने के लिए थोड़ा पानी बहाया जा रहा है। शीघ्र पानी का बहाव बंद कर दिया जाएगा। पर्यटन क्षेत्र के लिए गंभीरता से विचार हो रहा है।

विश्वजीत महतो, सहायक नगर आयुक्त

कचरवा डैम बारालोटा, कमलानगर, पांकी रोड, पोखराहा आदि मोहल्ले में भूमिगत जलस्तर को स्थिर रखता आया है। परंतु बढ़ते अतिक्रमण से डैम का जलस्तर काफी गिर गया है। इस डैम को बचाना मेदिनीनगर पूर्वी क्षेत्र के लिए बेहद जरूरी है।

शैलेश पांडेय, सामाजिक कार्यकर्ता

वर्षा जल संरक्षण के लिए सरकार प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। जबकि सरकारी विभाग ही संग्रहित पानी को बेवजह बहा रहे हैं। यह नाइंसाफी है।

हिमांशु वर्मा

कचरवा डैम में इंटेक वेल बनाकर इसके माध्यम से पूरे क्षेत्र में जलापूर्ति की जा सकती है। इसमें जल भंडारण की समुचित व्यवस्था की जाए। दिक्कत दूर हो जाएगी। रविंद्र कुमार

यदि क्षेत्रीय लोगों को कचरवा डैम में मत्स्य पालन की अनुमति दे दी जाए तो लोग कमेटी बनाकर खुद ही इसका संरक्षण करेंगे। इससे डैम भी अतिक्रमण से बचा रहेगा।

हर्षित राज

यदि कचरवा डैम से तत्काल पानी का बहाव बंद नहीं किया गया तो लोग आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। इसकी पूरी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।

उत्कर्ष पांडेय

पेयजल के दृष्टिकोण सहित डैम की बहुपयोगिता जानने के बाद भी संरक्षण की जगह इसकी उपेक्षा अव्यवहारिक है। इसकी जितनी भी निंदा की जाए कम है।

विनय यादव

लोग बार-बार डैम का पानी न बहाये जाने की गुहार लगाते रह गये। इसके बाद भी रात के अंधेरे में डैम को खोलकर पानी की बर्बादी की जा रही है जो गलत है। शिवम कुमार

कचरवा डैम ही क्षेत्र में जलापूर्ति का एकमात्र साधन है। इससे परिचित होने के बाद भी शासन स्तर पर इसकी उपेक्षा की जा रही है जिससे परेशानी है। सौरभ कुमार

डैम में पानी भरने से इस वर्ष क्षेत्र का भू-गर्भ जल स्तर सुधरने लगा है। किंतु पानी बहाये जाने के बाद से फिर से जल स्तर खिसकना शुरू हो गया है।

अरूण सिंह

पलामू में वैसे ही पिछले दो वर्ष से बरसात नहीं होने से डैम पूरी तरह से सूख गया था। इस वर्ष भरा भी तो रात में खोलकर पानी बहाया जाना घोर संवेदनहीनता है। नंदलाल शर्मा

इस वर्ष अच्छी बारिश होने से डैम में संतोषजनक पानी संग्रह हो पाया था। इसके बाद भी पानी का अनावश्यक रूप से बहाया जाने से स्थिति फिर से गंभीर हो रही है। सोना कुंवर

डैम की लगातार उपेक्षा के कारण मोहल्ले में पेयजल संकट हाहाकारी हो गया है। इसके बाद भी डैम का संरक्षण करने की जगह उसके पानी की बरबादी समझ से परे है।

राजेश कुमार शर्मा

हर समय पानी खरीद कर पीना संभव नहीं है। लोगों की मदद से कुछ पानी मिल पाता है। गुहार लगाने के बाद भी निगम अथवा शासन स्तर पर कोई मदद नहीं मिलती। रामकली

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