जंगली मुर्गा विवाद में हिमाचल पुलिस की एंट्री; दर्ज किया मानहानि और फेक न्यूज का केस
हिमाचल प्रदेश के कथित 'जंगली मुर्गा' विवाद में अब पुलिस की एंट्री हो गई है। हिमाचल प्रदेश पुलिस ने इस बारे में अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है। अज्ञात आरोपियों पर मानहानिकारक और झूठी खबर फैलाने के आरोप लगाए गए हैं।
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हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के अपने सहयोगियों के साथ एक दूरदराज के इलाके में डिनर के दौरान कथित 'जंगली मुर्गा' टिप्पणी विवाद मामले में अब पुलिस की एंट्री हो गई है। कथित तौर पर घटना से जुड़ा वीडियो वायरल होने के बाद अब हिमाचल प्रदेश पुलिस ने इस बारे में अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है। पुलिस का कहना है कि केस मानहानिकारक और झूठी खबर फैलाने के आरोपों के तहत दर्ज किया गया है।
हिमाचल पुलिस ने कहा कि कुलग गांव की प्रधान सुमन चौहान और नीटू कुमार नामक एक अन्य स्थानीय निवासी की ओर से दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। ग्राम प्रधान सुमन चौहान का दावा है कि उनके इलाके में जंगली मुर्गा नहीं पाया जाता है। सीएम का भी कहना है कि वे देसी मुर्गा की बात कर रहे थे।
दरअसल, पिछले हफ्ते एक वीडियो वायरल हुआ था। यह वीडियो शिमला जिले के सुदूर टिक्कर इलाके में रिकॉर्ड किया गया था जहां पिछले शुक्रवार को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू स्वास्थ्य मंत्री धनी राम शैंडी एवं अन्य लोगों के साथ भोजन कर रहे थे। वायरल वीडियो में सीएम सुक्खू को कथित तौर पर यह कहते हुए दिखाया गया है कि 'इनको दो जंगली मुर्गा, हमें थोड़ी खाना है।' सीएम अपने साथियों से पूछते हैं कि क्या वे इसे खाना चाहते हैं।
भाजपा ने इस मुद्दे को उछालते हुए दावा किया कि 'जंगली मुर्गा' वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 और वन्यजीव (संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2022 की अनुसूची I के तहत एक लुप्तप्राय प्रजाति के तौर पर लिस्ट है। इसका शिकार करना या खाना अवैध है। भाजपा की प्रदेश इकाई ने सीएम सुक्खू की इस बात को लेकर आलोचना की कि उन्होंने अपने सहयोगियों को कथित तौर पर 'जंगली मुर्गा' खाने के लिए प्रोत्साहित किया। भाजपा ने CM से माफी की मांग की थी।
हालांकि सीएम सुक्खू ने भाजपा के आरोपों का जवाब देते हुए कहा था कि स्थानीय ग्रामीणों ने देसी मुर्गा पकाया था। मैंने इसे दूसरों को परोसने को कहा क्योंकि मैं मांसाहार नहीं करता हूं। हिमाचल प्रदेश पुलिस ने अपने बयान में कहा कि उसने अज्ञात लोगों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 353 (2) और 356 के तहत नफरत और बदनामी की भावनाओं को बढ़ावा देने के इरादे से झूठी खबर फैलाने के आरोपों के तहत केस दर्ज किया है।
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