भतीजे और चचेरे भाई ने मिलकर लूटे 2.7 करोड़; कनाडाई वीजा के नाम पर गुजरात में ऐसे हुआ फ्रॉड
- दर्शन पटेल नाम के इस व्यक्ति ने आरोप लगाया कि उसे अपने भतीजे को अलग-अलग मौकों पर पैसे देने पड़े, पहले विजिटर वीजा के बहाने, फिर वर्क परमिट के लिए और फिर बिजनेस वीजा के लिए।
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गुजरात के वडोदरा में वीजा घोटाले का मामला सामने आया है। यहां एक व्यक्ति के साथ 2.7 करोड़ रुपये की जबरन वसूली हुई है। दर्शन पटेल नाम के इस व्यक्ति ने आरोप लगाया कि उसे अपने भतीजे को अलग-अलग मौकों पर पैसे देने पड़े, पहले विजिटर वीजा के बहाने, फिर वर्क परमिट के लिए और फिर बिजनेस वीजा के लिए। इस तरह भतीजे और चचेरे भाई ने इतनी बड़ी वारदात को अंजाम दिया।
यह भी दावा किया गया है कि उन्हें वर्क परमिट का एक फर्जी पत्र और एक हवाई टिकट दिया गया था, जिससे उन्हें यकीन हो गया कि उनका भतीजा उनके लिए वीजा हासिल करने की दिशा में काम कर रहा है। पुलिस को दी गई अपनी शिकायत में दर्शन ने कहा कि वह 2009 से छात्र वीजा पर लंदन में रह रहे थे और 2014 में वीजा समाप्त होने के बाद वडोदरा लौट आए थे।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक कोविड-19 महामारी के बाद, दर्शन की मुलाकात उनकी चचेरी बहन दिव्यांगी पटेल से हुई, जिन्होंने उन्हें बताया कि उनका बेटा ध्रुव उन्हें कनाडा का विजिटर वीजा दिलाने में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि उन्हें आश्वासन दिया गया था कि ध्रुव, जो पहले से ही कनाडा में बसा हुआ है, उन्हें वहां नौकरी दिलाने में भी मदद करेगा।
इसके बाद ध्रुव ने पहले विजिटर वीजा के लिए पैसे लिए, लेकिन फिर उसने और पैसे मांगे क्योंकि उसने कहा कि दर्शन को वर्क परमिट दिलाने के लिए इसकी जरूरत है। इसके बाद ध्रुव ने अपने चाचा को एक फर्जी वर्क परमिट लेटर और एक एयर टिकट भेजा। हालांकि, दर्शन को आश्चर्य हुआ जब ध्रुव ने दर्शन से और पैसे मांगे और कहा कि उसे बिजनेस वीजा पर आना होगा क्योंकि वर्क परमिट हासिल करने में समस्या थी।
एक और एयर टिकट और वीजा कॉपी भेजने के बाद, दर्शन ने एयरलाइन से पूछताछ की, तो पता चला कि टिकट नकली था। यह महसूस करते हुए कि उसके साथ धोखा हुआ है, उसने अपने पैसे वापस मांगे, लेकिन ध्रुव ने जवाब देना बंद कर दिया। जून 2024 में अपने पिता की मृत्यु के बाद जब ध्रुव वापस वडोदरा आया, तो दर्शन ने उससे बात की। हालांकि, ध्रुव ने दावा किया कि उसके पास अपने चाचा को देने के लिए पैसे नहीं हैं।
ध्रुव ने बाद में अपने वडोदरा स्थित घर को अपने चाचा के नाम करने का समझौता किया, ताकि वह बकाया राशि का भुगतान कर सके। हालांकि, जब दर्शन को आठ महीने तक इंतजार करने के बाद भी पैसे नहीं मिले, तो उसने आखिरकार पुलिस से संपर्क किया और अपने चचेरे भाई और भतीजे के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई।
उसकी शिकायत के आधार पर, वडोदरा पुलिस ने दिव्यांगी पटेल और ध्रुव पटेल के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 316 (2) (आपराधिक विश्वासघात), 318 (4) (धोखाधड़ी), 336 (2) (झूठे दस्तावेज बनाना), 336 (3) (प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए जालसाजी) और 338 (मूल्यवान दस्तावेजों की जालसाजी) के तहत मामला दर्ज किया।
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