बोले देवघर: ई-रिक्शा से अवैध वसूली व जाम से मिले मुक्ति
देवघर में 2015-16 में शुरू हुए ई-रिक्शा की संख्या अब 10,000 से अधिक हो गई है। चालकों ने बताया कि उन्हें अवैध वसूली का सामना करना पड़ता है और ना ही कोई स्टैंड या सुविधाएं उपलब्ध हैं। पुलिस द्वारा भी उन...
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वर्ष 2015-16 में देवघर में ई-रिक्शा चलने की शुरुआत हुई थी। आज शहर में इसकी संख्या करीब 10000 हो गई है। इन रिक्शा चालकों ने आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान की ओर से आयोजित बोले देवघर में अपना दर्द बताते हुए कहा कि हमें सुविधा नहीं मिलती, लेकिन अवैध वसूली के रूप में हर चौराहे पर रुपए देना पड़ता है। निगम ने न कोई स्टैंड बनाया है व न किराया का निर्धारण किया है। जाम लगने का दोष भी उन्हीं पर लगता है। ऊपर से पुलिस का डंडा भी झेलना पड़ता है । देवघर में वर्षों तक सामान्य रिक्शा का संचालन होता था। गरीब तबके के लोग मेहनत कर रिक्शा खींचकर चलाते थे और राहगीरों को उनके गंतव्य तक पहुंचाते थे। नई टेक्नालॉजी आने के बाद 2015 से देवघर में इलेक्ट्रिक रिक्शा यानि ई-रिक्शा चलना शुरू हुआ। धीरे-धीरे शहर में सैकड़ों ई-रिक्शा चलने लगे। 2018 आते-आते शहरी क्षेत्र में ई-रिक्शा की संख्या 1000 से 2000 तक थी। अब यह संख्या 10000 से अधिक हो गयी है। शहर के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से भी करीब 5000 ई-रिक्शा प्रतिदिन शहरी क्षेत्र में आते-जाते हैं। ये ई-रिक्शा चलानेवाले चालक प्रतिदिन लाखों यात्रियों को शहरी व आसपास के क्षेत्रों में उनके गंतव्य तक पहुंचाते हैं। साहिल कुमार, राजेंद्र महथा, मंटू राउत, जयप्रकाश, अजय महथा, जगु महथा, अरुण कुमार, दिलीप कुमार आदि ई-रिक्शा चालकों का कहना है कि उनके लिए सरकारी स्तर पर कोई सुविधा नहीं है। ई-रिक्शा चालकों का कहना है कि शहर में ना ही ई-रिक्शा स्टैंड बना है और न ही कोई अन्य सुविधाएं उपलब्ध करायी गयी हैं। ई-रिक्शा चालक भी शहर में चलने के लिए स्टैंड का चार्ज देते हैं।
इंदरा महथा ने कहा- स्टैंड नहीं बनने से अधिकांश चालक देर शाम के बाद ई-रिक्शा नहीं चला पाते हैं, जिससे रात में लोगों को गंतव्य तक पहुंचने में परेशानी होती है। ऐसे में अगर शहर में ई-रिक्शा स्टैंड बन जाए तो रात में भी यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया जाएगा। ई-रिक्शा चालकों ने बताया कि शहर में जाम लगने का सारा आरोप उन्हीं पर लगता है। जब भी जाम लगता है तो ट्रैफिक पुलिस वाले ई- रिक्शा चालकों का दोष बताते हुए उनपर डंडा चलाते हैं। ई- रिक्शा को सड़क के किनारे एक मिनट भी खड़ा नहीं होने देते हैं। सड़कों पर चार पहिया वाहनों की पार्किंग प्रतिदिन चारों तरफ होती है। चार पहिया वाहन घंटों सड़क पर खड़े रहेंगे तो ट्रैफिक पुलिस के जवान कुछ नहीं बोलेंगे। ई-रिक्शा चालकों पर डंडा चलाया जाता है। उनकी समस्याओं को सुनने वाला कोई नहीं है।
