शेयर मार्केट की गाड़ी डिरेल फिर भी दौड़ रही RailTel की रेल, शेयर में 3% की उछाल
- RailTel Share Price: शेयर मार्केट की गाड़ी भले ही आज लगातार पांचवें सेशन में भी डिरेल हो गई है, लेकिन रेलवे स्टॉक रेलटेल कार्पोरेशन ऑफ इंडिया की गाड़ी तेजी के ट्रैक पर है।
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RailTel Share Price: शेयर मार्केट की गाड़ी भले ही आज लगातार पांचवें सेशन में भी डिरेल हो गई है, लेकिन रेलवे स्टॉक रेलटेल कार्पोरेशन ऑफ इंडिया की गाड़ी तेजी के ट्रैक पर है। रेलटेल के शेयर गिरावट भरे बाजार में भी 3 फीसद से अधिक की तेजी हासिल करने में आज सफल रहे है। इस तेजी के पीछे उसे ईस्ट सेंट्रल रेलवे से मिला 288 करोड़ रुपये का ऑर्डर है।
रेलटेल के शेयर सोमवार, 24 फरवरी को 3.17 प्रतिशत बढ़कर 315.50 रुपये प्रति शेयर के इंट्राडे हाई पर पहुंच गए। रेलटेल के शेयर की कीमत में उछाल तब आया, जब कंपनी ने घोषणा की कि उसे ईस्ट सेंट्रल रेलवे से 288 करोड़ रुपये का ऑर्डर मिला है।
एक्सचेंज फाइलिंग में, रेलटेल ने कहा, "आपको सूचित किया जाता है कि रेलटेल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड को ईस्ट सेंट्रल रेलवे से 2,88,14,67,426 रुपये (टैक्स समेत) के काम के लिए वर्क ऑर्डर मिला है।"
रेलवे ट्रैक पर कवच का मिला काम
ऑर्डर की शर्तों के तहत रेलटेल ईस्ट सेंट्रल रेलवे के 502.2 RKM में कम घनत्व वाले रेलवे ट्रैक पर कवच (स्वदेशी ट्रेन टक्कर बचाव सिस्टम) के प्रावधान की दिशा में काम करेगा।
सुबह 10:25 बजे, रेलटेल का शेयर 2.13 प्रतिशत बढ़कर 315 रुपये पर कारोबार कर रहा था। इसकी तुलना में, बीएसई सेंसेक्स 0.96 प्रतिशत गिरकर 74,582 के स्तर पर कारोबार कर रहा था।
अपने 52 हफ्ते के हाई से काफी नीचे है रेलटेल
रेलटेल के शेयर के भाव अपने 52 हफ्ते के हाई से करीब-करीब आधा पर आ गए हैं। इसका 52 हफ्ते का हाई 617.80 रुपये और लो 285 रुपये है। इस साल अब तक इस रेलवे स्टॉक ने अपने निवेशकों को करीब 23 पर्सेंट का नुकसान पहुंचाया है। वहीं छह महीने पहले इस स्टॉक में निवेश करने वाले 38 फीसद से अधिक के नुकसान में हैं।
क्या करती है रेलटेल
अपने मुख्य कार्यों के अलावा, रेलटेल ने भारत नेट, नेशनल नॉलेज नेटवर्क और पूर्वोत्तर में ऑप्टिकल फाइबर कनेक्टिविटी पहल जैसी विभिन्न बड़े पैमाने की सरकारी परियोजनाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 2000 के रेल बजट के माध्यम से रेलटेल का गठन किया गया था। इसका लक्ष्य मौजूदा दूरसंचार परिसंपत्तियों और भारतीय रेलवे के राइट ऑफ वे (आरओडब्ल्यू) का लाभ उठाकर 1999 की राष्ट्रीय दूरसंचार नीति में योगदान देना था।
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