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पलामू में उच्च शिक्षा का हाल बेहाल, छात्र परेशान

पलामू में उच्च शिक्षा की स्थिति गंभीर है। नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय (एनपीयू) 15 वर्षों में छात्रों को समय पर सत्र, परीक्षा और परिणाम नहीं दे सका है। विश्वविद्यालय में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है और...

Newswrap हिन्दुस्तान, पलामूTue, 7 Jan 2025 12:44 AM
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पलामू में उच्च शिक्षा का हाल बेहाल, छात्र परेशान

पलामू। पलामू में उच्च शिक्षा की हालत काफी खराब है। 17 जनवरी 2009 को उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय की स्थापना की गई थी। परंतु 15 सालों में एनपीयू उच्च शिक्षा का बेहतर माहौल तैयार करने में विफल साबित हो रहा है। एनपीयू में न तो समय पर सत्र है और न ही समय पर परीक्षा और परिणाम ही जारी किया जाता है। एनपीयू में करीब 50 हजार से अधिक छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। एक से डेढ़ साल सत्र विलंब से चल रहा है। इस कारण छात्रों की परेशानी काफी बढ़ गई है। जीएलए कॉलेज के 25 एकड़ भूमि वर्ष 2017-18 से अपना परिसर विकसित किया जा रहा है,परंतु केवल प्रशासनिक भवन ही पूर्ण रूप से फंक्शनल है। अकादमिक ब्लॉक, सेंट्रल लाईबेरी, वीसी बिल्ला आदि का निर्माण कार्य अधूरा ही है। एनपीयू में असिस्टेंट रजिस्ट्रार और वित्त सलाहकार को छोड़कर शेष पद प्रभार में संचालित किया जा रहा है। एनपीयू में करीब एक साल से स्थायी कुलपति न होने का खामियाजा भी छात्रों को भुगतना पड़ रहा है। छात्रों की समस्याओं का अंबार लगा हुआ है। किंतु छात्रों की समस्याओं को गंभीरता से नहीं लेने के कारण छात्र एनपीयू का चक्कर काटते रहते हैं। एनपीयू फिलवक्त मैन पावर की कमी से जूझ रहा है। अधिकारियों समेत कर्मचारियों का भी काफी घोर अभाव है। कई परीक्षाएं काफी विलंब से हो रही है। वोकेशनल कोर्स की भी पढ़ाई संचालित किया जाता है,परंतु वह भी किसी तरह संचालित हो रहा है। छात्र संगठन जब छात्रों की आवाज बनकर आगे बढ़ते हैं तो उनकी आवाजों को एनपीयू प्रशासन अनसुना कर देता है। इससे धीरे-धीरे छात्र संगठन समेत एनपीयू के अंतर्गत विभिन्न कॉलेजों में अध्ययनरत छात्र एनपीयू से दूर होते जा रहे हैं। एनपीयू में मूलभू सुविधाओं का भी घोर अभाव है। छात्रों की सबसे अधिक परेशानी एनपीयू के परीक्षा विभाग से हो रही है। परीक्षा विभाग को आउट सोर्सिंग एजेंसी एनसीसीएफ को दिया गया है। एनसीसीएफ द्वारा लगातार प्रवेश पत्र हो या मार्क्ससीट या छात्रों के अन्य दस्तावेज उसमें त्रुटि रहता ही है। त्रुटि को सुधार कराने में छात्रों को परीक्षा विभाग का कई माह तक चक्कर लगाना पड़ता है। वहीं एनपीयू के परीक्षा विभाग में भी कर्मियों का अभाव है। छात्र संगठनों ने एनपीयू प्रशासन के उपर एनसीसीएफ को हटाने का दबाव भी बनाया। परंतु एनपीयू प्रशासन ने छात्र संगठनों को एक बात न सुनी और फिलवक्त एनसीसीएफ ही कार्यरत है। एनपीयू के अंतर्गत संचालित अंगीभूत कॉलेजों में शिक्षक और कर्मियों का घोर अभाव है। इस कारण इसका सीधा असर विद्यार्थियों के पठन-पाठन पर पड़ रहा है। कई विभागों में शिक्षक नहीं होने के कारण