जनप्रतिनिधि और अधिकारी दोनों उनकी समस्याओं के समाधान के प्रति दिलचस्पी नहीं दिखाते हैं। इसके बाद हर मौसम में हम यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाते हैं। ई-रिक्शा चालकों ने बताया कि एक शहर में हमें चार जगह टैक्स देना पड़ता है। यानि एक ही शहर में तीन जगह पर्ची कटानी पड़ती है। और एक जगह तो पर्ची भी नहीं दी जाती है। प्रतिदिन चारो जगह 95 रुपए का टैक्स देना पड़ता हैं। जिसमें जसीडीह स्टेशन पर 40 रुपए, सतसंग चौक यूनियन के नाम पर 10 रुपए और देवघर रेलवे स्टेशन जाने पर 30 रुपए और नगर निगम मे 15 की पर्ची कटानी पड़ती है। पर्ची नहीं कटाने पर मारपीट तक की जाती है। वहीं अगर विपरीत मौसम, बंदी या हड़ताल के कारण सवारी की कमी हो गई या ई-रिक्शा नहीं चला तो ये 95 रुपए भी अपनी जेब से चले जाएंगे, जबकि एक ही शहर में तीन जगह स्टैंड टैक्स नहीं लगना चाहिए। लेकिन, यहां सड़क पर खुलेआम यह ज्यादती हो रही और प्रशासन आंखें बंद किए हुए हैं।
जसीडीह रेलवे स्टेशन पर अवैध पार्किंग शुल्क वसूली
देवघर। जसीडीह रेलवे स्टेशन पर मिल्टन सर्विस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा पार्किंग स्टैंड पर शुल्क लिया जाता है, रेलवे स्टेशन पर पार्किंग स्टैंड पर 10 रूपये प्लस 18% जीएसटी का शुल्क 6 घंटे के लिए निर्धारित किया गया है। हालांकि, टोटो चालकों से 12 घंटे के लिए 40 रुपए प्लस 18% जीएसटी वसूला जाता है।
टोटो चालकों का आरोप है कि मिल्टन सर्विस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा निर्धारित शुल्क से कहीं अधिक राशि उनसे जबरदस्ती वसूली जाती है। जब टोटो चालक 40 रूपये देने से मना करते हैं, तो मार पीट किया जाता है और धमकी दी जाती है।
संबंधित अधिकारियों से अनुरोध है कि वे इस मामले की गंभीरता से जांच करें और उचित कार्रवाई करें, ताकि इस प्रकार की अनियमितताओं को रोका जा सके। साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया जाए कि रेलवे स्टेशन पर पार्किंग शुल्क की वसूली पारदर्शी और कानूनी तरीके से की जाए।
हर चौक चौराहों पर ई-रिक्शा चालक परेशान
शहर में ई रिक्शा चालकों के लिए बिजली, पानी, शौचालय तक की मूलभूत सुविधा तक उपलब्ध नहीं। चालकों से लगभग सभी चौक-चौराहों पर अवैध वसूली की जाती है। नहीं देने पर वाहन पर डंडा बरसा कर उसे क्षतिग्रस्त कर दिया जाता है। खासकर सतसंग चौक, झरना चौक, बस स्टैंड, बैजनाथपुर, जसीडीह पर अवैध रूप से उनसे वसूली की जाती है।
ई-रिक्शा चालकों के साथ यात्रियों को भी मिले सुरक्षा
देवघर। ई-रिक्शा चालकों की सुरक्षा भी महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। शहरों में बढ़ते हुए ई-रिक्शा के संचालन के साथ-साथ इन चालकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करना जरूरी है, ताकि वे अपना काम बिना किसी डर और परेशानी के कर सकें। ई-रिक्शा चालकों को रोजाना विभिन्न खतरों का सामना करना पड़ता है, जैसे कि सड़क दुर्घटनाएं।
ट्रैफिक पुलिस से चालक परेशान : अवैध वसूली, और ट्रैफिक पुलिस द्वारा उत्पीड़न। इसके अलावा, गर्मी, बरसात और ठंडे मौसम में भी उन्हें सवारी ढोने के लिए काम करना पड़ता है, जिससे उनका स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है।
सुरक्षा उपायों के रूप में, ई-रिक्शा चालकों के लिए हेलमेट और अन्य सुरक्षा उपकरण अनिवार्य किए जाने चाहिए। इसके साथ ही, शहरों में ई-रिक्शा के लिए सुरक्षित रूट और पार्किंग स्थानों का निर्धारण करना आवश्यक है, ताकि वे बिना किसी जोखिम के यात्री बैठा सकें।
