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शिलापट्ट में नाम नहीं पर पथ शहीद के नाम पर

प्रखण्ड कार्यालय के मुख्य द्वार पर शहीदों के सम्मान में लगाए गए शिलापट्ट पर कई नाम छूटे हुए हैं और कुछ गलत हैं। 1942 के अमर शहीद पुलकित कामत पथ का नामकरण हाल ही में किया गया है। ग्रामीणों ने शहीदों के...

Newswrap हिन्दुस्तान, सहरसाMon, 17 Feb 2025 01:15 AM
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शिलापट्ट में नाम नहीं पर पथ शहीद के नाम पर

कहरा, एक संवाददाता। प्रखण्ड कार्यालय के मुख्य द्वार पर शहीदों के सम्मान मे वर्षो पूर्व शिलापट्टा लगाए गए थे। जिसका उद्देश्य स्थानीय शहीदों की याद लोगों के जेहन में बना रहे तथा उनकेप्रति श्रद्धांजलि भी थी। पर लगाए गए शिलापट्ट पर कई के नाम छूटे हुए है तो कई का नाम गलत है। हाल में नगर निगम द्वारा प्रखण्ड कार्यालय जानेवाली सड़क का नामांकरण 1942 के अमर शहीद पुलकित कामत पथ के रूप मे किया गया है। बता दें कि 1942 के भारत छोड़ो संग्राम मे प्रखण्ड क्षेत्र के 5 आंदोलन कारी शहीद हुए थे। जिसमें बनगांव के पुलकित कामत, हरिकांत झा, बलहा के कालेश्वर मण्डल, नारियार के केदार नाथ तिवारी तथा चैनपुर निवासी भोला ठाकुर शहीद हुए थे । शहीदों के सम्मान मे प्रखण्ड कार्यालय के मुख्य द्वार के समीप दशकों पूर्व लगाए गए शिलापट्ट पर अगस्त क्रांति के शहीदों तथा क्षेत्रीय स्वतन्त्रता सेनानीयों के कुल 50 नाम अंकित है। इस शिलापट्ट पर शहीद की संख्या 5 के बदले मात्र 4 नाम अंकित है।

इन शिलापट्ट पर बनगांव निवासी अमर शहीद पुलकित कामत तथा नारियार निवासी केदार नाथ तिवारी का नाम नहीं है। जबकि शिलापट्ट पर अंकित गुनेश्वर कामत नाम का यहां कोई अमर शहीद नहीं है। इसी प्रकार हरिकांत झा के बदले हरिकांत मिश्र अंकित है। शिलापट्ट पर इन अमर शहीदों तथा स्वतन्त्रता सेनानीयों के अंकित नाम मे व्याप्त अशुद्धि को सुधार किया जा सकता था। लेकिन जिला व प्रखण्ड प्रशासन एवं क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि इस ओर कभी झांकना तथा भूल सुधार अब तक जरूरी नहीं समझे हैं। इस शिलापट्ट का लोहे के ग्रिल से घेराबन्दी किया जाना भी आवश्यक है। क्योंकि

रखरखाव के अभाव में शहीदों व स्वतंत्रता सेनानी के सम्मान में लगाए गए शिलापट्ट आवारा पशु इस पर बैठ आराम करते हैं । क्षेत्रीय ग्रामीणों नें प्रखण्ड मुख्यालय के मुख्य द्वार पर लगे शिलापट्ट मे छूटे अमर शहीदों का नाम अंकित करने तथा इसके उचित रखरखाव के लिए घेराबन्दी करने की मांग की है।

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