टीएसी में गैर-आदिवासियों की एंट्री गलत- समिति
लोहरदगा में आदिवासी समन्वय समिति ने जनजातीय सलाहकार परिषद में गैर-आदिवासियों को शामिल करने के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया। सामाजिक कार्यकर्ता शशिकांत उरांव की अगुवाई में प्रदर्शनकारियों ने राज्यपाल को...
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लोहरदगा, संवाददाता। आदिवासी समन्वय समिति, लोहरदगा ने जनजातीय सलाहकार परिषद-टीएसी में गैर-आदिवासियों को शामिल करने के विरोध में मंगलवार को प्रखंड मुख्यालय के समीप सामाजिक कार्यकर्ता शशिकांत उरांव की अगुवाई में धरना प्रदर्शन किया।
अंचल अधिकारी के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा गया।
इस दौरान आदिवासी समाज के अगुवाओं ने कहा कि जनजातीय सलाहकार परिषद-टीएसी में गैर-आदिवासियों को शामिल करना गलत है। संविधान के अनुच्छेद 244(1) के तहत टीएसी का गठन होता है। झारखंड अलग राज्य बने 24 साल हो चुके हैं। अब तक टीएसी में 20 सदस्य आदिवासी होते थे। पहली बार हेमंत सोरेन सरकार ने इसमें गैर-आदिवासियों को शामिल किया है। आदिवासी समाज ने इसे अनुसूचित क्षेत्र खत्म करने की साजिश बताया। ज्ञापन में हाईकोर्ट के आदेश का भी जिक्र किया गया। कोर्ट ने हेमंत सरकार को दो महीने में पेशा कानून-1996 लागू करने का निर्देश दिया था। छह महीने बीतने के बाद भी सरकार ने इसे लागू नहीं किया। समाज ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाए। छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी एक्ट) में संशोधन की मांग भी उठी। थाना क्षेत्र की बाध्यता खत्म करने और आदिवासियों को मोरगेज लोन, हाउसिंग लोन, व्यापार के लिए ठोस पहल करने की जरूरत बताई गई। आरोप लगाया कि सादा पट्टा पर जमीन की लूट हो रही है। बाहरी लोगों के लिए झारखंड चारागाह बन गया है। आदिवासी महिलाओं को गैर-आदिवासी साजिश के तहत फंसा रहे हैं। ताकि उनकी जमीन हड़पी जा सके।
धरना प्रदर्शन में समिति के अध्यक्ष अरविंद उरांव, जिला पड़हा बेल लक्ष्मी नारायण भगत, अंजू देवी, वीरेंद्र उरांव, मुकेश उरांव, मनोहर उरांव, बबलू उरांव, कैलाश उरांव, सुरेंद्र उरांव, सूरज लोहरा, सुरेश उरांव, अशोक उरांव, शिवदयाल उरांव, गोपाल उरांव, सुकरा पाहन, बिरसु उरांव आदि मौजूद रहे।
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