TGT पद के लिए BEd अनिवार्य, अधिकरण ने डिप्लोमाधारी महिला शिक्षक को राहत देने से किया इनकार
- महिला टीचर का दावा था कि वह एक निजी स्कूल में टीजीटी पद पर कार्यरत थी। उसे नौकरी से निकाल दिया गया था। महिला के पास बीएड की बजाय डिप्लोमा था।
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दिल्ली स्कूल अधिकरण ने एक महत्वपूर्ण फैसले के तहत कहा है कि निजी अथवा सरकारी स्कूल में प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक(टीजीटी) की नियुक्ति के लिए शिक्षा स्नातक (बीएड) होना अनिवार्य है। इस डिग्री के अभाव में कोई भी व्यक्ति निजी स्कूल में टीजीटी पद पर कार्यरत रहने का दावा नहीं कर सकता। अधिकरण ने शिक्षा निदेशालय को कहा कि विभाग की ओर से स्कूलों के नियमित निरीक्षण ना किए जाने के कारण बच्चों की शिक्षा और भविष्य दाव पर लगे हैं। दिल्ली स्कूल अधिकरण (ट्रिब्यूनल) के अध्यक्ष डॉ. सतेन्द्र कुमार गौतम की पीठ ने इस मामले में याचिकाकर्ता महिला को राहत देने से इनकार कर दिया। महिला का दावा था कि वह एक निजी स्कूल में टीजीटी पद पर कार्यरत थी। उसे नौकरी से निकाल दिया गया था। महिला ने पुन बहाली के लिए दिल्ली स्कूल अधिकरण में याचिका दायर की थी। परन्तु अधिकरण ने निजी स्कूल द्वारा पेश तथ्यों के आधार पर महिला की नौकरी बहाली की याचिका को खारिज कर दिया।
निजी स्कूल की तरफ से अधिवक्ता अतुल जैन ने दलीलें पेश करते हुए कहा कि महिला का दावा है कि वह स्कूल में नवीं, दसवीं व बाहरवीं कक्षा को हिंदी पढ़ा रही थी। जबकि महिला के शिक्षा संबंधी दस्तावेजों के मुताबिक उसने बारहवीं कक्षा के बाद हिंदी विशारद का डिप्लोमा किया हुआ है। ऐसे में महिला का टीजीटी पद पर कार्यरत रहने का दावा नियम-कायदे के अनुसार बेबुनियाद है। अधिकरण ने माना कि निजी स्कूल का प्रबंधन का संचालन एक प्रबंधन द्वारा किया जा रहा था। महिला इस ट्रस्ट में कर्मचारी थी। इसलिए महिला के दावे को खारिज किया जा रहा है।
बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ हो रहा इस आदेश में अधिकरण ने यह माना है कि बहुत सारे स्कूलों में अभी भी ऐसे शिक्षक कार्यरत हैं जो मापदंड को पूरा नहीं करते। खासतौर पर टीजीटी व पीजीटी शिक्षकों की नियुक्ति उनकी योग्यता के आधार पर होनी चाहिए। परन्तु स्कूल कम तनख्वाह पर शिक्षक रख बच्चों के मौलिक अधिकारों को प्रभावित कर रहे हैं। बच्चे देश का भविष्य होते हैं। इस तरह ये स्कूल अपने निजी लाभ के लिए देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। अधिकरण ने शिक्षा निदेशालय के लापरवाह रवैये को भी जिम्मेदार माना है।
निदेशालय को नियमित निरीक्षण करने के निर्देश
दिल्ली स्कूल अधिकरण ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार के शिक्षा निदेशालय को आदेश दिया है कि वह सुनिश्चित करे कि निजी व सरकारी स्कूलों का नियमित निरीक्षण किया जाए। निरीक्षण समय यह निर्धारित किया जाए कि कोई भी अनुचित प्रथा, बैक डोर एंट्री या कैश बैक जैसी भ्रष्टाचार की घटनाएं न हों। इस मामले में शिक्षा निदेशालय यह सिद्ध करने में असमर्थ रहा है कि उसने स्कूल का कभी कोई निरीक्षण किया था। अधिकरण ने कहा कि इस निर्णय के माध्यम से यह निर्देशित किया जाता है कि दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम व नियम, 1973 की भावना और संविधान के अनुसार निजी मान्यता प्राप्त स्कूलों का नियमित निरीक्षण किया जाए।
जुर्माने का प्रावधान
अधिकरण ने अपने आदेश में कहा है कि शिक्षा निदेशालय पर पास अधिकार है कि यदि कोई स्कूल नियमों का पालन नहीं करते पाया जाता है तो उस पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। वहीं, गंभीर लापरवाही के मामलों में एक हजार रुपये एक दिन के हिसाब से भी स्कूल पर जुर्माना लगाया जा सकता है। परन्तु निदेशालय ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दों को भी गंभीरता से नहीं लेता।
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