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महाशिवरात्रि पर 149 वर्ष बाद बन रहा विशेष संयोग : आचार्य पं.चेतन पाण्डेय

महाशिवरात्रि पर 149 वर्ष बाद बन रहा विशेष संयोग : आचार्य पं.चेतन पाण्डेयमहाशिवरात्रि पर 149 वर्ष बाद बन रहा विशेष संयोग : आचार्य पं.चेतन पाण्डेयमहाशिव

Newswrap हिन्दुस्तान, चतराMon, 24 Feb 2025 10:52 PM
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महाशिवरात्रि पर 149 वर्ष बाद बन रहा विशेष संयोग : आचार्य पं.चेतन पाण्डेय

इटखोरी निज प्रतिनिधि शिव व शक्ति के मिलन का पावन पर्व महाशिवरात्रि पर इस वर्ष करीब 149 साल बाद एक अद्भुत संयोग बनने जा रहा है। यह संयोग देश और समाज के लिए काफी शुभप्रद्ध साबित होगा। महिलाओं की बात करें तो यह संयोग उन्हें अपार सम्मान दिलाएगी। यह बातें जन्मकुंडली, वास्तु व कर्मकाण्ड परामर्श के विशेषज्ञ आचार्य पंडित चेतन पाण्डेय ने कहा। आचार्य ने बताया कि महाशिवरात्रि के दिन इस बार काफी दुर्लभ संयोग बन रहा है। इस दिन ग्रहों की स्थिति काफी अलग रहने वाली है। उन्होंने बताया कि महाशिवरात्रि के दिन इस बार धन के दाता शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में रहेंगे। जिससे मालव्य राजयोग का निर्माण हो रहा है। इसके साथ ही मीन राशि में शुक्र की राहु के साथ युति हो रही है। इसके अलावा कुंभ राशि में सूर्य और शनि की युति चल रही है। पिता-पुत्र की युति होने से कई राशियों को लाभ मिलेगा। इसके अलावा कुंभ राशि में बुध भी विराजमान हैं। जिसे तीनों ग्रहों की युति से त्रिग्रही योग और सूर्य-बुध की युति से बुधादित्य योग और शनि के अपने मुल त्रिकोण राशि में होने से शश राजयोग का निर्माण हो रहा है। आचार्य पंडित चेतन पाण्डेय ने बताया कि ऐसा संयोग 1873 ईस्वी में बना था। करीब 149 साल बाद इस वर्ष यह संयोग बन रहा है। इसके अलावा इस दिन शिव के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। यह योग शुभ फलप्रद माना गया है। यह योग भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना और आराधना हर प्रकार के कष्टों से मुक्ति दिलाने वाला होगा। यह संयोग समृद्धि दिलाने के साथ साथ हर मुश्किलों से दूर करने वाला होगा। आचार्य ने कहा कि सबसे बड़ी बात कि इस वर्ष महाशिवरात्रि के दिन बुधवार और श्रवण नक्षत्र का योग बन रहा है । यह योग विद्यार्थी वर्ग के लिए विद्या प्रदान करने वाला योग माना गया है। वहीं इस दिन श्रवण नक्षत्र के साथ-साथ परिघ और शिव नाम का योग का निर्माण हो रहा है। यह योग महिलाओं को अखंड सौभाग्य दिलाने वाला होगा। ऐसे में इस पावन त्योहार पर भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना विशेष लाभप्रद होगा। महाशिवरात्रि पर सुबह से लेकर शाम तक पूजा का शुभ समय बन रहा है। सुबह में भगवान शंकर को जलाभिषेक के साथ दूध और अन्य पूजन सामग्री अर्पन करने से विशेष अभिष्ठ फल की प्राप्ति कराने का संयोग बन रहा है। वैसे शास्त्रों में महाशिवरात्रि की पूजा और व्रत निशा व्यापिनी चतुर्दशी का अधिक महत्वपूर्ण बताया गया है। आचार्य चेतन पाण्डेय बताते हैं कि महाशिवरात्रि पर इस बार श्रवण नक्षत्र भोग कर रहा है। यह नक्षत्र भगवान शिवजी को प्रिय है। बताया कि इस वर्ष शनि का कुम्भ राशि पर भ्रमण एवं शुक्र का उच्च राशि पर भ्रमण होने के साथ ही बुधवार को महाशिवरात्रि है। यह योग बहुत शुभप्रद है।

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