सीसीटीवी और लाइट की मांग: ई-रिक्शा स्टैंड में सीसीटीवी कैमरे और उचित रोशनी की व्यवस्था की जानी चाहिए, ताकि वहां कोई असामाजिक गतिविधियाँ न हो सकें। इसके अतिरिक्त, चालकों को आपातकालीन परिस्थितियों में मदद के लिए एक हेल्पलाइन नंबर भी उपलब्ध कराना चाहिए। इन सभी सुरक्षा उपायों से चालकों का जीवन सुरक्षित होगा और वे अपना काम बिना डर के कर सकेंगे।
सुझाव
1. ई-रिक्शा स्टैंड का निर्माण : शहर के प्रमुख स्थानों पर ई-रिक्शा स्टैंड बनाए जाएं, ताकि चालक अपनी गाड़ियों को सुरक्षित तरीके से खड़ा कर सकें और यात्री आसानी से सवारी बैठा सकें।
2. चार्जिंग पॉइंट्स की स्थापना : शहर में चार्जिंग स्टेशन बनाए जाएं ताकि ई-रिक्शा चालक अपनी गाड़ियों को आसानी से चार्ज कर सकें और अपनी कार्यक्षमता को प्रभावित न होने दें।
3. वसूली पर रोक : अवैध वसूली को रोकने के लिए प्रशासन द्वारा कड़े कदम उठाए जाएं और पार्किंग शुल्क व अन्य शुल्कों की पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए।
4. टैक्स का पुन: मूल्यांकन : एक ही शहर में कई जगह टैक्स न लिया जाए। केवल एक स्थान पर टैक्स लिया जाए और वह भी उचित तरीके से निर्धारित किया जाए।
5. सुरक्षा सुविधाओं का सुधार : ई-रिक्शा चालकों को सुरक्षा के लिहाज से शौचालय, पानी और अन्य बुनियादी सुविधाएँ प्रदान की जाएं ताकि उनकी कार्य स्थिति सुधर सके।
शिकायतें
1. ई-रिक्शा स्टैंड की कमी : शहर में ई-रिक्शा के लिए कोई निर्धारित स्टैंड नहीं है, जिससे चालक अपनी गाड़ियों को सही तरीके से खड़ा नहीं कर पाते हैं और यात्रियों को परेशानी होती है।
2. अवैध वसूली : ई-रिक्शा चालकों से शहर के चौक-चौराहों पर अवैध वसूली की जाती है। जब वे वसूली नहीं करते, तो उन्हें पुलिस द्वारा प्रताड़ित किया जाता है और उनकी गाड़ी को नुकसान पहुँचाया जाता है।
3. टैक्स की अधिकता: ई-रिक्शा चालकों से एक ही शहर में विभिन्न स्थानों पर टैक्स लिया जाता है, जो अत्यधिक है और उनके लिए आर्थिक दबाव बनाता है।
4. चार्जिंग की समस्या : ई-रिक्शा चालकों के पास चार्जिंग की कोई सुविधा नहीं है। जब बैटरी खत्म हो जाती है, तो उन्हें ई-रिक्शा को घर ले जाकर चार्ज करना पड़ता है।
5. पुलिस का दमनकारी व्यवहार : जाम लगने का आरोप हमेशा ई-रिक्शा चालकों पर लगता है और उन्हें ट्रैफिक पुलिस के द्वारा डंडे से पीटा जाता है, जबकि सड़कों पर अन्य वाहन घंटों खड़े रहते हैं।
शहर में जाम की स्थिति से निपटने के लिए टोटो चालकों के रूट को डिफाइन करना होगा। यदि टोटो वालों को विशेष रूट सौंपे जाएं और वे उसी रूट पर चलें, तो यातायात की भीड़ को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके अलावा, विभिन्न स्थानों पर टोटो स्टैंड बनाकर पार्किंग और सवारी बैठाने के लिए एक व्यवस्था स्थापित की जा सकती है। इससे न केवल जाम की समस्या कम होगी, बल्कि टोटो चालकों के लिए भी एक संरचित मार्ग और पार्किंग की सुविधा उपलब्ध होगी, जिससे शहर की यातायात व्यवस्था में सुधार होगा। -प्रकाश मिश्रा नगर प्रबंधक नगर निगम देवघर
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