बोले पलामू : जिले में मात्र एक ब्लड बैंक, वो भी सुविधाविहिन
पलामू के एकमात्र ब्लड बैंक में रक्त की गंभीर कमी हो रही है। यहां रक्तदान के प्रति जागरूकता की कमी और सुविधाओं का अभाव है। मरीजों को रक्त के लिए परिजनों और स्वयंसेवी संगठनों से संपर्क करना पड़ता है।...
पलामू के एकमात्र ब्लड बैंक है जो सुविधाविहिन है। यहां ब्लड सेपरेटर मशीन भी नहीं है। जिले में रक्तदान के प्रति जागरुकता की अभी भी कमी है। इसके कारण जरूरतमंदों को रक्त हासिल करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है। परिजन भी रक्तदान करने से कतराते हैं। मेदिनी राय मेडिकल कॉलेज अस्पताल स्थित ब्लड बैंक फिलवक्त निगेटिव समूह के रक्त की कमी से जूझ रहा है। इसके कारण जरूरतमंदों को रक्तदाता स्वयंसेवी संगठन और व्यक्तियों से संपर्क कर विनती करनी पड़ रही है। मेदिनीनगर। पलामू जिला मुख्यालय सिटी मेदिनीनगर में प्रमंडल के सबसे बड़ा अस्पताल मेदिनी राय मेडिकल कॉलेज अस्पताल संचालित है। इस अस्पताल पर पलामू जिले की करीब 24 लाख की आबादी के अलावा पड़ोसी जिले गढ़वा और लातेहार की करीब 25 लाख आबादी के इलाज का भी भार है। शहर से लेकर गांव तक पक्की सड़कों की लंबाई बढ़ने तथा हाइस्पीड बाइक और गाड़ियों की संख्या बढ़ने से सड़क दुर्घटनाओं की संख्या भी काफी बढ़ गई है। इसके कारण अस्पताल पहुंचने वाले गंभीर मरीजों के लिए रक्त की मांग भी लगातार बढ़ती जा रही है। इसकी तुलना में स्वैच्छिक रक्तदान नहीं बढ़ पा रहा है। इसके कारण समस्याएं बढ़ती जा रही है।
राज्य सरकार ने मेदिनी राय मेडिकल कॉलेज अस्पताल के ब्लड बैंक में रक्तदान की पारंपरिक विधि की जगह आधुनिक विधि अपनाने की पहल करीब पांच साल पहले शुरू की थी। परंतु अबतक नई मशीन इंस्टॉल नहीं हो पाई है। स्वैच्छिक रक्तदाताओं और चिकित्सकों का कहना है कि ब्लड सेपरेटर मशीन लग जाने से एक यूनिट रक्त का प्रयोग जरूरत के लिए कई मरीजों के लिए प्रयोग हो सकता है। परंतु मशीन नहीं लगने से अभी रक्त की उपयोगिता बढ़ नहीं पा रही है। मरीज चाहे आबीसी की कमी से जूझ रहा है या डब्लूबीसी की कमी से, प्लेटलेट्स की कमी से जूझ रहा हो प्लाज्मा की कमी से सभी को संयुक्त रक्त ही चढ़ाया जा रहा है। इससे मरीज को स्वस्थ्य होने के लिए अधिक रक्त की जरूरत पड़ रही है। थेलिसिमिया के मरीजों की परेशानी कुछ ज्यादा ही बढ़ी हुई है। रविवार को भी थेलिसिमिया के एक मरीज को आवश्यक दो यूनिट रक्त के लिए स्वर्ण व्यवसायियों का संगठन ने अपने स्वैच्छिक रक्तदाता सदस्य से संपर्क कर उन्हे तैयार किया और ब्लड बैंक में रक्तदान करवाकर संबंधित मरीज को रक्त उपलब्ध करवाया। इससे संबंधित मरीज की जरूरत पूरी हो सकी।
