देश को एक परिवार की तरह आगे बढ़ना होगा: डॉ शशि गुप्ता
लोहरदगा में बलदेव साहू कॉलेज द्वारा विकसित भारत-2047 पर राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया गया। इसमें चार राज्यों के प्रतिभागियों ने 105 शोध पत्र प्रस्तुत किए। प्राचार्य डॉ शशि कुमार गुप्ता ने आदिवासी...

लोहरदगा, संवाददाता। बलदेव साहू कॉलेज स्टेडियम हाल में शनिवार को रांची विश्वविद्यालय के बड़े कॉलेज में शुमार (नैक एग्रीगेरेटेड) बलदेव साहू कॉलेज लोहरदगा के तत्वावधान में विकसित भारत-2047 विषयक पर राष्ट्रीय सेमिनार सफलता पूर्वक संपन्न हो गया। दो दिवसीय इस सेमिनार में महाराष्ट्र, बंगाल, बिहार और झारखंड समेत चार राज्यों के प्रतिभागियों ने 105 शोध पत्र प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम के समापन समारोह के मुख्य स्थिति प्राचार्य-सह-सेमिनार संरक्षक डॉ शशि कुमार गुप्ता ने कहा कि 2047 तक देश को आत्मनिर्भर बनाने में जनजातीय लोगों की महत्वपूर्ण भूमिका है। देश की विकास गति के बराबर झारखंड को लाने की आवश्यकता है।
हम राष्ट्र निर्माण में आदिवासी भाइयों और बहनों के योगदान को गर्व की भावना के साथ लेना होगा। हमारी आजादी के 78 वें वर्ष में, अगर हम अपने आदिवासियों की दुर्दशा को देखें, तो हमें गहरी पीड़ा होती है। विकास की गति में वह अभी भी बहुत पीछे हैं। देश की आबादी में आदिवासी लोगों की हिस्सेदारी करीब आठ फीसदी है।उनमें से अधिकांश विकास के मामले में बहुत पिछड़े हुए हैं। यह अस्वीकार्य है और हमें यह सोचने पर मजबूर करता है, कि जब देश आगे बढ़ रहा है, तो हमारे आदिवासी समाज पीछे क्यों रह गए?... 700 आदिवासी समुदायों में से 75 विशेष रूप से कमज़ोर आदिवासी समूह (पीवीटीजी) हैं। वह और भी पीछे हैं। हमारा देश विकास के पूंजीवादी मॉडल को नहीं अपना सकता। देश को एक परिवार की तरह आगे बढ़ना होगा।
समग्र दृष्टिकोण ने स्वास्थ्य, शिक्षा, बुनियादी ढांचे, वित्तीय समावेशन, डिजिटल भुगतान से जुड़ी परियोजनाओं को बिना किसी भेदभाव के आदिवासी लोगों तक पहुंचाने का मार्ग प्रशस्त किया।
हाल के वर्षों में ही विभिन्न क्षेत्रों के 100 से ज़्यादा आदिवासी नेताओं को पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया। डॉ गुप्ता ने राष्ट्रीय सेमिनार के सफल आयोजन के लिए तमाम सहभागियों और कालेज कर्मियों का धन्यवाद किया।
इस अवसर पर अलग अलग थीम के सर्वश्रेष्ठ वक्ताओं को प्रस्तुत किया गया। इनमें गोपीनाथ सिंह महाविद्यालय गढ़वा की आभा मुखर्जी, डीएसपीएमयू रांची की मानसी सिंघा ,केओ कॉलेज,गुमला के डॉ तेतरु , बीएस कॉलेज की सोनी कुमारी, पंकज कुमार सिंह,अर्जुन लकड़ा, डॉ अजय नाथ शाहदेव, श्रेया जेसिका डांग, डॉ स्नेल टेटे,आवेश मोहसीन,डॉ प्रियंका करुणामय , डॉ जयांद्रा, को प्रमाण पत्र और प्रतीक चिन्ह प्रदान किया गया।
समापन समारोह के विशिष्ट अतिथि डॉ प्रसेनजीत मुखर्जी ने कार्यक्रम के सफल बनाने में विजयी प्रतिभागियों को बधाई दिया। सभी के उज्जवल भविष्य की मंगल कामना की।
समापन समारोह में कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ लोहरा उरांव और डॉ नईम ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। उल्लेखनीय है कि दो दिवसीय संगोष्ठी विकसित भारत 2047 झारखंड के परिप्रेक्ष्य के संदर्भ में आयोजित किया गया। मौके पर डा डीएन वर्मा रामपुरहाट, प बंगाल से आए थे। डॉ प्रभात, डॉ,सुमित पाठक,डॉ संगीता,योगदा सत्संग कॉलेज रांची,डॉ आभा मुखर्जी,डाल्टनगंज, डॉ चित्र शर्मा,डॉ तेतरु उरांव, डॉ तेतरु तिर्की, डॉ शोएब अंसारी, डॉ गजनफर अली आदि विद्वतजन शामिल हुए।
शोध पत्र और रिपोर्ट सरकार और विवि को भेजे जाएंगे
