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लोगों की जुबां पर आज भी चर्चित है बादशाह-बेगम की अनोखी प्रेम कहानी

लातेहार के पीटीआर में बाघ-बाघिन 'बादशाह' और 'बेगम' की प्रेम कहानी आज भी चर्चित है। 1980 में जंगल में आए इस जोड़े ने 1982-93 के बीच 10 शावकों को जन्म दिया। बेगम की हत्या शिकारियों द्वारा की गई थी, जबकि...

Newswrap हिन्दुस्तान, लातेहारThu, 13 Feb 2025 08:31 PM
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लोगों की जुबां पर आज भी चर्चित है बादशाह-बेगम की अनोखी प्रेम कहानी

लातेहार,सावंददाता। यूं तो वेलेंटाइन डे पर प्यार के कई किस्से सुनने को मिलते हैं,पर उनमें से सबसे अलग पीटीआर के बाघ-बाघिन की अनोखी प्रेम कहानी लोगों की जुबां पर आज भी खूब चर्चित है। लोगों की चर्चाओं के मुताबिक पीटीआर सिर्फ नेतरहाट के ब्रिटिश अधिकारी की बेटी मैग्नोलिया और ग्रामीण चरवाहे के प्यार के लिए ही नहीं, बल्कि बेतला के बादशाह और बेगम जैसे बाघ-बाघिन की अनूठी प्रेम कहानी के लिए भी प्रसिद्ध है।यह कुछ अलग बात है कि ब्रिटिश हुकूमत के दौरान मैग्नोलिया और चरवाहे के बीच हुई प्यार की घटना ने अधिक प्रसिद्धि पाई है, सोशल मीडिया पर वायरल है। पर नब्बे के दशक में पीटीआर के बेतला-जंगल में बादशाह और बेगम नामक बाघ-बाघिन की अनोखी प्रेम कहानी भी उससे कम नहीं है और यह आज भी जंगलों और आसपास के ग्रामीणों की यादों में कैद है।

क्या है बादशाह और बेगम की कहानी

इस बारे में पार्क के आसपास के ग्रामीणों की माने तो वर्ष 1977-78 ई में पार्क के रोड नं 2-3 स्थित पहाड़ी गुफा में पूर्व से रह रही बूढ़ी बाघिन की मौत हो जाने के बाद बेतला बाघ विहीन हो गया था। पूरा वन-महकमा उदास और बेचैन था। तभी वर्ष 1980 ई में पीटीआर के वनाधिकारियों को केंड़ ग्राम के जंगलों में एक जोड़ा नर और मादा बाघ के अचानक दस्तक देने की सूचना मिलती है। इससे वन-महकमा में खुशियों की लहर दौड़ पड़ती है।पलामू के वन्य जीव विशेषज्ञ सह केंद्रीय वन्य जीव संरक्षण बोर्ड के पूर्व सदस्य डॉ डीएस श्रीवास्तव के मुताबिक उक्त बाघ-बाघिन (बादशाह और बेगम) की जोड़ी ने वर्ष 1982-83 से 1992-93 ई के अपने प्रेम काल में कुल 10 शावकों को जन्म दिया था। बाद में दोनों ने खुद के जने सभी शावकों को जंगलों में सैर और शिकार करना सिखाया। शिकार करने की कला सीखने के बाद शावकों ने बादशाह को बेतला के जंगलों से बेदखल कर दिया। तभी से बाघिन बेगम ने पार्क के रोड नं 03 स्थित भलही नामक पहाड़ी को अपनी आशियाना बना बिना बादशाह के अपने शावकों के साथ रहने लगी और दोनों के बीच करीब एक दशक तक चली अनूठी प्रेम-कहानी की अंत हो गई। बादशाह और बेगम ने अपने प्रेम काल में कुल 10 शावकों को जन्म दिया था।

तत्कालीन रेंजर ने दोनों का किया था नामकरण

बेतला के जंगल में दस्तक दिए बाघ-बाघिन की उक्त जोड़े को तत्कालीन रेंजर संगम लहरी ने नामकरण करते हुए बादशाह और बेगम के नाम से संबोधित किया था। तभी से जंगलों दोनों साथ-साथ स्वतंत्र रूप से विचरण करने लगे और दोनों के बीच का अगाध प्रेम क्षेत्र में प्रचलित हो गई।

शिकारियों के साजिश का शिकार हो बेगम ने गंवाई जान

पार्क के आसपास के बुजुर्गों के मुताबिक वर्ष 1994 ई में सक्रिय शिकारियों ने बाघिन बेगम द्वारा पार्क परिसर में किए बछड़े के शिकार पर सुनियोजित तरीके से जहर डाल दिया था। जिसके खाने से उसकी मौत हो गई। बाद में बेगम के शव स्थल के पास से बरामद दो शावकों को वनकर्मियों ने पार्क के सुरक्षित एरिया में छोड़ा था। हालांकि कुछ दिन बाद उसमें से भी एक शावक की मौत हो गई थी और दूसरी पार्क के रोड नं 2-3 स्थित पहाड़ी गुफा में कुछ दिन रहने के बाद किसी दूसरे जंगल में पलायन कर कर गई। हालांकि पीटीआर प्रबंधन के मुताबिक वर्ष 2020 ई में कथित बायसन के हमले में मारी गई बाघिन का पार्क में बरामद शव उसी शावक (रानी) की थी। जो जीवन के अंतिम समय में अपनी जन्मस्थली बेतला लौटी थी।

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