पोषणयुक्त आहर लेने के प्रति उदासीनता के कारण पलामू जिले के करीब 70 प्रतिशत महिलाएं खून की कमी से जूझ रही है। इसके कारण करीब 58 प्रतिशत बच्चे कुपोषित पैदा हो रहे हैं। यह आकड़ा सरकार ने स्वास्थ्य सर्वे के आधार पर जारी किया है। खून की कमी के कारण अधिकांश महिलाओं को प्रसव के दौरान खून की जरूरत हो जाती है और संबंधित परिजन परेशान होकर स्वैच्दिक रक्तदान को करने वाले संगठन और सामाजिक कार्यकर्ताओं के पास दौड़ने लगते हैं। समय पर रक्त नहीं मिलने पर जच्च-बच्चा के जीवन पर खतरा भी पैदा हो जाता है। मेदिनी राय मेडिकल कॉलेज अस्पताल में अक्सर खून की कमी से जूझ रही गर्भवती महिलाएं पहुंचती है। एएनएम चंचला बताती हैं कि मरीज की स्थिति को देखकर जब उनके परिजन को खून की व्यवस्था करने को कहा जाता है तब वे नाराज भी होते हैं और अस्पताल प्रबंधन पर खून की व्यवस्था करने का दबाव बनाते हैं। परंतु वे खुद रक्तदान करने को तैयार नहीं होते हैं। मेदिनीनगर में निजी सेक्टर के बड़े प्रसव केंद्र सेवासदन के महासचिव सुरेश जैन भी स्वीकारते हैं कि रक्तदान के लिए परिजन तैयार नहीं होते हैं। जागरुकता की कमी के कारण अक्सर ऐसी स्थिति बनती है। मरीज की जान बचाने के लिए अस्पताल प्रबंधन ने वैकल्पिक व्यवस्था के तहत ब्लड स्टोरेज यूनिट बनाया है, ताकि गंभीर स्थिति में पहुंचने वाली मरीज के जीवन पर आने वाले खतरे को टाला जा सके। उन्होंने कहा कि जिले में रक्तदान के प्रति जागरुकता बढ़ाने की जरूरत है।
शहर के चैनपुर मोहल्ले में स्थित सीएचसी के प्रभारी डॉ चमन कुमार ने कहा कि रक्तदान करने से व्यक्ति को कई तरह की बीमारी से बचाव होता है। परंतु अभी भी रक्तदान के प्रति आम लोगों में काफी भांतियां है। इसे लेकर सुदूर गांव तक जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है। साथ ही सामाजिक संगठन स्तर पर अधिक से अधिक रक्तदान शिविर लगाने की जरूरत है ताकि जरूरतमंदों को सहजता से रक्तदान उपलब्ध हो सके। इससे प्रोफेशनल रक्तदान करने वाले भी हतोत्साहित होंगे। मरीजों को स्वच्छ रक्त मिल सकेगा। रेडक्रॉस सोसायिटी के रक्तदान जागरुकता अभियान का दायित्व संभाल चुके सामाजिक कार्यकर्ता दुर्गा जौहरी बताते हैं कि अक्सर उनके पास रक्त के लिए कॉल आता है। कई बार मरीज के परिजन खुद रक्तदान के लिए तैयार नहीं होते हैं और एकाधिक यूनिट उन्हे रक्त की आवश्यता होती है। ऐसी स्थिति काफी जटित होती है। बड़ी मुश्किल से स्वैच्छिक रक्तदाताओं को प्रेरित कर जिले में रक्त की जरूरत की पूर्ति की जा रही है। जिला पुलिस, केंद्रीय बल, निरंकारी मिशन, सदगुरु सदाफल देव परिवार आदि करीब 100 सामाजिक संगठन नियमित रक्तदान शिविर आयोजित कर जिले में रक्त की जरूरत को पूरा करते हैं।
सामान्य जागरुकता की कमी
भले ही रक्तदान को लेकर शासन स्तर पर कितना भी जागरूकता अभियान संचालित किया जा रहा हो। आम लोगों में अभी भी रक्तदान से कमजोरी आने संबंधी भ्रांतियां मौजूद हैं। इसके कारण लोग आज भी रक्तदान से कतराते हैं। जिससे ब्लड बैंक में पर्याप्त रक्त का संग्रह नहीं हो पाता है और गंभीर अवस्था में मरीज आने पर परिजनों को रक्तदाता की तलाश में भटकना पड़ता है।
खुद की जगह दूसरों से अपेक्षा
