रिजेक्ट हो गई थी यह बायोपिक फिल्म, फिर एक वाकये ने बदली निर्देशक की सोच, हुई करोड़ों की कमाई
- Bollywood ke Kisse: डायरेक्टर आर.बाल्कि ने करने से मना कर दिया था अक्षय कुमार की यह बायोपिक फिल्म। लेकिन फिर एक वाकये से बदली निर्देशक की सोच और बना डाली यह कमाल की फिल्म।
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साल 2018 में रिलीज हुई फिल्म 'पैडमैन' एक आइकॉनिक हिट थी। फिल्म ने जैसे एक अलग ही तरह का आंदोलन शुरू कर दिया। सिलेब्स से लेकर आम जनता तक हर कोई खुलकर सैनिटरी पैड के बारे में बात कर रहा था और फिल्म की कहानी ने करोड़ों लोगों की सोच बदली। फिल्म ने अक्षय कुमार ने लीड रोल प्ले किया था और राधिका आप्टे फीमेल लीड रोल प्ले करती नजर आई थीं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह फिल्म बन भी अक्षय की वजह से ही पाई थी। दरअसल निर्देशक आर.बाल्कि ने पहली बार में यह फिल्म बनाने से ही इनकार कर दिया था।
डायरेक्टर ने कर दिया फिल्म बनाने से इनकार
तकरीबन 90 करोड़ रुपये की लागत में बनी इस फिल्म ने 207 करोड़ रुपये का बिजनेस किया था। लेकिन आइडिया पिच किए जाने के बाद अक्षय कुमार के कहने पर भी निर्देशक आर.बाल्कि उनके साथ एक बायोपिक फिल्म नहीं बनाना चाह रहे थे। लेकिन फिर रियल पैडमैन (अरुणाचलम मुर्गुनाथम) के साथ आर.बाल्कि की एक ऐसी बातचीत हुई जिसमें उन्होंने निर्देशक की एड इंडस्ट्री को एक्सपोज करके रख दिया। इसके बाद निर्देशक आर. बाल्कि को फिर से विचार करने के लिए मजबूर होना पड़ा और फाइनली यह कमाल की फिल्म दर्शकों को मिली।
मुर्गुनाथम ने बाल्कि के सामने उठाया यह मुद्दा
अक्षय मुर्गुनाथम पर फिल्म करना चाहता था और मैंने कहा, "मैं किसी भी तरह की बायोपिक नहीं करूंगा, क्योंकि मुझे खुद अपनी कहानियां लिखना पसंद है। तो उसने कहा कि आप बस उनसे मिल लो।" तब मुर्गुनाथम ने बातचीत के दौरान बाल्कि से कहा, "आपको विज्ञापनों के बारे में बता है। हां एडवर्टाइजिंग। वो लोग सैनिटरी पैड की ऐड्स में क्या कर रहे हैं कि ये सब जो स्टेफ्री और केयरफ्री टाइप के जो विज्ञापन हैं। तो इनमें लड़कियां को क्यों छलांग मारते या कोई बाधा पार करके कूदते दिखाया जा रहा है?"
जब 'पैडमैन' ने घुमा दिया निर्देशक का दिमाग
आर बाल्कि ने कहा कि मुझे नहीं पता। शायद वो लड़कियों को आजादी महसूस करते दिखाना चाहते हैं। तब मुर्गुनाथन ने जवाब दिया, "बेवकूफ लोग हैं। काहे का फ्रीडम। दर्द तो दर्द होता है। आखिर सैनिटरी नैपकिन आपका दर्द कैसे कम कर सकता है? कोई महिला तकलीफ में है। नैपकिन सिर्फ हाइजीन की दिक्कत को हल करता है। ये कमीने हाइजीन के बारे में नहीं दिखाना चाहते हैं क्योंकि अगर वो स्क्रीन पर जर्म्स और गंदगी के बारे में दिखाएंगे तो वो लोग जो डिनर करने बैठे हैं वो सैनिटरी नैपकिन के बारे में देखना ही नहीं चाहेंगे। इसलिए वो कीटाणुओं के बारे में नहीं दिखाना चाहते।"
आर.बाल्कि को बदलना पड़ा था अपना फैसला
"अगर वो कीटाणुओं और बीमारी के बारे में दिखाने लगें तो हर कोई सैनिटरी पैड का इस्तेमाल करने लगेगा। ये लोग ऐसा नहीं करके पूरी दुनिया की जान खतरे में डाल रहे हैं।" तब आर.बाल्कि को लगा कि क्या कमाल का इंसान है। क्या गजब का दिमाग है इसका। आपको लोगों को सैनिटरी पैड का इस्तेमाल करवाने के लिए सिर्फ बीमारी और जर्म्स का जिक्र करना है। यह वो पॉइंट था जब आर बाल्कि की सोच बदली और उन्होंने अक्षय कुमार के साथ फिर से बातचीत करके अरुणाचलम मुर्गुनाथम पर बायोपिक बनाने का फैसला किया।
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