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नगर की सड़कों पर मृत्यु दूत बन कर घूम रहे हैं आवारा कुत्ते

लोहरदगा नगर की सड़कों पर आवारा कुत्ते एक समस्या बन गए हैं। ये कुत्ते रात और सुबह में अधिक सक्रिय होते हैं और इंसानों, मवेशियों और वाहनों पर हमले कर रहे हैं। नगर पर्षद ने अब तक कोई उपाय नहीं किया है,...

Newswrap हिन्दुस्तान, लोहरदगाMon, 24 Feb 2025 10:46 PM
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नगर की सड़कों पर मृत्यु दूत बन कर घूम रहे हैं आवारा कुत्ते

लोहरदगा, संवाददाता। लोहरदगा नगर की सड़कों पर आवारा कुत्ते मृत्यु दूत बन कर घूम रहे हैं। नगर की सड़कों पर आवारा कुत्तों का झुंड देखना आसान बात है, प्रत्येक मुहल्ले में आवारा कुत्तों का अपना साम्राज्य है जहां बाहर से आने वालों का प्रवेश इन आवारा कुत्तों के मूड पर निर्भर होता है। देर रात के साथ-साथ अहले सुबह कुत्तों का आतंक चरम पर होता है जब अकेला इंसान के साथ-साथ कुत्ते मवेशियों और वाहन चालकों पर हमलावर हो जाते हैं। वहीं आवारा कुत्तों के हमले से सड़क दुर्घटनाएं हो रही है सो अलग। अब तक आवारा कुत्तों से निजात को ले नगर पर्षद द्वारा कोई उपाय नही किया गया है। नगर क्षेत्र में आवारा कुत्तों का तादाद लगातार बढ़ता ही जा रहा है।

गनीमत की बात यही है कि जिले के सदर अस्पताल में समुचित मात्रा में रैबीज की दवा उपलब्ध रहती है। अब तक आवारा कुत्तों द्वारा किसी बड़ी घटना को अंजाम नही दिया गया है। मामले में नगर प्रबंधक का कहना है कि नगर क्षेत्र में आवारा कुत्तों से निपटने की अब तक कोई व्यवस्था नही है। न ही एक्सपर्ट की टीम है और न ही जरूरत के संसाधन। ऐसे में कुछ समय पूर्व आवारा कुत्तों को ले प्रशिक्षण दिया गया था। वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि आवारा कुत्तों के हिंसक होने के कई कारण हो सकते हैं।

आवारा कुत्तों के हिंसक होने के कई कारण हो सकते हैं जिनमे भोजन की कमी महत्वपूर्ण है। भूख से कुत्ते चिड़चिड़े हो जाते हैं। आवारा कुत्तों को अक्सर पानी की कमी का भी सामना करना पड़ता है, जिससे वे प्यासे और चिड़चिड़े हो जाते हैं। आवारा कुत्तों को अक्सर सामाजिककरण के अवसर नहीं मिलते जिससे भी वे हिंसक हो जाते हैं। भयवश भी कुत्ते हिंसक हो सकते हैं। रैबीज होने की स्थित में भी कुत्ते हिंसक होकर मनुष्य और जानवर पर हमला बोल देते हैं।

सिविल सर्जन डा एसएन चौधरी का कहना है कि कुत्ता काटने की स्थिति में बिना समय गंवाए चिकित्सक से मिलकर उनके बताए अनुसार इलाज कराना चाहिए। कुत्ता काटे मरीज को झाड़फूंक कराने के बजाय अस्पताल पहुंचाना चाहिए जहां सदा समुचित मात्रा में रैबीज का इंजेक्शन उपलब्ध रहता है।

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