हमें चुपचाप नहीं बैठना चाहिए, PM मोदी-ट्रंप की मुलाकात से तिलमिला गया पाकिस्तानी मीडिया
- पीएम मोदी और ट्रंप की मुलाकात से पाकिस्तानी मीडिया चिढ़ गया है। संपादकीय लिखकर कहा है कि भारत अपनी आर्थिक ताकत और संबंधों का फायदा उठाकर अमेरिका में पाकिस्तान पर दोष मढ़ रहा है।
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पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका के दौरे पर थे, जहां पर उन्होंने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से बात की। इस दौरान भारत और अमेरिका के बीच रिश्तों में एक नई चमक देखी गई और ट्रंप ने अमेरिका के शानदार फाइटर जेट एफ-35 को भारत को ऑफर कर दिया। पीएम मोदी को अमेरिका में मिले इतने सम्मान से पाकिस्तान और वहां की मीडिया तिलमिला गई है। पाकिस्तान के मीडिया ऑर्गनाइजेशन द डॉन ने संपादकीय लिखकर कहा है कि भारत अपनी आर्थिक ताकत और संबंधों का फायदा उठाकर अमेरिका में पाकिस्तान पर दोष मढ़ रहा है। पाकिस्तान को चुपचाप नहीं बैठना चाहिए।
'द डॉन' पर यह संपादकीय रविवार को प्रकाशित हुआ है, जिसका शीर्षक 'संतुलन बनाए रखना' है। इसमें लिखा गया है कि डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में नए अमेरिकी प्रशासन द्वारा उस देश की विदेश नीति पर अपनी पकड़ मजबूत करने के साथ, पाकिस्तान-अमेरिका संबंधों के अल्पकालिक से मध्यम अवधि के भविष्य के बारे में अनिश्चितता है। हाल के घटनाक्रम चिंता का कारण हैं। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय को राष्ट्रपति ट्रंप और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हाल ही में हुई बैठक के परिणामों के बारे में सार्वजनिक रूप से अपनी चिंता व्यक्त करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। खासतौर पर, पाकिस्तान ट्रंप द्वारा भारत को मॉडर्न सैन्य तकनीकें, जैसे कि एफ-35 फाइटर जेट बेचने की पेशकश के बारे में चिंतित है। इसका पाकिस्तान की राष्ट्रीय रक्षा पर असर पड़ सकता है।
संपादकीय में कहा गया है, ''यह भी गुस्से वाली बात है कि बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में पाकिस्तान से 2008 के मुंबई हमलों और पठानकोट घटना के लिए जिम्मेदार लोगों को शीघ्र न्याय के कटघरे में लाने का आह्वान किया गया है और कहा गया है कि पाकिस्तानी क्षेत्र का इस्तेमाल सीमा पार आतंकवाद के लिए नहीं किया जाना चाहिए। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि इस तरह के संदर्भ एकतरफा और भ्रामक हैं।'' लेख में आगे कहा गया कि अमेरिका ने पाकिस्तान पर अपने आक्रामक दृष्टिकोण के लिए जाने वाले भारतीय मूल के विद्वान एस. पॉल कपूर को दक्षिण और मध्य एशिया के लिए अपना प्रतिनिधि नामित किया गया है। कपूर प्रशासन में पाकिस्तान के कट्टर आलोचकों की कतार में नवीनतम सदस्य होंगे। उनके नामांकन को पहले से ही वॉशिंगटन के इस्लामाबाद में कुछ हल्कों के प्रति कटु दृष्टिकोण के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
भारत पर बेबुनियाद आरोप लगाते हुए संपादकीय में आगे कहा गया, ''इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत के बारे में पाकिस्तान की चिंताएं जायज हैं। ऐसा लगता है कि नई दिल्ली एक बार फिर वैश्विक हत्या और आतंकवाद के नेटवर्क चलाने में अपनी संलिप्तता के लिए जवाबदेही से बचने के लिए आर्थिक ताकत का लाभ उठा रही है, जबकि साथ ही विदेशी साझेदारों के साथ अपने संबंधों का इस्तेमाल करके सार्वजनिक रूप से पाकिस्तान पर दोष मढ़ रही है।'' पाकिस्तान को भारत के इस खेल को देखते हुए चुपचाप नहीं बैठना चाहिए और उसे पाकिस्तान की सच्चाई को स्थापित करने के लिए अधिक सक्रिय दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।
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