एक देश एक समय होगा तो बढ़ेगी सुविधा और सुरक्षा
- भारत अब बिल्कुल सटीक समय निर्धारित करने के लिए जीपीएस की जगह अपने स्वयं के नाविक सिस्टम का उपयोग करने की तैयारी कर रहा है। इसका उद्देश्य क्षेत्रीय केंद्रों में परमाणु घड़ियों पर भरोसा करके ‘एक राष्ट्र, एक समय’ सुनिश्चित करना…
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निरंकार सिंह, पूर्व सहायक संपादक, हिंदी विश्वकोश
भारत अब बिल्कुल सटीक समय निर्धारित करने के लिए जीपीएस की जगह अपने स्वयं के नाविक सिस्टम का उपयोग करने की तैयारी कर रहा है। इसका उद्देश्य क्षेत्रीय केंद्रों में परमाणु घड़ियों पर भरोसा करके ‘एक राष्ट्र, एक समय’ सुनिश्चित करना, विदेशी प्रणालियों पर निर्भरता कम करना और राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ाना है। परमाणु घड़ी माइक्रो सेकंड तक समय मापने में सक्षम होती है। परमाणु घड़ियां परमाणु के कंपन का उपयोग करती हैं। देश में अहमदाबाद और फरीदाबाद में परमाणु घड़ियां लगी हुई हैं, जो सटीक समय बताती हैं।
देश भले ही भारतीय मानक समय (आईएसटी) पर चल रहा हो, पर सटीक समय जीपीएस उपग्रहों द्वारा निर्धारित किया जाता है। यह समन्वित सार्वभौमिक समय (यूटीसी) से जुड़ा होता है, पर अगले कुछ महीनों में यह बदलने वाला है, क्योंकि नेविगेशन विद इंडियन कांस्टेलेशन (नाविक) राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला से संदर्भ समय प्रदान करने के लिए जुड़ जाएगा। फरीदाबाद की प्रयोगशाला को नाविक से समय मिलेगा, जिसे ऑप्टिक फाइबर लिंक के माध्यम से चार अन्य केंद्रों- अहमदाबाद, बेंगलुरु, भुवनेश्वर और गुवाहाटी के साथ साझा किया जाएगा, जिनमें से प्रत्येक में एक परमाणु घड़ी होगी।
परमाणु घड़ियों की तैनाती से यह सुनिश्चित होगा कि डिजिटल घड़ियों, स्मार्टफोन और लैपटॉप पर दिखाया जाने वाला समय परमाणु घड़ियों पर आधारित होगा, न कि सेवा प्रदाताओं द्वारा जीपीएस से जुड़े कई स्रोतों से डाटा एक्सेस करने पर। जल्द ही क्षेत्रीय केंद्र सभी अंतिम उपयोगकर्ताओं को समय का प्रसार करेंगे, जिसके परिणामस्वरूप ‘एक राष्ट्र, एक समय’ होगा। उपग्रह प्रणाली की परिकल्पना कारगिल युद्ध के तुरंत बाद की गई थी, जब भारत विदेशी उपग्रहों से लक्ष्यों का सटीक स्थान नहीं प्राप्त कर पा रहा था। नरेंद्र मोदी की सरकार ने इस रणनीतिक महत्व को समझा। लगभग सात साल पहले इस परियोजना पर काम शुरू किया। फरीदाबाद, अहमदाबाद, बेंगलुरु और भुवनेश्वर में परमाणु घड़ियां स्थापित की जा चुकी हैं।
कुछ महीने पहले एनपीएल फरीदाबाद के साथ नाविक लिंक का परीक्षण किया गया था। विभाग एनपीएल और इसरो के साथ मिलकर मिली-सेकंड से माइक्रो-सेकंड की सटीकता के साथ आईएसटी प्रसारित करने के लिए काम कर रहा है। इसको ऑप्टिक फाइबर केबल के माध्यम से डाटा साझा करने में लगने वाले समय को समायोजित करने के लिए फरीदाबाद के साथ चार केंद्रों में घड़ियों से जोड़ना होगा। नाविक पहले भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन उपग्रह प्रणाली के नाम से जाना जाता था। यह स्वदेशी उपग्रह नेविगेशन सिस्टम है, जो रणनीतिक उपयोग तक सीमित था। इसे इसरो ने तैयार किया है।
उपभोक्ता मामलों के विभाग में पूर्व सचिव रोहित कुमार सिंह के अनुसार, यह भारत का अपना सटीक और विश्वसनीय समय वितरण नेटवर्क स्थापित करेगा, जिससे विदेशी प्रणालियों पर निर्भरता कम होगी और राष्ट्रीय सुरक्षा बढ़ेगी। इससे रक्षा, बिजली ग्रिड, दूरसंचार, बैंकिग और परिवहन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों को लाभ होगा, क्योंकि इससे समन्वित संचालन, दक्षता और साइबर खतरों के खिलाफ लचीलापन सुनिश्चित होगा। इस पर तकनीकी कार्य चल रहा है। उपभोक्ता मामलों के विभाग ने मसौदा नियमों को अधिसूचित किया है, जिसमें देश भर में कानूनी, प्रशासनिक, वाणिज्यिक और आधिकारिक दस्तावेजों के लिए एकमात्र समय संदर्भ के रूप में आईएसटी के उपयोग को अनिवार्य किया गया है। खगोल विज्ञान, नेविगेशन और वैज्ञानिक अनुसंधान जैसे विशेष क्षेत्रों के लिए अपवादों की अनुमति दी जाएगी, जो पूर्व सरकारी अनुमोदन के अधीन होंगे।
परमाणु घड़ियों के चरम परिशुद्धता-स्तरों की व्याख्या इस तथ्य से की जा सकती है कि वे हर 10 करोड़ वर्ष या उससे अधिक समय में एक सेकंड घटती या बढ़ती है, जबकि ऑप्टिकल परमाणु घड़ियां 300 अरब वर्षों तक इस सटीकता को बनाए रख सकती हैं। इन घड़ियों की परिशुद्धता एक ऐसी प्रणाली के माध्यम से प्राप्त की जाती है, जो अनुनाद आवृत्ति में किसी भी विचलन का पता लगा लेती है और अनुनाद को बनाए रखने के लिए माइक्रोवेव विकिरण में समायोजन कर लेती है।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)
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