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दरौली और गुठनी के दियारा इलाकों में मौसमी फलों के उत्पादन पर ग्रहण

गुठनी और दरौली के दियारा इलाकों में सरयू नदी के तेज कटाव के कारण मौसमी फलों की खेती पर संकट आ गया है। कृषि योग्य भूमि जलमग्न हो गई है और खेती की मिट्टी रेत में बदल रही है। किसानों ने प्रशासन से कटाव...

Newswrap हिन्दुस्तान, सीवानMon, 24 Feb 2025 02:37 PM
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दरौली और गुठनी के दियारा इलाकों में मौसमी फलों के उत्पादन पर ग्रहण

गुठनी, एक संवाददाता। दरौली और गुठनी के दियारा इलाकों में होने वाले मौसमी फलों की खेती पर इस साल ग्रहण लग गया है। इसका मुख्य कारण सरयू नदी में तेजी से हो रहे बे मौसम कटाव का होना है। जबकि सरयू नदी द्वारा किए गए कटाव में कृषि योग्य भूमि जहां जलमग्न हो गई है। वहीं खेती वाली मिट्टी पूरी तरह रेत में तब्दील हो गई है। जिसपर तरबूज, खरबूज, ककड़ी, शकरकंदी, परवल, खीरा, धनिया की खेती करना नामुमकिन है। किसानों का कहना है कि लगातार हो रहे कटाव से ग्रामीण इलाकों के समीप तेजी से खतरा बढ़ रहा है जबकि नदी किनारे होने वाले मौसमी फलों और रवि फसल तथा खरीफ फसल पर भी खतरा मंडरा रहा है। उन्होंने स्थानीय प्रशासन और जिला प्रशासन के साथ जनप्रतिनिधियों से भी कटाव रोकने के लिए मदद की गुहार लगाई है। जल संसाधन विभाग के जेई मदन मोहन का कहना है कि इस तरह के कटाव से फिलहाल किसी तरह का कोई नुकसान नहीं है। नदी में कही से भी वाटर डिस्चार्ज नहीं हुआ है। जिससे किसी तरह का कोई खतरा और नुकसान हो सके। कटाव से हर साल कृषि योग्य भूमि रेत में हो जाती है तब्दील प्रखंड में हर साल सरयू नदी द्वारा बेमौसम कटाव से आम जनमानस परेशान रहता है। वही सबसे अधिक प्रभावित किसान रहते हैं। उनका कहना था की कटाव से खेती योग्य भूमि नदी में समा जाती है। जिसपर कभी भी खेती नही किया जा सकता। वह भूमि रेत में तब्ददिल हो जाती है। इन गांवों में ग्यासपुर, खडौली, मैरिटार, डूमरहर, केवटलिया, नरौली, बरौली, दुबा, अमरपुर शामिल है। जिनकी दो सौ एकड़ भूमि हर साल कटाव से पानी में बह जाता हैं। नदी का रुख ग्रामीण क्षेत्रों की तरफ से होने खतरा बाढ़ से पूर्व सरयू नदी के धारा परिवर्तन से जहां ग्रामीण चिंतित है। वहीं जल संसाधन विभाग पूरी तरह बेफिक्र और लापरवाह है। ग्रामीणों का आरोप है की नदी के तरफ लगातार हो रहे कटाव के बावजूद भी विभाग द्वारा अभी तक कोई भी बचाव और राहत कार्य शुरू नहीं किया गया है। जिससे आने वाले दिनों में बाढ़ का खतरा और बढ़ जाएगा। और इससे घर ऑन कृषि योग्य भूमि पेड़ पौधे पशुओं समेत झोपड़ियां को भारी नुकसान होगा। क्या कहते हैं बाढ़ के जेई फ्लड जेई मदन मोहन ने बताया कि नदी किनारे होने वाले कटाव नेचुरल है। फिलहाल नदी में कही से पानी डिस्चार्ज नहीं हुआ है। विभाग से सूचना मिलने के बाद जांच की जा रही है।

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