xcdfgdgdgअधिनियम को उल्लंघन कर अपना उद्योग चला नहीं सकता:- राजेंद्र सिधिया
अधिनियम को उल्लंघन कर अपना उद्योग चला नहीं सकता:- राजेंद्र सिधियाअधिनियम को उल्लंघन कर अपना उद्योग चला नहीं सकता:- राजेंद्र सिधिया
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गुवा संवाददाता। यूनियन द्वारा उठाए गए कई सवालों को सेल प्रबंधन ने अपने परिवाद विवरण मे संलग्न नहीं किया है। अत यूनियन के द्वारा उठाए गए सवालों का लिखित जवाब प्रबंधन को दाखिल करने का आदेश जारी करने के लिए झारखंड मजदूर संघर्ष संघ के केंद्रीय अध्यक्ष रामा पांडे ने सहायक श्रमायुक्त केंद्रीय के समक्ष माँग की है। जिसमे एनजेसीएस का मुद्दा और खदान के प्रतिनिधित्व भी शामिल है तथा मान्यता प्राप्त यूनियन की चुनाव भी शामिल है। यूनियन ने चुनाव के लिए उप केंद्रीय श्रमायुक्त धनबाद के समक्ष परिवाद भी दाखिल किया है। सहायक श्रमायुक्त केंद्रीय ने अगली सुनवाई में यूनियन द्वारा उठाया गया दोनों परिवाद पर लिखित जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। अगली सुनवाई 04 अप्रैल 2025 को सुनिश्चित किया गया है। एनजेसीएस फोरम की कार्य प्रणाली पर प्रबंधन का जवाब का इंतज़ार सभी सेलकर्मी को है। बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली को ले कर चल रही सुनवाई आज पुनः सहायक श्रमायुक्त केंद्रीय चाइबासा के समक्ष यूनियन के पदाधिकारी एवं सेल प्रबंधन उपस्थित हुए। दोनों पक्षो ने पुनः अपना अपना पक्ष सहायक श्रमायुक्त के समक्ष रखा। प्रबंधन ने बायोमेट्रिक को एनजेसीएस फोरम में हुई समझौता का हवाला देते हुए एनजेसीएस पर अपना ठीकरा फोड़ने का प्रयास किया। परंतु झारखंड मजदूर संघर्ष संघ के महामंत्री राजेंद्र सिधिया ने एनजेसीएस और सेल प्रबंधन पर ही सवाल उठा दिया। दोनों पक्षो ने किस तरह औद्योगिक रोजगार स्थायी आदेश अधिनियम का उल्लंघन कर कैसे समझौता किया इस पर यूनियन ने प्रबंधन से सवाल किया। एनजेसीएस फोरम में खदान का कोई प्रतिनिधित्व नही है। खदान को पूछे बगैर खदान की किस्मत का फैसला एनजेसीएस कैसे कर सकता है। जबकि एनजेसीएस संविधान मे सिर्फ व सिर्फ संयंत्र का ही जिक्र किया गया है। अत बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली, खदान की स्थाई आदेश के तहत ही होना चाहिए। अगर नियोक्ता खदान के कर्मचारियों के सेवा शर्त मे परिवर्तन करना चाहता है तो औद्योगिक रोजगार स्थायी आदेश अधिनियम 1946 धारा 3 के तहत मसौदा तैयार कर धारा 6 के अनुसार सर्टिफाइड ऑफिसर के समक्ष प्रस्तुत करना होता है और धारा 10 के तहत संशोधन कर अपने उद्योग के लिए स्वीकृति प्राप्त करना होता है। सेल प्रबंधन को इस पर कार्य करने की आवश्यकता है। इस प्रतिक्रिया को सेल प्रबंधन पूर्ण नहीं कर रहा है। कर्मचारियों के सेवा शर्त में परिवर्तन नियोक्ता चाहता है, कर्मचारी नहीं। इसलिए नियोक्ता को संसोधन के लिए सर्टिफाइड ऑफिसर के पास अपील करना चाहिए। बिना संशोधन के इसे लागू करना औद्योगिक रोजगार स्थायी आदेश अधिनियम का उल्लंघन माना जाएगा। कोई भी सरकारी संस्था भारत सरकार द्वारा जारी नियम अथवा अधिनियम को उल्लंघन कर अपना उद्योग चला नहीं सकता। क्योंकि सरकारी संस्था सरकार द्वारा जारी नियम व अधिनियम का संरक्षक होता है और कोई भी नियोक्ता स्वेच्छा से कोई भी सेवा शर्त में परिवर्तन कर नहीं सकता। यह अधिकार सर्टिफाइड ऑफिसर को प्राप्त है, किसी उद्योग के नियोक्ता को नहीं।
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