छात्रों को बाहर ट्यूशन के भरोस पढ़ाई करना पड़ रहा है। जो शिक्षक कार्यरत हैं,वे भी समय पर कॉलेज नहीं पहुंचते हैं इस कारण कॉलेजों में छात्र भी जाना पसंद नहीं कर रहे हैं। एनपीयू के प्रीमियर कॉलेज जीएलए कॉलेज का अपना इतिहास रहा है,परंतु फिलहाल स्थिति ऐसी हो गई है कि समय पर पाठ्यक्रम भी पूरा नहीं हो पा रहा है। अधूरा पाठयक्रम की पढ़ाई कर ही विद्यार्थी परीक्षा में शामिल होते हैं और डिग्री प्राप्त कर रहे हैं। एनपीयू में अधिकारियों के कमी के कारण कॉलेजों में मॉनेटरिंग नहीं हो पा रहा है। इस कारण छात्रों की समस्याओं को एनपीयू प्रशासन जान भी नहीं पाता है। जब छात्र अपनी समस्या लेकर एनपीयू पहुंचते हैं तो ब एनपीयू प्रशासन को पता चलता है। एनपीयू में 2016 के बाद छात्र संगठन का चुनाव नहीं होने का भी खामियाजा यहां के छात्रों को भुगतना पड़ रहा है। कई बार छात्र संगठन छात्र संघ चुनाव की मांग को लेकर आंदोलन भी कर चुके हैं,परंतु छात्र संगठनों को अब तक सफलता नहीं मिल पायी है। एनपीयू के स्थापना काल से केवल एक बार सीनेट की बैठक हुई है। सीनेट की बैठक नहीं होने के कारण छात्रों के मुद्दों को उचित प्लेट फार्म नहीं मिल पा रहा है। एनपीयू में आधे दर्जन से अधिक छात्र संगठन है। छात्र संगठनों का कहना है कि एनपीयू में छात्रों की समस्याओं की सुनवाई नहीं होने के कारण छात्र संगठन और छात्र दोनों एपीयू के रवैये से पूरी तरह से उदासीन हो चुके हैं। जब छात्र संगठन अपनी मांगों को लेकर एनपीयू प्रशासन के पास पहुचते हैं तो एनपीयू प्रशासन मैन पावर की कमी और किसी अन्य बहाना से छात्रों को लौटा देता है। इस कारण एनपीयू में छात्रों की भीड़ भी धीरे-धीरे कम होने लगा है। छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद्, आपसू, झारखंड छात्र मोर्चा, एनएसयूआई के पदाधिकारियों का कहना है कि जब तक एनपीयू में महत्पूर्ण पदों पर स्थायी अधिकारी नहीं आएगें तब तक स्थिति में सुधार संभव नहीं है। फिलहाल एनपीयू के कुलपति का पद एक साल से अधिक समय से प्रभार में संचालित किया जा रहा है। फिलहाल एनपीयू के कुलपति पलामू प्रमंडल के आयुक्त बाल किशुन मुंडा है। प्रमंडलीय आयुक्त होने के कारण उनके पास कार्य की अधिकता होने के कारण एनपीयू में नियमित रूप से समय नहीं दे पाते है। ऐसी स्थिति में जब कोई छात्र संगठन छात्रों की समस्याओं को लेकर पहुंचते तो उनका सुनने वाला कोई नहीं होता है। अमरनाथ तिवारी - एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष अमरनाथ तिवारी ने कहा कि उच्च शिक्षा का केंद्र बिंदु एनपीयू में शैक्षणिक माहौल पूरी तरह से फेल है। उन्होंने कहा कि न तो समय पर पाठयक्रम पूरा हो रहा है और न ही समय पर परीक्षा और न ही परीक्षा परिणाम जारी किया जा रहा है। इस कारण छात्रों का भविष्य पूरी तरह से अधर में लटक गया है। उन्होंने कहा कि स्नातक सत्र 2021-24 फाइनल नहीं होने के कारण स्नातकोत्तर 2024-26 में नामांकन शुरू नहीं हो सका है। आउट सोर्सिंग एजेंसी एनसीसीएफ के गलती के कारण इसका खामिजा छात्रों को भुगतना पड़ता है। ऐसा रजिस्ट्रेशन हो या अंक पत्र जिसमें त्रुटि नहीं होता है। त्रुटि को सुधार कराने में ही छात्र परेशान रहते हैं तो पढ़ाई कब करेंगे। इसके प्रति एनपीयू प्रशासन पूरी तरह से उदासीन है।

