कोरोना डायरी-8 : सत्य, भ्रम और अवसाद के बीच
29 मार्च 2020, रात 8.30 बजे आघात लगते ही आती है मूर्छा। मूर्छा के बाद कुछ कर गुजरने की लालसा और अंत में असलियत का अहसास । असलियत की कठोरता मन में दहशत रोपती चली जाती है। समूची दुनिया इस समय...

29 मार्च 2020, रात 8.30 बजे
आघात लगते ही आती है मूर्छा। मूर्छा के बाद कुछ कर गुजरने की लालसा और अंत में असलियत का अहसास । असलियत की कठोरता मन में दहशत रोपती चली जाती है। समूची दुनिया इस समय इसीलिए सिहर रही है। #जर्मनी के वित्तमंत्री थॉमस शेफ़र्ड ने आज आत्महत्या कर ली। एक विकसित राष्ट्र के मंत्री से कोई यह उम्मीद नहीं कर सकता था पर #महामारी ने राजा और रंक के भेद को खत्म कर दिया है। दहशत, अवसाद भी लेकर आती है। शेफर्ड उसीका शिकार हो गए। यही नहीं, #स्पेन की राजकुमारी मारिया टेरेसा ने भी #कोरोना के दंश से दम तोड़ दिया। प्रभुता संपन्न लोग जब इस तरह दम तोड़ते हैं, तो कम साधन वालों को लगता है कि आसमान सिर पर अब टूटा कि तब टूटा।
#दिल्ली का दर्दनाक पलायन भी इसीका नतीजा था। जो लोग पैदल, साइकिल, ठेले, टेंपो या ऐसी किसी आधी-अधूरी तैयारी से निकल पड़े , उन्हें भी खौफ था। केन्द्र और राज्य की सरकारें उन्हें भरोसा नहीं दिला सकीं कि काम के अभाव में भी दिल्ली उनका पर भरती रहेगी। पेट पलता रहे, तब भी बिना काम के किसी चारदीवारी के अंदर कैद रहना आसान नहीं। #कोट्टायम में आज सैकड़ों लोग उन बसेरों से निकलकर सड़कों पर जमा हो गए, जहां जनवादी सरकार ने उन्हें शरण दे रखी थी।जनवादी होना भरोसे की गारंटी नहीं ।
असुरक्षा के वक्त में अपनी मिट्टी पता नहीं क्यों आकर्षित करती है पर गारंटी यहाँ भी नहीं।परसों #सफदरजंग अस्पताल के एक ऐसे युवक की कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आई , जिसने कई दिन पहले आत्महत्या कर ली थी। वह यूरोप से लौटा था। हवाई अड्डे से उसे क्वारंटीन में भेजा गया और वहां से सफदरजंग ।पता नहीं, इस महामारी के बारे में उसने ऐसा क्या सुन रखा था कि अति आधुनिक सुविधाओं से संपन्न यह अस्पताल भी उसे आश्वस्ति नहीं दे सका ।एक सुबह ड्यूटी पर आ रहे डॉक्टर ने धरती पर एक क्षत-विक्षत शव पड़ा देखा। जांच के दौरान मालूम पड़ा कि उसने खिड़की खोलकर ऊपरी मंजिल से छलांग लगा दी थी।
इस दहशत के जितने शिकार हैं, उतने ही चेहरे।
भय कुछ कारोबारियों और अफवाहखोरों की मदद करता है। संकट के इस दौर में एंबुलेंस वाहनों को छूट दी गई है। उत्तराखंड के रुद्रपुर में आज पुलिस ने यूं ही एक एंबुलेंस को रोक लिया। उसमें कोई मरीज न था। शक होने पर वाहन की तलाशी ली गई, तो पता चला कि नीली बत्ती लगाकर #स्मैक की तस्करी हो रही थी। निठल्ले लोगों को नशे की जरूरत पड़ती है। तस्करों के लिए इससे बेहतर और क्या वक्त हो सकता है? इसी तरह मुनाफाखोर भी इस समय चाँदी काट रहे हैं। थोक मंडी में फल-सब्जियों के दाम उतने नहीं उठ रहे जितने उठने चाहिए।
जाहिर है, किसान को कम क़ीमत मिलने वाली है पर सामान्य ग्राहकों से कुछ का कुछ वसूला जा रहा है। सरकार छापे मार रही है, कुछ लोग पकड़े भी जा रहे हैं, पर कानून का डंडा अगर कामयाब होता तो फिर दुनिया से जरायम कब का मिट गया होता।
डर और आशंका के इस गर्म माहौल में कुछ लोग चुपचाप अफवाहों की तीरंदाजी में मशगूल हैं। कानपुर के मुस्लिम बहुल मोहल्लों में सरे दोपहर आज तमाम लोग छतों पर चढ़कर आसमान ताकने लगे। किसी ने अफवाह उड़ा दी थी कि उलटा चांद निकल आया है, कयामत अब बहुत दूर नहीं । देखते- देखते ये अफवाह तमाम जगहों पर फैल गई। गणेश जी जब दूध पीने लगे थे, तब भी ऐसा ही हुआ था ।
महामारी और मतिमारी सीमाएं अथवा वर्जनाएं नहीं देखतीं।
कुछ दिन पहले गांवों में अफवाह उड़ी थी कि सोते-सोते लोग पत्थर बन जा रहे हैं। किसी ने इस जानकारी के सिर-पैर का पता करने की कोशिश नहीं की, बस जागने लगे। नींद का अपना अंक गणित और अर्थशास्त्र होता है। उसके बिना जिंदा रहना नामुमकिन है। लिहाजा यह अफवाह भी जल्दी दम तोड़ गई। ऐसे भ्रम अल्पायु होते हैं फिर भी इनके असर से इनकार नहीं किया जा सकता। कोई रातभर जागे, छत पर आसमान ताके, तो इसमें बड़ा नुकसान नहीं पर आज अचानक कहीं से यह ज्ञानवर्षा हुई कि आंगन को खोदिए, कोरोना की रामबाण दवा मिलेगी। तमाम लोगों ने अपने आंगन खोद डाले। मिलना तो सिर्फ गर्द-ओ-गुबार था, वही मिला। उन्हें संताप तो हुआ होगा पर संताप सत्य के संधान की सनद साथ नहीं लाते ।
यह तो थी सामाजिक अविश्वास और अंधविश्वास की बात। कुछ लोग तो ऐसे हैं, जिन्होंने अपने घर वालों का भरोसा तक तोड़ा और हमेशा के लिए अपनों के बीच रुसवा हो गए। #वाराणसी के एक घर में अचानक पुलिस पहुंची। उन्होंने बताया कि गृहस्वामी #थाईलैंड से लौटे हैं, लिहाजा आप सबको 14 दिन क्वारंटीन में रहना होगा। गृह स्वामिनी पहले तो पुलिस वालों पर बिफरी पर जब वे डटे रहे, तो सदमे का शिकार हो गई। वजह? पतिदेव यह कहकर बाहर गए थे कि वे काम से गोवा जा रहे हैं। ऐसे ही कुछ और लोग हैं, जो बेंगलुरू और पुणे कहकर निकले और मंडली के साथ #थाईलैंड जा पहुंचे।
#कोविड-19 हमें तरह-तरह से आइना दिखा रहा है। इसे गौर से देखिए। आपको झूठ, फरेब, मक्कारी और कातर कापुरुषता के तमाम अक्स दिखाई पड़ेंगे।
क्रमश:
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।