मरीज के लिए रक्त की आवश्यकता पड़ने पर आम लोगों में यह धारणा घर कर चुकी है कि खुद क्यों रक्तदान करें। वे तत्काल खुद पहल करने की जगह रक्तदाता की तलाश शुरू कर देते हैं। जबकि आवश्यकता को देखते हुए उन्हें तत्काल खुद को रक्तदान करना चाहिए।
के लिए पेश करना चाहिए। किंतु सामान्यतया ऐसा देखने को नहीं मिलता है। जिससे ब्लड बैंक में हमेशा रक्त का अभाव ही बना रहता है। जिसके कारण बगैर रक्तदाता की तलाश के मरीज को रक्त उपलब्ध नहीं हो पाता है।
समान रक्त ग्रुप होने से समस्या
अमूमन देखने को मिलता है कि क्षेत्र विशेष के लोगों का रक्त ग्रुप समान होता है। इससे वहां पर अन्य ग्रुप के रक्त वाले व्यक्ति कम मिलते हैं। इसके कारण ब्लड बैंक में विशेष रक्त ग्रुप का तो पर्याप्त संग्रह होता है। किंतु अन्य ग्रुप के ब्लड की नितांत कमी रहती है। इससे ब्लड बैंक में जिस ग्रुप का रक्त नहीं होता है। मरीज को यदि उस ग्रुप के रक्त की जरूरत पड़ जाए तो कितना भी प्रयास करने पर उस ग्रुप का रक्त उपलब्ध नहीं हो पाता है।
ब्लड बैंक की जानकारी का अभाव
पलामू के शहरी क्षेत्र में तो स्वास्थ्य सुरक्षा के बाबत अब समुचित जागरुकता आ गई है। किंतु ग्रामीण क्षेत्र अभी भी इस मामले में काफी दूर है। इससे वहां की महिलाओं में एनीमिया की शिकायत काफी अधिक पाई जाती है। जबकि आम लोगों में थैलीसीमिया बीमारी मकड़जाल की तरह घर बना रही है। ग्रामीण अंचलों में अभी भी लोगों को ब्लड बैंक की जानकारी ही नहीं है। ऐसे में वे वहीं पर ग्रामीण डाक्टर के फेर में पड़े रहते हैं।
शिकायतें
1. रक्तदान को लेकर मन में डर के कारण लोग रक्तदान करने से कतराते हैं।
2. आवश्यकता पड़ने पर खुद रक्तदान करने की जगह लोग रक्तदाता की तलाश करते हैं।
3. रक्तदान को लेकर नियमित जागरुकता अभियान जिले में नहीं चलाया जाता है।
4. एक ही सरकारी ब्लड बैंक होने से जरूरतमंद व्यक्ति को समय पर खून नहीं मिल पाता है।
5. ब्लड बैंक में पर्याप्त रक्त संग्रह की क्षमता और आवश्यक उपायों का अभाव।
सुझाव
1. रक्तदान के लिए लोगों को प्रेरित करने के लिए नियमित जागरुकता अभियान चले।
2. लोगों को रक्तदाता की तलाश करने की जगह खुद रक्तदान कर मिसाल पेश करनी चाहिए।
3. रक्तदान को व्यक्तिगत की जगह सामूहिक तौर पर लोगों को लेने की जरूरत है।
4. ग्रामीण इलाकों में व्याप्त भ्रांतियों को दूर करने के लिए स्वयंसेवी संस्थानों को आगे आना चाहिए।
5. ब्लड बैंक में रक्त संग्रह की क्षमता में वृद्धि करने भी जरूरत है।
इनकी भी सुनिए
पलामू में रक्तदान को लेकर अभी भी काफी भ्रम है। हाल में इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज और स्वास्थ्य मेला में इसके लिए लोगों को जागरूक किया गया है। सीएचसी और पीएचसी प्रभारियों को भी रक्तदान के लिए लोगों को जागरूक करने का प्रयास करने का टास्क दिया गया है।
-अनिल कुमार सिंह, सीएस, पलामू
