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बोले जमशेदपुर : पारंपरिक पेशे में लगी सेंध, दूसरों के यहां काम करने को हैं मजबूर

विश्वकर्मा समाज का इतिहास आजादी से पहले का है, लेकिन आज समाज विकास में पीछे रह गया है। पारंपरिक व्यवसायों पर आधुनिक मशीनों का प्रभाव, सरकारी सहायता की कमी और जाति प्रमाण पत्र की समस्याएं प्रमुख हैं।...

Newswrap हिन्दुस्तान, जमशेदपुरMon, 24 Feb 2025 05:03 AM
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बोले जमशेदपुर : पारंपरिक पेशे में लगी सेंध, दूसरों के यहां काम करने को हैं मजबूर

शहर में विश्वकर्मा समाज का इतिहास आजादी से पहले का है। टाटा स्टील की स्थापना के बाद विश्वकर्मा समाज के लोग काम के सिलसिले में यहां आए। इसके बाद वे यहां बसने लगे। हालांकि, जिस तरह से समाज का विकास होना चाहिए, उस तरह नहीं हो पाया। उनके पारंपरिक पेशे में अन्य लोगों के हस्तक्षेप से परेशानी हो रही है। जाति प्रमाण पत्र बनाने समेत लोहार को एसटी का दर्जा देने सहित कई मांगें हैं। हिन्दुस्तान से विश्वकर्मा समाज के लोगों के साथ अपनी समस्याएं रखीं। विश्वकर्मा समाज का अपना एक मजबूत और सशक्त संगठन है। अपने लोगों को एकजुट करने के लिए उन्होंने संगठन भी खड़ा किया। वर्ष 1939 में जमशेदपुर विश्वकर्मा समाज का गठन हुआ और तब से यह संस्था समाज के लोगों के लिए काम कर रही है। जमशेदपुर में विश्वकर्मा समाज (लोहार और बढ़ई) के लोगों की संख्या करीब 2.70 लाख है, जो काफी मजबूत स्थिति में हैं। अगर यह समाज एकजुट होकर रहे तो काफी फायदा मिल सकता है, लेकिन संगठन की लोगों में उतनी पकड़ नहीं है। विश्वकर्मा समाज के कुछ लोग आर्थिक रूप से काफी मजबूत स्थिति में हैं, लेकिन ज्यादातर लोग आर्थिक रूप से कमजोर हैं। वैसे तो विश्वकर्मा समाज के लोग अपने पारंपरिक व्यवसाय से जुड़े हैं, लेकिन अन्य लोगों के इस कारोबार में आने के कारण इनपर असर पड़ा है। उनका कहना है कि सरकार की ओर से सहयोग नहीं मिलने से स्वतंत्र रूप से व्यापार नहीं कर पा रहे हैं। विश्वकर्मा योजना लाई गई है, जो अच्छी बात है, लेकिन योजना सही तरीके से धरातल पर नहीं उतर पाई है और इस कारण लोगों को लाभ भी नहीं मिल पा रहा है। उनका कहना है कि अगर सरकारी सहयोग मिले तो उन्हें किसी के सामने हीन भावना से ग्रसित नहीं होना पड़ेगा।

आधुनिक मशीनों के कारण धंधा हो रहा चौपट

समाज के लोगों का कहना है कि कुछलोगों की अपनी दुकानें हैं, लेकिन सरकारी सहयोग नहीं मिलने के कारण वे विस्तार नहीं कर पा रहे हैं। स्थिति यह है कि समाज के लोगों को अन्य लोगों द्वारा शुरू किए जाने वाले इसी तरह के कारोबार में जुड़कर काम करना पड़ रहा है। उनका कहना है कि लोहार का पारंपरिक धंधा बड़ी और आधुनिक मशीनों के आने के कारण खत्म होता जा रहा है। विश्वकर्मा योजना से समाज के लोगों को सही प्रशिक्षण तक नहीं मिल पा रहा है। पहले आरा मशीन से उन्हें सस्ते दर पर लकड़ी उपलब्ध हो जाती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं हो पा रहा है। वे सरकार से भी सस्ते दर पर लकड़ी उपलब्ध कराने की मांग कर रहे हैं। यही हाल लोहार का भी है।

लोहार और बढ़ई की वैकेंसी हुई बंद

समाज के लोगों का कहना है कि सरकारी और निजी संस्थानों में लोहा और लकड़ी के कई काम होते हैं, लेकिन विश्वकर्मा समाज के लोगों को वह काम नहीं मिलता। पहले रेलवे और दूसरे संस्थानों में लोहार और बढ़ई के लिए वैकेंसी निकलती थी। रेलवे में तो 1965 से वैकेंसी निकलती थी, जो अब बंद हो गई है।

चंदा से बनवाया भवन

बाराद्वारी में विश्वकर्मा समाज के लोगों का अपना भवन है। इस भवन को समाज के लोगों ने चंदा कर वर्ष 1975 में बनवाया था। लोगों ने कहा कि समाज के लोगों को उचित सम्मान भी नहीं मिल रहा है। उन्होंने सरकार से जातिगत जनगणना कराने की मांग की, ताकि यह पता चल सके कि उनकी संख्या कितनी है। समाज के लोगों को संख्या के मुताबिक भागीदारी मिलनी चाहिए, अन्यथा लोग पिछड़ते चले जाएंगे।

