चिता की लपटों में खो गया ख्वाब, बहादुरी से दोनों परिवार संभालती रही मेजर अमृता कौर
हजारीबाग में कैप्टन करमजीत के निधन पर मेजर अमृत कौर ने अपने परिवारों को संभाला। शादी की तैयारियां चल रही थीं, लेकिन करमजीत की मौत ने सब बदल दिया। इस मुश्किल समय में अमृत ने न केवल खुद को, बल्कि परिवार...

हजारीबाग प्रसन्न अमर हजारीबाग में जब कैप्टन करमजीत का पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो रहा था, तब चिता की लपटों के बीच मेजर अमृता कौर के सपने भी जल रहे थे। जिस जीवन साथी के साथ उसने नई जिंदगी के ख्वाब बुने थे, वो अब सिर्फ यादों में था। अमृत कौर न सिर्फ एक बहादुर आर्मी अफसर हैं, बल्कि एक मजबूत युवती भी। इस कठिन घड़ी में भी वह खुद को संभाले रहीं और अपने दोनों परिवारों को ढांढ़स बंधाती दिखीं।
कैप्टन करमजीत और मेजर अमृत कौर की प्रेम कहानी भी सेना के अनुशासन और आदर्शों से जुड़ी थी। दोनों की मुलाकात आर्मी में ही हुई थी। दोस्ती बढ़ी, फिर प्यार हुआ और जल्द ही दोनों ने जीवनभर साथ निभाने का फैसला कर लिया। 6 अप्रैल 25 को शादी तय हुई थी, हजारीबाग में मार्च में शगुन की रस्में होनी थीं। बारातियों के टिकट बुक हो चुके थे, परिवार शादी की तैयारियों में जुटा था, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। 10 फरवरी को जम्मू में हुए आईईडी ब्लास्ट ने करमजीत की जिंदगी छीन ली। शादी के जो सपने संजोए गए थे, वे चिता की आग में जलकर राख हो गए। अमृत के लिए यह सिर्फ एक निजी नुकसान नहीं था, बल्कि उसके जीवन का सबसे बड़ा दर्द था। पर वह टूटी नहीं, बल्कि खुद को और अपने परिवारों को संभालने के लिए और भी मजबूत बन गईं। कैप्टन करमजीत की अंतिम यात्रा में अमृत कौर अपने माता-पिता के साथ हजारीबाग पहुंचीं। दुख की इस घड़ी में भी उन्होंने अपनी सास को ढांढ़स बंधाया। करमजीत की मां ने कहा, अमृत सिर्फ मेरी होने वाली बहू नहीं, मेरी बेटी है। उसका दर्द मुझसे भी ज्यादा है, लेकिन वह इतनी समझदार और मजबूत है कि हमें भी संभाल रही है। परिवार के लोगों ने देखा कि कैसे अमृता ने खुद पर काबू रखा, उनकी आवाज भले भारी थी, पर उनका हौसला बुलंद था। लोगों ने उनकी बहादुरी की सराहना की। जहां किसी भी आम लड़की का इस परिस्थिति में टूटना स्वाभाविक था, वहीं अमृत कौर सेना के अनुशासन और हिम्मत की मिसाल बनीं। अमृ कौर ने कैप्टन करमजीत के माता-पिता को ढाढ़स बंधाती दिखी। लोगों ने कहा कि मेजर अमृत कौर सिर्फ एक बहादुर सैनिक नहीं, बल्कि एक सशक्त महिला की मिसाल हैं।
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