नीली आंखें, इस्लामाबाद से लंदन तक छाई तस्वीर; अब पाकिस्तान ने रद्द कर दी वायरल चायवाले की नागरिकता
- 2016 में, जब वह इस्लामाबाद के एक बाजार में चाय बेच रहे थे, उनकी एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। उनकी नीली आंखों और सौम्य चेहरे ने दुनिया भर में लोगों का ध्यान खींचा।

पाकिस्तान के राष्ट्रीय डेटाबेस और पंजीकरण प्राधिकरण (नादरा) ने सोशल मीडिया पर वायरल हुए मशहूर 'चायवाला' अरशद खान की नागरिकता को निलंबित कर दिया है। अरशद खान 2016 में अपनी नीली आंखों और आकर्षक तस्वीर के कारण अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में आए थे। लेकिन अब वह अपनी पहचान और नागरिकता को लेकर कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। इस कार्रवाई के तहत उनका कम्प्यूटरीकृत राष्ट्रीय पहचान पत्र (सीएनआईसी) और पासपोर्ट को ब्लॉक कर दिया गया है, जिसके बाद उन्होंने लाहौर उच्च न्यायालय (एलएचसी) का दरवाजा खटखटाया है।
क्या है पूरा मामला?
अरशद खान ने अपनी याचिका में दावा किया है कि नादरा और पासपोर्ट विभाग ने उनकी नागरिकता को बिना किसी ठोस सबूत के निलंबित कर दिया। उनके वकील, बैरिस्टर उमर इजाज गिलानी ने कोर्ट में तर्क दिया कि अरशद का परिवार लंबे समय से पाकिस्तान में रहता आया है और उनकी नागरिकता का इतिहास दर्ज है। फिर भी, नादरा ने उनसे 1978 से पहले के निवास का सबूत मांगा, जिसे वकील ने दुर्भावनापूर्ण और गैर-कानूनी करार दिया। गिलानी ने कहा, "अरशद खान 'पाकिस्तानी सपने' का प्रतीक हैं, जो एक साधारण चायवाले से वैश्विक पहचान तक पहुंचे। नादरा का यह कदम उनकी प्रतिष्ठा और आजीविका को नुकसान पहुंचा रहा है।"
कोर्ट ने मांगा जवाब
लाहौर उच्च न्यायालय ने इस मामले में केंद्र सरकार, नादरा और इमिग्रेशन विभाग को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने 17 अप्रैल को सभी संबंधित पक्षों को पूरी जानकारी के साथ पेश होने का आदेश दिया है। सुनवाई के दौरान अरशद के वकील ने नादरा के फैसले को नेशनल डेटाबेस एंड रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी अधिनियम, 2000 की धारा 18 का उल्लंघन बताया। उनका कहना था कि यह कार्रवाई बिना किसी कानूनी आधार के की गई है।
अरशद का सफर
अरशद खान की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है। अरशद खान, जिन्हें 'चायवाला' के नाम से जाना जाता है, वह पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के रहने वाले हैं, और उनकी जड़ें मरदान क्षेत्र से जुड़ी हैं, जोकि पेशावर के पास स्थित एक बडा शहर है। 2016 में, जब वह इस्लामाबाद के एक बाजार में चाय बेच रहे थे, उनकी एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। उनकी नीली आंखों और सौम्य चेहरे ने दुनिया भर में लोगों का ध्यान खींचा। रातोंरात मशहूर होने के बाद उन्हें मॉडलिंग और अभिनय के ऑफर मिले। 2020 में, अरशद ने इस्लामाबाद में 'कैफे चायवाला' नाम से अपना खुद का कैफे खोला, जो ट्रक कला और पाकिस्तानी संस्कृति से प्रेरित है। हाल ही में उन्होंने 'शार्क टैंक पाकिस्तान' में 1 करोड़ रुपये की फंडिंग भी हासिल की थी, जिससे उनका ब्रांड लंदन तक पहुंच गया।
नागरिकता निलंबन का असर
अरशद ने कोर्ट में कहा कि उनकी पहचान पत्र और पासपोर्ट के ब्लॉक होने से उनकी रोजगार और व्यापारिक संभावनाएं प्रभावित हुई हैं। उनकी सामुदायिक प्रतिष्ठा को भी ठेस पहुंची है। उनके समर्थकों का मानना है कि यह कार्रवाई उनकी सफलता से जलन का नतीजा हो सकती है। वहीं, नादरा का कहना है कि अरशद ने नागरिकता के सबूत पेश नहीं किए, जिसके आधार पर यह कदम उठाया गया।
आगे क्या?
अब सभी की नजरें लाहौर उच्च न्यायालय के अगले कदम पर टिकी हैं। यह मामला न केवल अरशद खान की निजी लड़ाई है, बल्कि पाकिस्तान में नागरिकता और पहचान के मुद्दों पर भी सवाल उठा रहा है। अरशद के प्रशंसक सोशल मीडिया पर उनके समर्थन में उतर आए हैं और इसे एक अन्यायपूर्ण कदम बता रहे हैं। कोर्ट का फैसला न केवल अरशद के भविष्य को तय करेगा, बल्कि यह भी संदेश देगा कि क्या सपनों को हकीकत में बदलने की राह इतनी आसान है। फिलहाल, अरशद खान अपने अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं, और यह देखना बाकी है कि क्या वह इस चुनौती से भी उसी तरह उबर पाएंगे, जैसे उन्होंने अपनी जिंदगी को एक नई दिशा दी थी।
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