पालकोट के भौरा टोली में आक्रोशित ग्रामीणों ने आठ वनकर्मियों को बनाया बंधक
करीब सात घंटे बाद पुलिस ने कराया मुक्त करीब सात घंटे बाद पुलिस ने कराया मुक्तकरीब सात घंटे बाद पुलिस ने कराया मुक्तकरीब सात घंटे बाद पुलिस ने कराया मु
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पालकोट प्रतिनिधि। पालकोट थाना क्षेत्र के सुदूरवर्ती भौरा टोली और आसपास के आधा दर्जन गांवों के ग्रामीणों ने शनिवार सुबह पालकोट आश्रयणी प्रक्षेत्र के तीन वनरक्षियों समेत क्यूआरटी के कुल आठ कर्मचारियों को बंधक बना लिया। देर शाम पालकोट पुलिस के हस्तक्षेप के बाद करीब सात घंटे वनकर्मियों को मुक्त कराया गया। बंधक बनाए गए वनकर्मियों में वनरक्षी संदीप कुमार,गोकुल महतो,तुर्जन मुंडा और पांच क्यूआरटी सदस्य शामिल थे।जानकारी के मुताबिक ग्रामीण श्रमदान कर भौरा टोली से सलकाया के बीच छह सौ मीटर की पगडंडी को सुगम बना रहे थे। जिससे स्कूली बच्चों और मरीजों को आने-जाने में सुविधा हो। इसी दौरान गश्त पर निकली वन विभाग की क्यूआरटी टीम वहां पहुंची और वन नियमों का हवाला देते हुए काम बंद करने को कहा। आजादी के 75 साल बाद भी सड़क जैसी बुनियादी सुविधा से वंचित ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने वनकर्मियों को बंधक बना लिया। ग्रामीणों का कहना है कि वर्षों से वे सड़क जैसी मूलभूत सुविधा से वंचित हैं। जिससे मरीजों को अस्पताल ले जाना मुश्किल हो जाता है और बच्चों की शिक्षा प्रभावित होती है। जब वे खुद श्रमदान कर रास्ता बनाने का प्रयास कर रहे हैं, तो वन विभाग रोक-टोक कर रहा है।
पुलिस का हस्तक्षेप
दोपहर करीब एक बजे प्रखंड के भौरा टोली में वन विभाग के क्यूआरटी के कुल आठ कर्मचारियों को बंधक बना लेने की सूचना पालकोट पुलिस को मिली। सब-इंस्पेक्टर गौतम वर्मा दल-बल के साथ पहुंचे और ग्रामीणों से वार्ता की। उन्होंने ग्रामीणों की मांगों को जिले वरीय और वन विभाग अधिकारियों तक पहुंचाने का आश्वासन दिया। जिसके बाद नाराज ग्रामीणों ने वनकर्मियों को मुक्त कर दिया।
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