चार लाख का बिरसा सिंचाई कूप लेने से लोगों ने किया इनकार
पूर्वी सिंहभूम जिले में मनरेगा योजना के तहत बिरसा सिंचाई कूपों के प्रति लाभुकों में उदासीनता है। 2023-24 के लिए 3239 कुंआ का लक्ष्य मिला था, लेकिन लगभग 2000 लाभुकों ने निर्माण से इनकार कर दिया।...
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मनरेगा योजना अंतर्गत बिरसा सिंचाई कूप के प्रति पूर्वी सिंहभूम जिले के पात्र लोगों में गजब की उदासीनता है। वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए जिला को 3239 कुंआ का लक्ष्य मिला था। परंतु उनमें से करीब दो हजार लाभुकों ने इसके निर्माण से इनकार कर दिया है। तीन लाख 99 हजार रुपए की इस योजना के प्रति यह उदासीनता आश्चर्यजनक मानी जा रही है। सबसे अधिक कुंआ बहरागोड़ा प्रखंड में सरेंडर किये गये हैं। इस प्रखंड का कुल लक्ष्य 427 था जिनमें से 228 लाभुकों ने कुंआ लेने से इनकार कर दिया। बताया जाता है कि बहरागोड़ा में भूजल स्तर काफी ऊपर है। इसके कारण वहां पर रिंग कुआं बेहद सफल है। लोग 20-25 फीट की गहराई में ही वहां खोदने पर कुआं में भरपूर पानी मिल जाता है। अन्य प्रखंडों की बात करें, तो डेढ़ सौ से पौने दो सौ के बीच लाभुक लगभग हर प्रखंड में ऐसे हैं, जिन्होंने कुंआ लेने से इनकार कर दिया।
इस मामले में करीब दो हजार सिंचाई कुंआ नहीं बना पाने की सूचना से जिला प्रशासन नाराज हुआ। सभी बीडीओ को निर्देश मिला है कि वे एक बार फिर से इसके लिए लाभुकों की खोज करें। इसके लिए 25 फरवरी तक की अंतिम तिथि तय की गई है। इस वजह से प्रखंडों में इसके लाभुक युद्ध स्तर पर खोजे जा रहे हैं।
मनरेगा जॉब कार्डधारक ही हो सकते लाभुक
यह योजना सिर्फ उन्हें ही मिलता है, जो मनरेगा के जॉब कार्ड धारक हैं। चार लाख की इस योजना में राज्य सरकार 50 हजार रुपए देती है। शेष तीन लाख 49 हजार रुपए केन्द्र सरकार खर्च करती है।
महंगाई बढ़ी, लागत एक लाख घटी इसलिए उदासीनता
इस मामले में जब लाभुकों से बात की गई तो उनका कहना है कि पहले इस कुएं की लागत पांच लाख रुपए थी। बाद में इसकी लागत एक लाख रुपए घटा दी गई। रोजगार सेवकों ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि 2018-19 में बिरसा कूप की लागत पांच लाख हुआ करती थी। अब महंगाई बढ़ चुकी है, ऐसे में इसकी लागत बढ़नी चाहिए थी, परंतु उल्टे घटा दी गई। इसलिए अधिकांश लाभुक कुंआ अधूरा रह जाने के डर से इसे लेने से इनकार कर रहे हैं।
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