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समानता और ज्ञान के प्रतीक माने जाते हैं डॉ आंबेडकर: केसरी

गढ़वा में डॉ आंबेडकर की जयंती पर ज्ञान निकेतन कान्वेंट स्कूल में बच्चों ने पेंटिंग प्रतियोगिता आयोजित की। कार्यक्रम का उद्घाटन निदेशक मदन केसरी और उप प्राचार्य बीके ठाकुर ने किया। डॉ आंबेडकर के योगदान...

Newswrap हिन्दुस्तान, गढ़वाSun, 20 April 2025 01:38 AM
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समानता और ज्ञान के प्रतीक माने जाते हैं डॉ आंबेडकर: केसरी

गढ़वा, प्रतिनिधि। डॉ आंबेडकर की जयंती पर शनिवार को जिला मुख्यालय स्थित ज्ञान निकेतन कान्वेंट स्कूल में बच्चों ने पेंटिंग प्रतियोगिता आयोजित किया गया। उक्त अवसर पर बच्चों ने पेंटिंग कर डॉ आंबेडकर को याद किया। कार्यक्रम का उद्घाटन निदेशक मदन केसरी और उप प्राचार्य बीके ठाकुर ने डॉ आंबेडकर के चित्र पर पुष्प अर्पित कर किया। मौके पर निदेकश ने कहा कि शिक्षा से ही व्यक्ति आत्मनिर्भर बनता है। संगठन से ताकत मिलती है। अन्याय के खिलाफ संघर्ष जरूरी है। मानवता ही धर्म है और संविधान ही धर्म ग्रंथ है। उन्होंने कहा कि जीवन भर समानता के लिए संघर्ष करने वाले आंबेडकर को समानता और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। उन्होंने कहा कि बाबा साहब के नाम से मशहुर डॉ आंबेडकर को भारत के संविधान का शिल्पकार कहा जाता है। आज़ादी के बाद उन्होंने न सिर्फ संविधान निर्माण में सबसे अहम भूमिका निभाई बल्कि स्वतंत्र भारत को लोकतांत्रिक व न्याय व्यवस्था भी बनाया। उन्होंने भारत के संविधान को दुनिया का सबसे बड़ा संविधान का दर्जा दिलाया दिया। बाबा साहब का जीवन वंचित, शोषित एवं पिछड़े वर्ग के उत्थान और सशक्तिकरण में समर्पित रहा। वह एक महान चिंतक, समाज सुधारक, कानून विशेषज्ञ, आर्थिक विशेषज्ञ, बहुभाषी वक्ता, संपादक और अपने आप में पत्रकार भी थे। बाबा साहब की जयंती उनके असाधारण योगदान को याद दिलाने के साथ समानता और सामाजिक न्याय के लिए हमारे निरंतर यात्रा पर विचार करने का अवसर प्रदान करता है। जीवन में आगे चलकर उन्होंने धर्म परिवर्तन कर बौद्ध धर्म को अपनाया। उनका मानना था कि दलितों को जाति प्रथा के खिलाफ अवश्य लड़ना चाहिए। ऐसा समाज बनाने की तरफ काम करना चाहिए जिसमें सबकी इज्जत हो। उनका मनाना था की जीवन लंबा होने के बजाय महान होना चाहिए। वह यह भी कहते थे कि किसी समाज की प्रगति उसमें मौजूद महिलाओं की स्थिति से देखते हैं।

डॉ आंबेडकर उस वक्त समाज में व्याप्त भेदभाव से लड़कर अपनी काबीलियत के दम पर आजाद भारत के पहले कानून मंत्री के पद पर पहुंचे। उनका मानना था कि शिक्षा ही ईश्वर है, विज्ञान ही सत्य है, मानवता ही धर्म है और संविधान ही धर्म ग्रंथ है। उनकी जयंती पर आयोजित पेंटिंग प्रतियोगिता में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले सभी छात्र छात्राओं को प्रशस्ति पत्र व मेडल देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन बीके ठाकुर और धन्यवाद ज्ञापन वरिष्ठ शिक्षक संतोष प्रसाद ने किया। प्रतियोगिता का आयोजन सीसीए इंचार्ज ऋषभ श्रीवास्तव के देख रेख में हुआ। कार्यक्रम में शिक्षक वीरेंद्र गुप्ता, कृष्ण कुमार, खुर्शीद आलम, नीरा शर्मा, सुनीता कुमारी, नीलम कुमारी, शिवानी गुप्ता, रागिनी कुमारी, मुकेश भारती, विकास कुमार अन्य की उपस्थिति सराहनीय रही।

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