ओम प्रकाश त्रिपाठी - एनएसयूआई के जिला उपाध्यक्ष ओम प्रकाश तिवारी ने कहा कि एनपीयू में मूलभूत सुविधा का घोर अभाव है। अभी तक प्रशासनिक भवन को छोड़ अन्य कंस्ट्रक्शन का कार्य पूरा नहीं हो सका है। प्रशासनिक भवन में न तो पीने की पानी की व्यवस्था न ही बेहतर शौचालय है। एनपीयू खुद की समस्या से जूझ रहा है तो छात्रों की समस्याओं को कौन सुनेगा।

अभिषेक कुमार - एनएसयूआई के अभिषेक कुमार ने कहा कि इस विश्वविद्यालय में छात्रहित की कोई बात नहीं की जाती है। कई महत्वपूर्ण पद खाली पड़ा हुआ है। लातेहार और गढ़वा जिला जब कोई छात्र अपनी समस्या को लेकर पहुंचते तो समस्या का निदान करना तो दूर यहां के पदाधिकारी ठीक तरह से बात करना भी मुनासिब नहीं समझते हैं। एपीयू के हालत बद से बदत होती जा रही है।

रामाशंकर पासवान - अभाविप के प्रदेश कल्याण छात्रवास प्रमुख रामाशंकर पासवान ने कहा कि एनपीयू में कुलपति और कुलपति का एक साल से अधिक समय से पद रिक्त है। स्थायी कुलपति, प्रतिकुलपति और रजिस्ट्रार नहीं होने के कारण छात्रों की समस्याएं दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। कॉलेजों की हालत भी खराब है। शिक्षक और कर्मियों का घोर अभाव है। समय से कई विभाग भी नहीं खुलते हैं।

नीतीश कुमार - अभाविप के जिला संयोजक नीतीश कुमार ने कहा कि एनपीयू के अंगीभूत कॉलेजों में शिक्षकों की घोर कमी है। समय से पाठयक्रम भी पूरा नहीं हो रहा है। अधूरे पाठयक्रम को पढ़कर छात्रों को परीक्षा देना मजबूरी हो गई है। कॉलेजों में साफ-सफाई का भी घोर अभाव है। कॉलेजों में छात्रों को मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल पा रहा है। जबकि हरेक मद में कॉलेज प्रशासन छात्रों से शुल्क की वूसली करती है।

उत्कर्ष तिवारी - अभाविप के कार्यालय मंत्री उत्कर्ष तिवारी ने कहा कि एनपीयू में समस्याओं का अंबार है। छात्र की समस्याओं को सुनने वाला कोई अधिकारी नहीं है। इस कारण छात्र भी एपीयू के प्रति उदासीन होते जा रहे हैं। एनपीयू में एनईपी 2020 लागू है पर पाठयक्रम के अनुसार कॉलेजों के पुस्तकालयों में पुस्तके भी उपलब्ध नहीं है। बाजार से विद्यार्थी किताब महंगे दामों पर खरीदकर पढ़ने को मजबूर हैं।

शालिनी अग्रवाल - आपसू नेता शालिनी अग्रवाल ने कहा कि एनपीयू में सत्र काफी विलंब हो गया है। इसका खामिजा यहां के छात्रों को भुगतना पड़ रहा है। एनपीयू में एनईपी 2020 लागू कर दिया गया है। परंतु छात्रों को इसके बारे पता नहीं है। न तो एनपीयू प्रशासन इस विषय पर छात्रों का सेमिनार आदि कराया है। एनपीयू के कई महत्वपूर्ण पद लंबे समय से रिक्त पड़ा है।