आजादी की लड़ाई में योगदान, लेकिन पहचान का अभाव

विश्वकर्मा समाज के लोगों ने स्वतंत्रता संग्राम में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। समाज के वीर सपूत छेदीलाल शर्मा और सुदीप विश्वकर्मा ने आजादी की लड़ाई में हथियार बनाने का काम किया था। लेकिन, इतिहास में उनके योगदान का उचित उल्लेख न होने के कारण नई पीढ़ी उनके बारे में अधिक नहीं जानती। समाज के लोगों का कहना है कि इन स्वतंत्रता सेनानियों को भी राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान मिलना चाहिए।

मैग्नेट से कील हटाते हैं लखन विश्वकर्मा

विश्वकर्मा समाज के ही बुजुर्ग लखन विश्वकर्मा, जिन्हें ‘मैग्नेट बाबा के नाम से जाना जाता है। वे सड़क पर गिरी हुई कील और अन्य लोहे की वस्तुएं हटाने का कार्य करते हैं, ताकि किसी को चोट न लगे। वे एक डंडे में मैग्नेट लगाकर लोहे की वस्तुओं को इकट्ठा करते हैं और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ समाज सेवा के अन्य कार्यों में भी सक्रिय हैं।

समस्या

- जाति प्रमाण पत्र नहीं बनने के कारण हो रही है समस्या। सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा।

- रेलवे और अन्य संस्थानों में निकलने वाली वैकेंसी हुई बंद। इससे बच्चों को रोजगार नहीं मिल रहा।

- आरा मशीन के लिए लाइसेंस लेने के प्रावधान से बढ़ी परेशानी।

- विश्वकर्मा योजना के तहत लोन मिलने में काफी दिक्कतें होती हैं।

- लोहार और बढ़ई को सरकारी योजनाओं में नहीं मिल रहा काम।

सुझाव

- विश्वकर्मा पूजा के अवसर पर सरकारी अवकाश की घोषणा हो।

- झारखंड में आर्टिजन डेवलपमेंट बोर्ड का गठन किया जाए, ताकि समाज के लोगों को फायदा हो सके।

- लोहार जाति को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिले।

- विश्वकर्मा समाज के लोगों को आरा मशीन का आवंटन किया जाए।

- सभी शिक्षण संस्थानों और सरकारी विभागों में बढ़ई और लोहार की बहाली हो।

हमारे समुदाय के लोग पीढ़ियों से लोहार का काम कर रहे हैं, लेकिन अब बड़ी मशीनों के कारण हमारा काम प्रभावित हो गया है।

गुरुपदो लोहार

बढ़ई और लोहार समाज के लोगों को उनके हुनर के अनुसार सरकारी योजनाओं में स्थान मिलना चाहिए। विशेष रूप से महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाए जाने चाहिए।

रमेश लोहार

सरकारी विभागों में बढ़ई और लोहार के लिए पहले भर्तियां निकलती थीं, जो अब पूरी तरह बंद हो गई हैं। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए, ताकि हमारे युवाओं को रोजगार मिल सके।

अशोक शर्मा

हमारा पारंपरिक व्यवसाय अब संकट में है। न नई पीढ़ी इसे अपनाना चाहती है, न ही सरकारी मदद मिल रही है।

अजीत लोहार

विश्वकर्मा समाज के लोगों को जाति प्रमाण पत्र बनाने में काफी दिक्कतें आती हैं। जब तक यह समस्या हल नहीं होती, तबतक हमारे बच्चों को शिक्षा और रोजगार में आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाएगा।

लखन

हमारे समाज के लोग पहले रेलवे में नौकरी पाते थे, लेकिन अब लोहार और बढ़ई की वैकेंसी पूरी तरह बंद हो गई है। सरकार को यह नीति बदलनी चाहिए।

पप्पी शर्मा

सरकार को आरा मशीन का लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया आसान करनी चाहिए, ताकि समाज के लोग आसानी से इस व्यवसाय को आगे बढ़ा सकें।

निशू

विश्वकर्मा समाज के लिए बने सरकारी भवनों का सही उपयोग नहीं हो पा रहा है। सरकार को इसके लिए बेहतर नीति बनानी चाहिए, ताकि इसका लाभ समाज के जरूरतमंद लोगों को मिले।

जयप्रकाश शर्मा

सरकार को विश्वकर्मा पूजा पर सार्वजनिक अवकाश घोषित करना चाहिए, ताकि हमारे समाज को सम्मान मिल सके।

प्रदीप शर्मा

झारखंड में आर्टिजन डेवलपमेंट बोर्ड का गठन होना चाहिए, ताकि विश्वकर्मा समाज के लोगों को आर्थिक और तकनीकी सहायता मिल सके।

संजीव शर्मा

सरकार महिला सम्मान योजना को बंद कर उस राशि को जनकल्याण के लिए लगाए, इससे सभी समाज के लोगों को फायदा पहुंचेगा।

प्रदीप शर्मा

लोन की प्रक्रिया को आसान किया जाए, ताकि हम भी अपने व्यवसाय को आगे बढ़ा सकें। बैंक में लोन के लिए आवेदन देने पर कई अड़चनें आती हैं।

जितेंद्र शर्मा

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