UCC जरूरी नहीं, लॉ कमीशन की रिपोर्ट पर कांग्रेस का बड़ा दावा; मोदी सरकार पर हमला
- कांग्रेस ने कहा है कि मोदी सरकार विधि आयोग के साथ भी घटिया व्यवहार कर रही हैे। जयराम रमेश ने कहा कि विधि आयोग की रिपोर्ट में कहा गया था कि यूसीसी की कोई जरूरत ही नहीं है।
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समान नागरिक संहिता (UCC) और 23वें विधि आयोग के गठन में देरी को लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार पर बड़ा हमला किया है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि मौजूदा एनडीए की सरकार एक प्रतिष्ठित संस्थान के साथ घटिया व्यवहार कर रही है। उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता जैसे संवेदनशील मुद्दे को लेकर भी लॉ कमीशन पर सरकार का रवैया बेहद खराब है। जयराम रमेश ने कहा कि 22वां विधि आयोग समान नागरिक संहिता को लेकर अपनी रिपोर्ट पेश भी कर पाया था कि 31 अगस्त को उसे खत्म कर दिया गया।
सोमवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि कहा कि कैबिनेट ने यूसीसी को लेकर नियमों को मंजूरी दे दी है और इसे जल्द ही राज्य में लागू किया जाएगा। इस महीने के आखिरी तक यूसीसी लागू हो सकता है। मंगलवार को रमेश ने कहा कि 21वें विधि आयोग ने 182 पेज की रिपोर्ट मोदी सरकार को सौंपी ती। इसमें कहा गया था कि फिलहाल यूसीसी की जरूरत नहीं है।
रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘मोदी सरकार द्वारा नियुक्त 21वें विधि आयोग ने 31 अगस्त 2018 को 182 पृष्ठ के परामर्श पत्र में कहा था कि “जब भारतीय संस्कृति की विविधता का जश्न मनाया जा सकता है और मनाया जाना चाहिए, तब इस प्रक्रिया में विशेष समूहों या समाज के कमजोर वर्गों को वंचित नहीं किया जाना चाहिए। ऐसे में विवाद के समाधान के लिए विविधता को खतरे में नहीं डालना चाहिए। इसलिए समान नागरिक संहिता न तो जरुरी है और न ही वांछित।’
उन्होंने कहा कि 14 जून, 2023 को जारी एक प्रेस नोट में 22वें विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता की जांच करने के अपने इरादे को फिर से अधिसूचित किया। उन्होंने कहा, ‘23वें विधि आयोग की घोषणा 3 सितंबर, 2024 को की गई थी लेकिन इसके संगठन की घोषणा अभी तक नहीं की गई है। मोदी सरकार विधि आयोग जैसी प्रतिष्ठित संस्था के साथ इतना घटिया व्यवहार क्यों कर रही है?’
जयराम रमेश के इस बयान को गृह मंत्री अमित शाह के उस बयान के जवाब के रूप में भी देखा जा रहा है जो कि उन्होंने विधानसभा चुनाव से पहले झारखंड में दिया था। उन्होंने कहा था कि उत्तराखंड में बीजेपी सबसे पहले समान नागरिक संहिता लागू कर रही है। इसके बाद पूरे देश में इसे लागू किया जाएगा। लेकिन आदिवासियों को इससे अलग रखा जाएगा। वहीं शीत सत्र के दौरान अमित शाह ने कांग्रेस पर तुष्टीकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ही मुस्लिम पर्सनल लॉल लेकर आए थे। (भाषा से इनपुट्स के साथinter)
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