आते ही टिकटॉक की तरह विवादों में DeepSeek, उइगर मुस्लिमों के सवाल पर बोलती बंद
- मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और विशेषज्ञों ने चीन के नए एआई डीपसीक की आलोचना की है। इसके सरकारी प्रचार-प्रसार, संवेदनशील विषयों पर सेंसरशिप और व्यक्तिगत डेटा एकत्र करने के बारे में सवाल उठने लगे हैं।
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Chinese AI DeepSeek: चीन के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) डीपसीक ने दुनियाभर में तहलका मचा दिया है। अमेरिका की आईटी कंपनियों के शेयर धड़ाम हो गए और चैट जीपीटी जैसे पॉपुलर एआई से डीपसीक की टक्कर हो रही है। हालांकि, लोकप्रियता के कुछ दिनों के भीतर ही चीनी कंपनी टिकटॉक की तरह ही डीपसीक पर भी सवाल उठने लगे हैं। दरअसल, जब इस एआई प्लेटफॉर्म पर लोगों ने चीन में होने वाले उइगर मुस्लिमों समेत ड्रैगन को घेरने वाले मुद्दों पर सवाल पूछे तो इसकी बोलती बंद हो गई और यूजर्स को सटीक जवाब नहीं मिल सके,जिससे चीन की भी पोल खुल गई।
‘एएनआई’ के अनुसार, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने चीन के नए विकसित एआई प्लेटफॉर्म डीपसीक की कड़ी आलोचना की है। इसके सरकारी प्रचार-प्रसार, संवेदनशील विषयों पर सेंसरशिप और व्यक्तिगत डेटा एकत्र करने में इसकी भूमिका के बारे में सवाल उठने लगे हैं। यह एआई उइगरों, तियानमेन स्क्वायर नरसंहार और ताइवान की वापसी के आह्वान से संबंधित मुद्दों को सेंसर करता हुआ दिखाई दे रहा है। जब लोगों ने इससे जुड़े सवाल किए तो उसका सही जवाब नहीं मिल सका, क्योंकि इससे चीन की पोल खुलने का डर रहता। इसके अलावा, ऐप पर खुलेआम पर्सनल डेटा, आईपी एड्रेस, चैट हिस्ट्री को कलेक्ट करने का भी आरोप लगा है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर 'कैंपेन फॉर उइगर' ने अपने एक पोस्ट में डीपसीक को लेकर यह दावा किया है।
जब चीन पर उइगर मुसलमानों के खिलाफ मानवाधिकारों के हनन का आरोप लगाया गया, तो डीपसीक ने अजीब तरीके से काम किया। उइगर कौन हैं और आप मुझे चीन में रहने वाले लोगों के बारे में क्या बता सकते हैं? जब डीपसीक से पूछा गया तो उसने जातीय समूहों के इतिहास, संस्कृति और चीनी सरकार द्वारा उनके साथ किए गए व्यवहार से जुड़े विवादों को कवर करते हुए एक संक्षिप्त उत्तर दिया, लेकिन फिर जवाब को हटा दिया और यूजर्स से किसी दूसरे विषय पर चर्चा करने के लिए कहा। एआई ने लिखा, "क्षमा करें, यह मेरे वर्तमान दायरे से बाहर है। चलो कुछ और बात करते हैं।'' इसी तरह का जवाब डीपसीक ने 1989 के तियानमेन स्क्वायर विरोध और नरसंहार के बारे में पूछे जाने पर भी दिया।
चीनी ऐप्स का इतिहास रहा है दागदार
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) सरकार पर अतीत में भी कई ऐप्स के जरिए दुनियाभर के देशों की निगरानी करने का आरोप लगता रहा है। भारत सरकार ने भी कोरोना काल में टिकटॉक समेत कई ऐसी ऐप्स को देश की सुरक्षा को देखते ही बैन लगा दिया था, जिसके बाद इन्हें गूगल प्ले स्टोर और ऐपल ऐप स्टोर से भी हटा दिया गया। चीन की जिनपिंग सरकार को मानवाधिकारों के उल्लंघन के इतिहास के लिए जाना जाता है। उइगरों के लिए अभियान की कार्यकारी निदेशक रुशान अब्बास ने सोशल मीडिया पर इस प्लेटफॉर्म की निंदा करते हुए कहा, “यह संवेदनशील डेटा एकत्र करता है जो सीसीपी को लाभ पहुंचाएगा, जो मानवाधिकारों के हनन के लिए जानी जाने वाली एक शासन व्यवस्था है। चीनी एआई प्लेटफॉर्म और ऐप डिजिटल ट्रांसनेशनल दमन सहित खतरों को बढ़ावा देते हैं। हम इसे अनदेखा नहीं कर सकते।”
'चीनी प्रचार का मुखपत्र है डीपसीक'
वहीं, स्विट्जरलैंड में रहने वाले डिजिटल कानून विशेषज्ञ जान जारनोकी ने डीपसीक के साथ 'एक्स' पर अपना अनुभव शेयर किया। जारनोकी ने कहा, "डीपसीक भले ही तकनीकी रूप से एक बड़ी सफलता हो, लेकिन यह चीनी प्रचार का मुखपत्र भी है।" उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने एआई को झिंजियांग में चीन की कार्रवाइयों को अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत नरसंहार और मानवता के खिलाफ अपराध के रूप में स्वीकार करने के लिए मनाने की कोशिश की। हालांकि, जब भी उन्होंने इस मुद्दे को उठाया, डीपसीक एआई ने अचानक जवाब देना बंद कर दिया, यह कहते हुए कि क्वेरी को सपोर्ट नहीं किया जा सकता है। जारनोकी ने कहा कि झिंजियांग के बारे में एआई की प्रतिक्रियाएं बहुत हद तक स्क्रिप्टेड थीं और उन्होंने इसे चीनी प्रचार का एक टेम्पलेट बताया।
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