पटना में दर्दनाक हादसा: बेटी-दामाद व नाती को करने गए थे रिसीव, लेकर लौटे शव
धरहरा गांव के सुरेंद बिहारी सिंह को बेटी-दामाद और नाती के आने की खुशी इतनी थी कि वे तीनों को रिसीव करने पैदल ही रेलवे लाइन के पास पहुंच गए। मगर नियति को कुछ और ही मंजूर था और एक हृदयविदारक घटना ने...
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धरहरा गांव के सुरेंद बिहारी सिंह को बेटी-दामाद और नाती के आने की खुशी इतनी थी कि वे तीनों को रिसीव करने पैदल ही रेलवे लाइन के पास पहुंच गए। मगर नियति को कुछ और ही मंजूर था और एक हृदयविदारक घटना ने उनकी खुशी छीन ली और से तीनों के शव लेकर घर लौटे।
सुरेन्द्र बिहारी सिंह आंखों देखा हाल बताते-बताते फफक-फफक कर रोने लगे। उन्होंने बताया कि शनिवार की सुबह सोकर उठे तो फोन पर बेटी और दामाद से बात की। जब हमें मालूम हुआ कि दामाद पुनपुन से आगे आ गए हैं तो हर बार की तरह इस बार भी वे घर से निकल कुछ दूर स्थित रेलवे ट्रैक के पास पहुंच गए। कुछ देर बाद दामाद की गाड़ी को रेलवे ट्रैक पार कराने लगे। कार उनके दामाद सुमित चला रहे थे, जबकि बगल की सीट पर बेटी निलिका बिहारी व पिछले की सीट पर नाती प्रणीत बैठा था। कार अभी ट्रैक पार करती, तभी उनकी नजर पटना की ओर से आती ट्रेन पर पड़ी।
उन्होंने इशारे में दामाद को कार पीछे ले जाने को कहा, लेकिन कार का शीशा बंद रहने की वजह से वे इशारा नहीं समझ पाए। हालांकि निलिका ने इशारे की बात बताई तो सुमित हड़बड़ा गए और गाड़ी ट्रैक पर ही बंद हो गई। जब तक वे तीनों बाहर निकलते तब तक कार ट्रेन की चपेट में आ गई और आंख के सामने उनका घर उड़ गया। चाहकर भी कुछ नहीं कर पाए। बाद में वे घर लौटे पर बेटी-दामाद और नाती के शव लेकर वह भी पुलिस के साथ। शव देखकर गांव में कोहराम मच गया।
धरहरा में छाया मायूसी, नहीं जले चूल्हे
इस हृदयविदारक हादसे के बाद निलिका बिहारी के मायके धरहरा में मायूसी छा गई और किसी भी घर में चूल्हे नहीं जले। रही। निलिका के पिता सुरेन्द्र सिंह, उनके बड़े भाई उपेन्द्र सिंह, छोटे भाई जितेन्द्र सिंह, उनकी मां समेत घर की अन्य महिलाओं का रो-रोकर बुरा हाल था। सुरेन्द्र बिहारी सिंह की दो पुत्री थी। उनकी छोटी बेटी स्वीटी अविवाहित है तथा नोएडा में बड़ी बहन के साथ ही रहकर लक्ष्मीनगर में एक कंपनी में कंपनी सेक्रेटरी है। घर के लोगों ने बताया कि निलिका की शादी 2013 में ही हुई थी।
एक साथ उठी पूरे परिवार की अर्थी तो मची चीत्कार
पश्चिमी आनंदपुरी स्थित कपिलदेव अपार्टमेंट में शनिवार की दोपहर 3.28 बजे एक साथ मासूम बच्चे और उसके मां-बाप की अर्थी उठी तो वहां मौजूद हर किसी की आंखें नम हो गईं। इस हृदयविदारक दृश्य को देखकर लोग उस वक्त को कोस रहे थे, जब यह मनहूस हादसा हुआ और एक साथ हंसता-खेलता पूरा परिवार काल के गाल में समा गया। परिवार वालों ने सपने में भी नहीं सोचा था कि उन्हें यह दिन देखना पड़ेगा। घर की महिलाओं की चीत्कार से इलाके में मातमी सन्नाटा पसर गया। इस मनहूस खबर को सुनते ही सतीश को जानने वाले कपिलदेव अपार्टमेंट पहुंच गए। उधर,दीघा घाट पर छोटे भाई गौरव ने भाई सुमित और निलिका को मुखाग्नि दी, जबकि प्रणीत के शव को वहीं दफना दिया गया।
लॉकडाउन में परेशानी न हो इसलिए सुबह ही निकले
लॉकडाउन में परेशानी न हो, लिहाजा सुबह में ही सुमित घर से निकल गए। सुमित के आने की खबर मिलते ही उनके ससुराल के अन्य लोग भी उनसे मिलने पहुंचे थे। अप्रैल के अंतिम सप्ताह में दंपती दिल्ली से पटना पहुंचा था। अपनी दिल्ली नंबर की गाड़ी से ही वे पटना चले आए। वर्क फ्रॉम होम होने के कारण दोनों यहीं से काम कर रहे थे।