कमलेश कुमार पांडेय - आपसू के कमलेश कुमार पांडेय ने कहा कि एनपीयू की स्थापना का 15 साल हो गया है। 15 सालों में एक बार सीनेट की बैठक हुई और एक बार 2016 में छात्र संघ चुनाव हो सका है। एनपीयू के अंगीभूत कॉलेज योध सिंह नामधारी महिला कॉलेज और जेएस कॉलेज में इंटर की पढ़ाई करायी जाती है। यदि दोनों कॉलेजों से इंटर की पढ़ाई हटा लिया जाए तो कॉलेज कैंपस में छात्र ही नजर नहीं आएगें। क्योंकि स्नातक और पीजी में शिक्षकों का अभाव है। इस कारण स्नातक और पीजी में क्लास करने के लिए छात्र कैंपस में आते ही नहीं है।

सानिया अग्रवाल - आपसू के सानिया अग्रवाल ने कहा कि एनपीयू में अधिकारियों के अभाव के कारण कॉलेजों में कोई निगरानी नहीं है। कॉलेज प्रशासन मनमाने ढंग से कॉलेज का संचालन करते हैं। कई विभाग भी नहीं खुलता है। जो शिक्षक कॉलेज आते भी आते हैं तो वह विद्यार्थियों को पढ़ाने में रूचित नहीं लेते हैं। इस कारण जो छात्र कॉलेज आते भी हैं तो उन्हें निराश होकर लौट जाना पड़ता है।

पायल सिंह - आपसू के पायल सिंह ने कहा कि एनपीयू खुद की समस्या से जूझ रहा है। ऐसी स्थिति में छात्रों की समस्याओं को सुनने वाला कोई नहीं है। आए दिन कई छात्र अपनी समस्या को लेकर परीक्षा विभाग में पहुंचते हैं तो उन्हें निराशा ही हाथ लगती है।

कौशल किशोर - झारखंड छात्र मोर्चा के अध्यक्ष कौशल किशोर ने कहा कि एनपीयू में स्थायी कुलपति नहीं होने के कारण छात्रों की समस्याओं का निदान हो पा रहा है। लंबे समय से कुलपति का पद प्रभार में संचालित हो रहा है।

सैयद फैजल -झारखंड छात्र मोर्चा के सैयद फैजल ने कहा कि छात्र संघ का चुनाव कई सालों से नहीं हुआ है। इस कारण छात्रों का आवाज बुलंद नहीं हो पा रहा है। उन्होंने एनपीयू प्रशासन से जल्द छात्र संघ चुनाव कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि छात्र संघ चुनाव होने से छात्रों की समस्याओं को बेहतर ढंग से रखा जा सकता है।

कौशल सिंह - झारखंड छात्र मोर्चा के कौशल सिंह ने कहा कि एनपीयू फिलवक्त स्थायी पदाधिकारी विहिन है। कारण एनपीयू में अध्ययनरत छात्रों का विकास नहीं पा रहा है। वहीं शोध का कार्य प्रभावित है। एनपीयू में अध्ययनत विद्यार्थियों का भविष्य चिंता जनक हो गई है।

अभिषेक राज - छात्र आजसू के छात्र नेता अभिषेक राज ने कहा कि एनपीयू में छात्रों की समस्याएं अनगिनत है। कोई भी पदाधिकारी छात्रों की समस्याओं के निराकरण करने की दिशा में दिलचस्पी नहीं दिखाते हैं। कॉलेजों में शिक्षकों का टोटा है। वहीं मूलभूत सुविधाएं भी नदारद है। समय पर न तो पढ़ाई पूरा हो पा रहा है और न ही परीक्षा ली जा रही है और न ही परीक्षा जारी किया जाता है।

रिश राज - एनएसयूआई के रिशु राज ने कहा कि जब तक कॉलेजों में छात्रों की उपस्थिति 75 प्रतिशत अनिवार्य करना चाहिए। क्योंकि छात्र कॉलेज कैंपस के प्रति पूरी तरह से उदासीन होते जा रहे हैं। वहीं एनपीयू प्रशासन को चाहिए कि सभी शिक्षक कॉलेज में समय से उपस्थित हो और नियमित रूप से कक्षा संचालित करें।

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