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होम लोन पर 4% ब्याज सब्सिडी, मोदी सरकार की इस स्कीम से पूरा होगा घर का सपना

प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी योजना शहरी क्षेत्रों में किफायती लागत पर घर बनाने, खरीदने या किराए पर लेने के लिए शहरी गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है।

Deepak Kumar लाइव हिन्दुस्तानSat, 26 April 2025 05:30 PM
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होम लोन पर 4% ब्याज सब्सिडी, मोदी सरकार की इस स्कीम से पूरा होगा घर का सपना

PM Awas scheme: अपने घर का सपना हर कोई देखता है लेकिन इसे साकार करना इतना आसान नहीं होता है। आपके इस सपने को साकार करने में अब केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार भी मदद कर रही है। दरअसल, मोदी सरकार ने साल 2015 में प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (PMAY-U) की शुरुआत की थी। इस योजना के दूसरे एडिशन PMAY-U 2.0 की भी शुरुआत हो चुकी है। इसे शहरी क्षेत्रों में किफायती लागत पर घर बनाने, खरीदने या किराए पर लेने के लिए शहरी गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है।

योजना को चार चरणों में क्रियान्वित किया जाता है।

1. लाभार्थी आधारित निर्माण (BLC)

2. भागीदारी में किफायती आवास (AHP)

3. किफायती किराये का आवास (ARH)

4. ब्याज सब्सिडी योजना (ISS)

लाभार्थी राज्य/संघ राज्य क्षेत्रों/यूएलबी/पीएलआई की सहायता से या पीएमएवाई-यू 2.0 के एकीकृत वेब पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन जमा करके योजना के चार कैटेगरी में से किसी एक का चयन कर सकते हैं। हम आपको इन कैटेगरी में से एक- ब्याज सब्सिडी योजना के बारे में बता रहे हैं।

ब्याज सब्सिडी योजना

इसके तहत, ईडब्ल्यूएस/एलआईजी और एमआईजी परिवारों के लिए 25 लाख रुपये तक के होम लोन पर 4% ब्याज सब्सिडी प्रोवाइड की जाती है। यह सब्सिडी पांच वार्षिक किस्तों में प्रदान की जाएगी, जिसमें अधिकतम सब्सिडी 1.80 लाख रुपये होती है।

किस तरह के होंगे मकान

पीएमएवाई-यू 2.0 के अंतर्गत एक नए पक्के घर में कम से कम 2 कमरे, रसोईघर और एक शौचालय/स्नानघर होगा। इस तरह के पक्के घर में अनिवार्य रूप से बुनियादी सुविधाएं जैसे बिजली और पानी का कनेक्शन होगा।

कमाई के हिसाब से कैटेगरी

योजना के तहत EWS कैटेगरी को 3 लाख रुपये तक की वार्षिक आय वाले परिवारों के रूप में परिभाषित किया गया है। EWS से मतलब आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए है। वहीं, निम्न आय समूह को LIG कैटेगरी में रखा गया है। इस कैटेगरी की 3 लाख रुपये से 6 लाख रुपये तक की वार्षिक आय वाले परिवारों के रूप में पहचान है। मध्यम आय वर्ग (MIG) को 6 लाख रुपये से 9 लाख रुपये तक की वार्षिक आय वाले परिवारों के रूप में परिभाषित किया गया है।

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