एआई क्रांति
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता के नए एप डीपसीक का भारत में सर्वाधिक डाउनलोड होना कतई नहीं चौंकाता। वैसे तो पूरी दुनिया में डीपसीक संबंधी मोबाइल एप को डाउनलोड किया जा रहा है, लेकिन भारत में सर्वाधिक लगभग 16 प्रतिशत डाउनलोड हो चुके हैं…
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कृत्रिम बुद्धिमत्ता के नए एप डीपसीक का भारत में सर्वाधिक डाउनलोड होना कतई नहीं चौंकाता। वैसे तो पूरी दुनिया में डीपसीक संबंधी मोबाइल एप को डाउनलोड किया जा रहा है, लेकिन भारत में सर्वाधिक लगभग 16 प्रतिशत डाउनलोड हो चुके हैं। भारत में अत्यधिक डाउनलोड स्वाभाविक भी है, क्योंकि भारत आबादी के हिसाब से दुनिया में सबसे अग्रणी है। यहां संख्या के लिहाज से शिक्षित लोगों की संख्या भी चीन के बाद सबसे ज्यादा है। युवा बहुल भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के प्रति जिज्ञासा भी बहुत ज्यादा है, लोग नई-नई तकनीक को आजमाने या अपनाने में आगे रहते हैं। ऐसे में, डीपसीक का भारत में सर्वाधिक डाउनलोड होना स्वाभाविक है। चीनी एआई चैटबॉट डीपसीक विशेष कौतूहल का विषय बना हुआ है, तो इसका सबसे बड़ा कारण इसकी तीव्र गति है। पहले से जो एआई एप उपलब्ध हैं, उनसे कहीं ज्यादा तेजी से यह काम करता दिख रहा है। यदि यही तेजी बनी रहती है, तो एआई की दुनिया में डीपसीक के वर्चस्व का कोई विकल्प नहीं होगा। बेशक, डीपसीक से भी ज्यादा सक्षम एआई का आगमन होगा, लेकिन तब तक डीपसीक का ही राज चलेगा।
आंकडे़ बताते हैं कि डीपसीक को जितने समय में 160 लाख बार डानउलोड किया गया है, उतने ही समय में ओपनएआई के चैटजीपीटी को 90 लाख बार डाउनलोड किया गया था। डीपसीक के दोगुने डाउनलोड के पीछे और भी कारण होंगे, पर इसके पीछे एक बड़ा कारण सूचनाओं का विस्तार भी है। आप गलत शब्द के साथ एक सवाल पूछते हैं और डीपसीक न केवल आपके भाव को समझता है, वह शब्द को सही भी करता है और पलक झपकते विस्तार के साथ विभिन्न स्रोतों से सूचनाएं जुटाते हुए सामने पेश कर देता है। आधिकारिक तौर पर केवल चीन, अमेरिका और वियतनाम में उपलब्ध होने के बावजूद डीपसीक को वैश्विक बाजारों में तेजी से अपनाया जाना प्रभावशाली है, खासकर यह देखते हुए कि इसने न्यूनतम विज्ञापन के साथ कामयाबी हासिल की है। 26 जनवरी को ही डीपसीक एप ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचकर अपनी जोरदार मौजूदगी दर्ज करा दी है। इस अभूतपूर्व कामयाबी पर वैश्विक तकनीकी कंपनियों की ओर से सुखद प्रतिक्रियाएं आ रही हैं, जिससे एआई की दुनिया में मानो एक नई क्रांति का एहसास हो रहा है। डीपसीक के साथ मुकाबले के लिए अब चैटजीपीटी को बड़े पैमाने पर निवेश और नवाचार की जरूरत पड़ेगी। इस दिशा में चैटजीपीटी ने प्रयास तेज कर दिए हैं। डीपसीक तो अभी नई कंपनी है, लेकिन चैटजीपीटी का मूल्यांकन जल्दी ही 340 अरब डॉलर होने जा रहा है, इससे सहज ही यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि दुनिया में एआई का बाजार किस तेजी से बढ़ रहा है।
बहरहाल, एआई की दुनिया में आज भारत कहां खड़ा है? क्या हम केवल उपभोक्ता बने रहेंगे? क्या यहां ऐसी कंपनियां नहीं हैं, जो एआई पर विश्वस्तरीय काम कर रही हों? हम डाटा सुरक्षा की चिंता कर रहे हैं, पर क्या दिग्गज एआई कंपनियों से अपने डाटा को बचा पाएंगे? अपने डाटा की सौ फीसदी सुरक्षा हमारे लिए संभव नहीं है और ऐसा करना भी नहीं चाहिए। हां, सरकार अपना गोपनीय डाटा संभाले और लोग भी अपनी गोपनीयता की रक्षा कर सकें, इसका प्रबंध पुख्ता होना चाहिए। एआई की तेज तरक्की को रोका नहीं जा सकता और एक शुद्ध सक्षम भारतीय एआई की उम्मीद हम अवश्य कर सकते हैं।
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