यूक्रेन में सिर पर रखा पिस्टल, डरी नहीं डटी रही, अब बनी डाक्टर
-फोटो : 1 : पूर्णिया, हिन्दुस्तान टीम। पूर्णिया की बेटी डरी नहीं डटी रही। जंग के दौरान यूक्रेन में सिर पर पिस्टल तान दी गयी। मगर हौसला नहीं हारी। अब
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पूर्णिया, हिन्दुस्तान टीम। पूर्णिया की बेटी डरी नहीं डटी रही। जंग के दौरान यूक्रेन में सिर पर पिस्टल तान दी गयी। मगर हौसला नहीं हारी। अब पूर्णिया की बेटी ऋतुप्रिया डॉक्टर बनकर अब अपनी देश में सेवा देगी। नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन इन मेडिकल साइंसेज (एनबीईएमएस) ने विदेश मेडिकल ग्रेजुएट परीक्षा (एफएमजीई) दिसंबर 2024 सत्र का रिजल्ट जारी कर दिया है। इसमें 300 में 229 अंक की हासिल। हलांकि ऋतु प्रिया ने यूक्रेन के वीएन करजीना खारखीव नेशनल यूनिवर्सिटि में पांच साल पढ़ाई के बाद ट्रांसफर होकर रसिया के मेरी स्टेट यूनिवर्सिटी में भी एक साल की पढ़ाई की। इंडिया मेडिकल काउंसिल में रजिस्ट्रेशन के लिये एफएमजी एग्जाम क्लीयर कर वह अब अपने देश में लोगों की सेवा करेगी। उनके पिता अब नहीं हैं। मगर उनके ख्वाब अब पूरे हो चुके हैं। भट्ठा बाजार की रहने वाली ऋतुप्रिया युद्ध के दौरान खारखीव में थी जब उनके सिर पर पिस्टल तान दी गयी। आर्ट आफ लिविंग की मदद से वह किसी तरह वहां से वापस आयी। उनके भाई ऋषभ ने बताया कि उनकी बहन ने तमाम मुश्किलों के बावजूद पिता जी के सपने को साकार किया। अब वह डाक्टर बनकर अपने देश में सेवा करेगी। उसे काफी अच्छे अंक आये हैं। इसलए अब एम्स में प्रैक्टिस करना चाहती है। अपने देश में इंटर्नशिप के बाद वह पीजी भी करेगी।
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-एक भाई सदर अस्पताल में कर रहा इंटर्नशिप, अब दूसरा भाई भी देश में देगा सेवा :
पूर्णिया। रुस-यूक्रेन के युद्ध के बीच में दो भाई गोला-बारूद के बीच डटे रहे। एफएमजीई क्लीयर कर मो जसीम अख्तर पूर्णिया लौटकर सदर अस्पताल में इंटर्नशिप कर रहा है। अब दूसरे भाई समीम अख्तर ने भी एग्जाम क्लीयर किया है। कृत्यानंद नगर प्रखंड क्षेत्र के बेगमपुर निवासी मो रियाजउद्दीन के दो पुत्र डा जसीम अख्तर एवं डा अमीम अख्तर युद्ध के दौरान वहां फंस गये। हिम्मत का परिचय देते हुए दोनों भाई ने पठन पाठन पूरा किया। दोनों भाई के डाक्टर बनने से परिजनों, शुभचिंतकों एवं ग्रामीण में खुशी व्याप्त है। युद्ध होने के बाद भी यूक्रेन में रहकर मेडिकल पास करने के लिए दोनों युवकों की हिम्मत की लोग चर्चा कर रहे हैं। डा जसीम अख्तर एवं डा अमीम अख्तर ने बताया कि यूक्रेन में भारतीय नागरिक का काफी सम्मान है। डा जसीम अख्तर ने बताया कि एक साल पहले मेडिकल पास कर पूर्णिया सदर अस्पताल में इंटनशिप कर रहे हैं। दूसरा भाई अमीम अख्तर इस बार पास कर घर लौट आया है। दोनों भाई ने कहा कि भारत में रहकर लोगों का इलाज करेंगे। खासकर गरीब लोगों की सेवा के लिए वह डॉक्टर बने हैं।
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