विकसित भारत-2047 के संदर्भ में झारखंड के लोहरदगा बीएस कॉलेज में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में आए शोध पत्रों और विद्वानों के द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट पर डॉ शशि कुमार गुप्ता की अगुवाई में हुई बैठक के बाद इसमें निकले निष्कर्ष को केंद्र और राज्य सरकार के अलावा विश्वविद्यालय प्रशासन को भेजा जाएगा। इसका उद्देश्य भारत को 2047 तक विकसित भारत बनाने में जो सेमिनार में अमृत निकला है। उसका भी योगदान हो सके।
राष्ट्रीय सेमिनार का निष्कर्ष निकला कि विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए झारखंड के आदिवासियों का योगदान महत्वपूर्ण है। उन्हें सशक्त बनाकर उनके विकास के लिए विशेष पहल करके, हम एक विकसित और समावेशी भारत का निर्माण कर सकते हैं।
राष्ट्रीय सम्मेलन के आयोजन में इनका रहा सहयोग
बलदेव साहू महाविद्यालय में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन विकसित भारत 2047 के संदर्भ में झारखंड" एक बड़ी सफलता है। इस सम्मेलन में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ शशि कुमार गुप्ता के नेतृत्व में एक मजबूत आयोजन समिति ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसमें कन्वेनर डॉ. रोशन प्रवीन खलखो के अलावा
को-कॉनवेनर आनंद मांझी,
प्रो शारोन सुरीन, प्रो अम्बिका प्रिया तिर्की, प्रो अर्जुन लकड़ा, प्रो संजय रविदास, डा सुमन कुजूर, प्रो अजीत गुप्ता, प्रो बैलेशियस पन्ना
प्रो विराज नायक, डा पुष्पा कुमारी, डॉ संतोष स्वरूप शांडिल्य आदि सदस्यों का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
किसने क्या कहा--
आदिवासियों के योगदान के कुछ महत्वपूर्ण पहलू:
पारंपरिक ज्ञान:
आदिवासियों के पास कृषि, वन संसाधन प्रबंधन, और प्राकृतिक चिकित्सा जैसे क्षेत्रों में अद्वितीय ज्ञान और कौशल है। यह ज्ञान विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक हो सकता है।
डा अजय कुमार, सीनियर विभागाध्यक्ष, वनस्पति विज्ञान,संत जेवियर कॉलेज,रांची
सांस्कृतिक विरासत:
झारखंड में विविध आदिवासी संस्कृति है, जो भारत की सांस्कृतिक विविधता को समृद्ध करती है। इस संस्कृति को संरक्षित और बढ़ावा देकर, हम एक विकसित भारत के निर्माण में योगदान दे सकते हैं।
अनिल कुल्लू,सहायक प्राध्यापक, एस एस मेमोरियल कॉलेज,रांची
पर्यावरण संरक्षण:
आदिवासी समुदायों को पर्यावरण के संरक्षण के प्रति अत्यधिक जागरूक और संवेदनशील माना जाता है। उनके पारंपरिक ज्ञान का उपयोग करके, हम पर्यावरण को संरक्षित कर सकते हैं और एक स्थायी विकास सुनिश्चित कर सकते हैं।
डा दिलीप साहू , कुलसचिव,झारखंड ओपन विश्वविद्यालय
श्रम शक्ति:
झारखंड में आदिवासियों की एक बड़ी आबादी है, जो विभिन्न क्षेत्रों में श्रम शक्ति प्रदान करती है। उन्हें शिक्षित और सशक्त बनाकर, हम विकास में तेजी ला सकते हैं।
ज्यां द्रेज सामाजिक कार्यकर्ता सह, अतिथि शिक्षक, अर्थशास्त्र,रांची विश्वविद्यालय,रांची
उद्यमिता:
आदिवासी युवाओं को उद्यमिता के लिए प्रोत्साहित करके, हम एक विकसित भारत के निर्माण में योगदान दे सकते हैं। झारखंड में मेहनतकश, सशक्त और प्रतिबद्ध युवाओं की पूंजी है।
-राही डुमरचिर,सहायक प्राध्यापक,मुंगेर
स्वास्थ्य सेवा:
आदिवासी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा की कमी को दूर करके, हम एक स्वस्थ और विकसित भारत का निर्माण कर सकते हैं।
डॉ वर्जीनियस खाका,पूर्व प्राध्यापक,दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिस,दिल्ली
शिक्षा:
विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को प्राप्त करने में झारखंड के आदिवासियों का महत्वपूर्ण योगदान होगा। वे पारंपरिक ज्ञान, कौशल, और संस्कृति के माध्यम से भारत के विकास में योगदान दे सकते हैं। आदिवासियों को सशक्त बनाकर और उनके विकास के लिए विशेष पहल करके, हम विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में तेजी ला सकते हैं।
डा शशि कुमार गुप्ता, प्राचार्य, मेजबान बीएस कालेज
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