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हिमाचल में ऐसे लोगों को नहीं मिलेंगी सुविधाएं, जबलपुर की घुमारवीं नगर परिषद का फैसला; नशे के खिलाफ जंग

हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में घुमारवीं नगर परिषद ने नशा करने और बेचने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कदम उठाया है। इसके अलावा फैसला लिया गया है कि नगर परिषद के अधिकार क्षेत्र में दो महीने तक स्वच्छता और नशा जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।

Sneha Baluni बिलासपुर। पीटीआईTue, 18 Feb 2025 06:50 AM
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हिमाचल में ऐसे लोगों को नहीं मिलेंगी सुविधाएं, जबलपुर की घुमारवीं नगर परिषद का फैसला; नशे के खिलाफ जंग

हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में घुमारवीं नगर परिषद ने नशा करने और बेचने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कदम उठाया है। परिषद ने फैसला लिया है कि चिट्टा (मिलावटी हेरोइन) के नशे में धुत लोगों और नशा बेचने वालों के परिवारों को नगर परिषद द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं से वंचित रखा जाएगा। इसे लेकर रविवार को नगर परिषद की बैठक में निर्णय लिया गया।

दो ग्राम पंचायतों ने पहले लिया फैसला

नगर परिषद की प्रमुख रीता सहगल ने सोमवार को पत्रकारों को इस फैसले के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह निर्णय लिया गया है कि नगर परिषद 'चिट्टा' से जुड़े किसी भी मामले में दोषी पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति को किसी भी तरह का प्रमाण पत्र जारी नहीं करेगी। इससे पहले, बिलासपुर में औहर और गतवार ग्राम पंचायतों ने 'चिट्टा' के आदी लोगों के परिवारों और नशीली दवाओं के विक्रेताओं को उनके द्वारा दिए जाने वाले लाभों से वंचित करने का फैसला लिया था।

क्या होता है चिट्टा

पूर्व राज्य फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला के डायरेक्टर अरुण शर्मा ने पहले कहा था कि चिट्टा (डायसिटाइलमॉर्फिन), अर्ध-सिंथेटिक ओपिओइड जो मुख्य तौर से हेरोइन से मिलता है, बहुत ज्यादा खतरनाक और जानलेवा है क्योंकि समय बीतने के साथ इसका सेवन बढ़ता जाता है और अधिक मात्रा में सेवन करने से व्यक्ति की मौत भी हो सकती है। रविवार की बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि नगर परिषद के अधिकार क्षेत्र में दो महीने तक स्वच्छता और नशा जागरूकता अभियान चलाया जाएगा और विभिन्न वार्डों में रैलियां और बैठकें आयोजित की जाएंगी, जिसमें नागरिकों को स्वच्छता के महत्व और नशीली दवाओं के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक किया जाएगा।

सरकार पर निशाना

हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मादक पदार्थों के बढ़ते मामलों का उल्लेख करते हुए सोमवार को राज्य सरकार पर इस बुराई से निपटने के प्रति गंभीर नहीं होने का आरोप लगाया। उन्होंने पूर्व में मादक पदार्थों के अधिक मात्रा में सेवन के कारण युवाओं की मृत्यु की रिपोर्ट का उल्लेख किया और बताया कि राज्य विधानसभा ने सुक्खू सरकार के गठन के बाद से 31 जुलाई, 2024 तक मादक पदार्थों से संबंधित 11 मौतों की आधिकारिक पुष्टि की है। हालांकि, ठाकुर ने दावा किया कि (मौतों की) वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक है, क्योंकि सामाजिक कलंक के कारण कई मामले प्रकाश में नहीं आ पाते।

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