रक्तदान को जीवनदान कहा जाता है। समाज के सभी लोगों को रक्तदान के लिए तत्पर रहना चाहिए। मैंने 52 बार रक्तदान किया है। जिला प्रशासन को जागरूकता बढ़ाने के लिए स्वैच्छिक रक्तदाताओं को विशेष तवज्जों देना चाहिए। साथ ही नियमित जागरुकता अभियान चलाना चाहिए।
-सोनू सिंह नामधारी, रक्तदाता
नियमित जागरुकता अभियान चलाने की मांग
रक्तदान से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है। मैं 57 बार रक्तदान कर चुका हूं। सभी को दूसरों की जान बचाने के लिए रक्तदान के लिए तत्पर रहना चाहिए। -इंद्रजीत सिंह डिंपल
रक्तदान को लेकर भ्रम में नहीं रहना चाहिए। जिला स्वर्णकार संघ की पहल पर पिछले 10 माह के भीतर 250 लोगों ने रक्तदान किया है। मैं पांच से ज्यादा बार रक्तदान कर चुका हूं। - हिमांशु कौशल सोनी
लोग रक्तदान करने से डरते हैं। इस भ्रम को दूर करने के लिए जागरुकता कार्यक्रम सुदूर गांव तक चलाने की जरूरत है। रक्तवीरों को सम्मानित भी करना जरूरी है। -धीरज मिश्रा
नियमित रक्तदान करने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है। आम जनमानस को रक्तदान के प्रति बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए। रक्तदान करने से किसी की जान बच सकती है। -श्याम किशोर पांडेय
रक्तदान जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन जिला प्रशासन नियमित रूप से करवाना चाहिए। अभयान चलाकर लोगों को रक्तदान करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। -सूरज मिश्रा
नियमित रूप से स्वैच्छिक रक्तदान करने वालों को प्रमाणपत्र और सरकारी अस्पतालों में विशेष तवज्जो मिलना चाहिए। जिससे लोगों में रक्तदान करने के प्रति उत्साह बढ़ेगा। -शुभम पांडेय
ब्लड बैंक में रक्त कंपोनेंट को अलग-अलग करने वाले मशीन शीघ्र लगना चाहिए। इससे स्वैच्छिक रक्तदाताओं के योगदान का अधिक से अधिक फायदा मरीजों को मिलेगा। -अविनाश कुमार
मरीज के परिजन दूसरे से रक्तदान की अपेक्षा ज्यादा रखते है। पहले खुद से रक्तदान करे फिर दूसरे पर निर्भर रहे। इससे दूसरे लोग भी जागरूक होंगे और रक्तदान करेंगे। -राहुल तिवारी
लोग नियमित रूप से रक्तदान कर ब्लड प्रेशर, उच्च रक्तचाप आदि बीमारियों से बच सकते है। मेरी लोगों से अपील है कि बिना किसी संकोच के रक्तदान करें। इससे कोई हानि नहीं होती है। -अभिषेक तिवारी
लोग स्वैच्छिक रक्तदान करते रहते हैं, लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। कभी कोई सम्मान भी नहीं दिया जाता है, आज तक प्रशस्ति पत्र भी नहीं दिया गया है। -विनय कुमार सिंह
मैने 18 बार रक्तदान किया हूं। मगर आजतक जिला प्रशासन या स्वास्थ्य प्रशासन ने कोई सम्मान नहीं दिया। अस्पताल में भी रक्तदाताओं के लिए कोई व्यवस्था नहीं होती है। -नीरज अग्रवाल
नियमित रक्तदान करने वालों को सामाजिक कार्यकर्ताओं को जिला प्रशासन स्तर पर सम्मान दिया जाना चाहिए। इससे अन्य लोगों में भी जागरुकता बढ़ेगी। -अंकित पांडेय
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