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मिथिलांचल से चार गुना अधिक कोसी-सीमांचल में मखाना उत्पादन

मिथिलांचल की तुलना में कोसी और सीमांचल में मखाना का उत्पादन चार गुना अधिक होता है। कटिहार, पूर्णिया, सहरसा, सुपौल और मधुबनी शीर्ष पांच मखाना उत्पादन वाले जिले हैं। कुल 36,727 हेक्टेयर में मखाना की...

Newswrap हिन्दुस्तान, सहरसाMon, 10 Feb 2025 01:32 AM
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मिथिलांचल से चार गुना अधिक कोसी-सीमांचल में मखाना उत्पादन

सहरसा, रंजीत। मिथिलांचल से चार गुना अधिक कोसी और सीमांचल में मखाना उत्पादन होता है। टॉप पांच मखाना उत्पादन वाले जिले में कटिहार पहले, पूर्णिया दूसरे, सहरसा तीसरे, सुपौल चौथे और मधुबनी पांचवें नंबर पर है। दरभंगा छठे, अररिया सातवें, मधेपुरा आठवें, किशनगंज नौवें, खगड़िया दसवें और सीतामढ़ी 11वें नंबर पर है। कोसी, सीमांचल और मिथिलांचल को मिलाकर कुल 36 हजार 727 हेक्टेयर में मखाना की खेती होती है। जिसमें 28 हजार 634 हेक्टेयर में मखाना की खेती कोसी और सीमांचल के आठ जिले में होती है। वहीं मिथिलांचल के 8093 हेक्टेयर में मखाना खेती तीन जिले में होती है।

सहरसा जिले में 3678 हेक्टेयर में मखाना की खेती से सात हजार 447.95 प्रति हेक्टेयर टन गुड़िया और 2979.18 लावा उत्पादन होता है। वहीं कटिहार जिले में 6843 हेक्टेयर में मखाना की खेती से 13 हजार 857.075 प्रति हेक्टेयर टन गुड़िया और 5542.83 टन लावा उत्पादन होता है। पूर्णिया में 6549 हेक्टेयर में मखाना की खेती से 13261.725 प्रति हेक्टेयर टन गुड़िया व 5304.69 टन लावा उत्पादन होता है। सुपौल में 3467 हेक्टेयर में मखाना की खेती से 7020.675 प्रति हेक्टेयर टन गुड़िया व 2808.27 टन लावा उत्पादन होता है। मधुबनी में 3562 हेक्टेयर में मखाना की खेती से 5699.2 प्रति हेक्टेयर टन गुड़िया व 2279.68 टन लावा उत्पादन होता है। सुपौल में 3467 हेक्टेयर में 7020.675 प्रति हेक्टेयर टन गुड़िया व 2808.27 टन लावा उत्पादन होता है। दरभंगा में 3217 हेक्टेयर में मखाना की खेती से 5147.2 प्रति हेक्टेयर टन गुड़िया व 2058.88 टन लावा उत्पादन होता है। अररिया में 2467 हेक्टेयर में मखाना की खेती से 4995.675 प्रति हेक्टेयर टन गुड़िया व 1998.27 टन लावा उत्पादन होता है। मधेपुरा में 2321 हेक्टेयर में मखाना की खेती से 4700.025 प्रति हेक्टेयर टन गुड़िया व 1880.01 टन लावा उत्पादन होता है। किशनगंज में 2245 हेक्टेयर में मखाना की खेती से 4546.125 प्रति हेक्टेयर टन गुड़िया व 1818.45 टन लावा उत्पादन होता है। खगड़िया में 1064 हेक्टेयर में मखाना की खेती से 2154.6 प्रति हेक्टेयर टन गुड़िया व 861.84 टन लावा उत्पादन होता है। सबसे कम सीतामढ़ी में 1314 हेक्टेयर में 2102.4 प्रति हेक्टेयर टन गुड़िया व 840.96 टन लावा उत्पादन होता है।

कोसी-सीमांचल में 23 हजार प्रति हेक्टेयर टन मखाना लावा उत्पादन: कोसी और सीमांचल के आठ जिले में कुल 23 हजार 193.54 टन प्रति हेक्टेयर मखाना का लावा उत्पादन होता है। वहीं 57 हजार 983.85 टन प्रति हेक्टेयर मखाना का गुड़िया उत्पादन होता है। वहीं मिथिलांचल के तीन जिले में 5179.52 टन प्रति हेक्टेयर मखाना का लावा और 12 हजार 948.8 टन प्रति हेक्टेयर गुड़िया उत्पादन होता है। बड़े पैमाने पर मखाना उत्पादन के बाद कोसी या सीमांचल क्षेत्र में मखाना विकास बोर्ड का गठन किए जाने की मांग भी उठने लगी है।

कोसी, सीमांचल व मिथिलांचल में 28 हजार टन प्रति हेक्टेयर से अधिक लावा: कोसी सीमांचल और मिथिलांचल के 11 जिले में 28 हजार 373.06 टन प्रति हेक्टेयर मखाना का लावा उत्पादन होता है। वहीं 70 हजार 932.65 टन प्रति हेक्टेयर गुड़िया उत्पादन होता है।

कैसे बनता मखाना का लावा: किसान बताते हैं कि जब मखाना की फसल तैयार होती तब उससे गुड़िया का उत्पादन होता है। गुड़िया को फोड़कर मखाना का लावा निकाला जाता है। जो खाने में काफी स्वादिष्ट और स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से फायदेमंद होता है। गुड़िया को गुर्री भी कहा जाता है।

मखाना की देश ही नहीं विदेशों में भी है डिमांड: कोसी, सीमांचल और मिथिलांचल के मखाना की देश ही नहीं विदेशों में भी डिमांड है। डाक महाध्यक्ष पूर्वी प्रक्षेत्र मनोज कुमार ने कहा कि डाक निर्यात केन्द्र के जरिए देश और विदेशों में मखाना किसान व व्यापारी भेजते हैं। सहायक निदेशक सह जिला उद्यान पदाधिकारी सहरसा शैलेन्द्र कुमार ने कहा कि मखाना को अंतर्राष्ट्रीय बाजार मिलने से इसकी खपत बढ़ी है। किसान लाभान्वित हो रहे हैं।

डेढ़ साल बीत गए पर भोला शास्त्री कृषि कॉलेज नहीं बना सेंटर आफ एक्सेलेंस: डेढ़ साल पहले भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय पूर्णिया को सेंटर आफ एक्सेलेंस के रूप में विकसित करने की योजना बनी। 28 जून 2023 को स्टेट हार्टिकल्चर मिशन के मिशन डायरेक्टर अभिषेक कुमार ने सेंटर आफ एक्सेलेंस के रूप में विकसित करने के लिए दस करोड़ रुपए दिए जाने से संबंधित पत्र जारी किया था।

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