चपवा में धूमधाम से मनी माता शबरी की जयंती
प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम चपवा के सचिव तपेश्वर राम ने माता शबरी के जूठे बेर खाने का महत्व बताया, जिससे भगवान राम ने समता और भाईचारे का संदेश दिया। माता शबरी, जिनका असली नाम श्रमणा था, ने बेजुबान...

हजारीबाग, नगर प्रतिनिधि। प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम चपवा के सचिव तपेश्वर राम ने कहा कि माता शबरी के जूठे बेर खाकर भगवान राम ने दुनिया को समता भाईचारा और बंधुत्व का संदेश दिया। ग्रंथों के अनुसार माता शबरी भगवान श्री राम की परम भक्त थी। शबरी का असली नाम श्रमणा था। ये भील सामुदाय के शबर जाति से संबंध रखती थीं। इसी कारण कालांतर में उनका नाम शबरी हुआ। इनके पिता भीलों के मुखिया थे। उन्होंने श्रमणा का विवाह एक भील कुमार से तय किया था। विवाह से पहले परंपरा के अनुसार कई सौ पशुओं को बलि देने के लिए लाया गया। जिन्हें देख श्रमणा का हृदय द्रवित हो उठा कि यह कैसी परंपरा जिसके कारण बेजुबान और निर्दोष जानवरो की हत्या की जाती है।
इसी कारण वश शबरी अपने विवाह से एक दिन पूर्व अपना घर त्याग कर दंडकारण्य वन में पहुंच गई। दंडकारण्य में मातंग ऋषि तपस्या किया करते थे। श्रमणा उनकी सेवा करना चाहती थी परंतु वह भील जाति से थी जिसके कारण उन्हें लगता था कि उन्हें सेवा करना का अवसर नहीं मिलेगा। लेकिन इसके बाद भी वे चुपचाप सुबह जल्दी उठकर आश्रम से नदी तक का रास्ते से सारे कंकड़ और कांटो को चुनकर पूरे रास्ते को भलिभांति साफ कर दिया करती थी और रास्ते में बालू बिछा देती थी। शबरी के इसी भक्ति के कारण भगवान राम अपने अनुज लक्ष्मण के साथ माता सीता को खोजते हुए वहां पहुंचे और शबरी से वहीं पर मुलाकात हुई। इस अवसर पर चपवा के दशरथ राम, राजेश राम, किशोर राम, प्रेम राम, संजीत राम, कुलदीप राम, विजय राम सरिता देवी, मीना देवी, तेतरी देवी, लखिया देवी, नरेश राम, प्रदीप राम, किशोर राम सहित चपवा भुईयां समाज के सभी महिला पुरुष कार्यक्रम में शामिल थे. यह कार्यक्रम आपसी सहयोग से ग्राम वासियों ने किया।
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